Varaha Mantra is a potent mantra to acquire the godly endorsements of Lord Varaha. According to Varaha Purana, Varaha is the avatar of the Hindu god Vishnu in the form of a boar, succeeding Kurma and preceding Narasimha. It is the third in the Dashavatara, the ten principal avatars of Vishnu.
This Tantrokt Varaha mantra is a 33-syllable Varaharup Vishnu mantra. The mantra has been derived from Shardatilak. The mantra has amazing benefits.
The mantra gets ascertained after chanting the mantra 1,00,000 times. After concluding this, 10 percent of Homa should be offered in the divine Agni. And again, 10 percent Tarpan, Marjan, and food to the Brahmin should be presented. With this, one acquires Mantra Siddhi and Mantrik can demonstrate many experiments with Siddha Mantra.
Varaha Mantra Benefits
- After earning the mastery of the mantra, the mantric can worship Lord Vishnu by offering a fire ceremony with lotus flowers soaked in ghee, honey, and sugar. Lord Varaha provides massive wealth and land to the Sadhak. The seeker stays prosperous throughout his life by doing so.
- When the Sun is in the Leo zodiac sign, then on the eighth day of Brighter Moon, the seeker can chant ten thousand chants of this mantra to exterminate all issues of opponents. The seeker gets the uncanny capability of winning the court cases.
- With this mantra, one who makes three hundred sacrifices from the wood of the Amaltas tree gets all the fortune and gold. The seeker gets his home. All the obstructions in land litigations are simply wiped out.
- One who makes one hundred and eight sacrifices of rice daily to get stardom and fanfare. The seeker can triumph in elections and competitions by doing this tantra.
- By giving 1008 offerings of this mantra for 7 days, the seeker gets gold.
- By giving offerings mixed with honey and paddy, the seeker gets the desired wife. The mantric can use Energized coral mala to perform this mantra, Sadhana.
Varaha Mantra In English
om namo bhagavate vaaraaharoopaay bhoorbhuvah svah syaatpate bhoopatitvam dehyate dadaapay svaaha.
Varaha Mantra In Hindi
ॐ नमो भगवते वाराहरूपाय भूर्भुवः स्वः स्यात्पतेभूपतित्वं देह्यते ददापय स्वाहा।
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इसके पुरश्चरण में तान्त्रोक्त वराह मंत्र के एक लाख जप का विधान है। जप के दशांश का क्रमशः होम, तर्पण, मार्जन और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है। इससे मंत्र सिद्धि को प्राप्त होता है और मांत्रिक सिद्ध मंत्र से प्रयोगों को सिद्ध करता है।
ऐसी मान्यता है कि मंत्र का एक लाख जप करके उसके दशांश का घी, मधु व चीनी से सने कमल पुष्पों से होम और पीठ पर विष्णु का पूजन करना चाहिए। ध्यान करने से देवता धन और पूजा करने से भूमि प्रदान करते हैं। जप पूजा से उनके द्वारा धन-धान्य और श्री-संपन्नता प्राप्त होती है।
सिंह राशि में सूर्य हो तो शुक्ल पक्ष की अष्टमी को इस मन्त्र का दस हजार जप करना चाहिए। इससे शत्रु बाधा दूर होती है और मन्त्रिक के सभी कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न हो जाते हैं |
इस मंत्र से अमलतास की समिधाओं से तीन सौ आहुतियां देने वाला सभी संपदाएं प्राप्त करता है। चावलों की नित्यं एक सौ आठ आहुतियां देने वाला समृद्धि व यश से शोभित होता है।
इस मंत्र की 1008 आहुतियाँ 7 दिन देने से साधक को स्वर्ण की प्राप्ति होती है | शहद और धान से मिश्रित कर आहुतियाँ देने से साधक को मनोवाञ्छित पत्नी की प्राप्ति होती है | ये मंत्र अनुभूत और श्रेष्ठ मन्त्र है |
विनियोग
अस्य मंत्रस्य भार्गव ऋषिः । अनुष्टुप् छन्दः । आदिवाराहो देवता। सर्वेष्टसिद्धये जपे विनियोगः।
ऋष्यादिन्यास
भार्गव ऋषये नमः शिरसि ॥ अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे ॥ आदिवाराहदेवतायै नमः हृदि । विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे ॥
करन्यास
ॐ एकदंष्ट्राय अंगुष्ठाभ्यां नमः ॥
ॐ व्योमोल्काय तर्जनीभ्यां नमः ॥
ॐ तेजोधिपतये मध्यमाभ्यां नमः ॥
ॐ विश्वरूपाय अनामिकाभ्यां नमः ॥
महादंष्ट्राय कनिष्ठिकाभ्यां नमः ॥
हृदयादिपंचांगन्यास
ॐ एकदंष्ट्राय हृदयाय नमः ॥
ॐ व्योमोल्काय शिरसे स्वाहा ॥
ॐ तेजोधिपतये शिखायै वषट् ॥
ॐ विश्वरूपाय कवचाय हुं।
ॐ महादंष्ट्राय अस्त्राय फट् ।
इन मंत्रों से न्यास करना चाहिए।
ध्यान
आपादं जानुदेशाद्वरकनकनिभं नाभिदेशादधस्तान्मुक्ताभं कण्ठदेशात्तरुणरविनिभं मस्तकान्नीलभासम्।
ईडे हस्तैर्दधानं रथचरणदरौ खङ्गखेटौ गदाख्यां शक्तिं दानाभये च क्षितिधरणलसद्दंष्ट्रमाद्यं वराहम्॥
33 अक्षरी वाराहरूप विष्णु मंत्र प्रयोग शारदातिलक के अनुसार, वाराहरूप विष्णु मंत्र का तैंतीस अक्षरीय मंत्र और विधान इस प्रकार है
तान्त्रोक्त वराह मन्त्र |
ॐ नमो भगवते वाराहरूपाय भूर्भुवः स्वः स्यात्पतेभूपतित्वं देह्यते ददापय स्वाहा।
वाराह दंत जागरण मन्त्र
पर्व की रात्रि में तन्त्रोक्त पद्धति से प्राण-प्रतिष्ठित शूकर दंत को लाल कपड़े पर सामने रखें,निम्न मंत्र का 21 बार जप करें।
मंत्र:-“ह्रीं क्लीं श्रीं जाग्रय जाग्रय श्रीं क्लीं ह्रीं फट”।।
मंत्र बोलते हुये दंत को शुद्ध जल से स्नान करायें,फिर मूल मंत्र का रुद्राक्ष/सफ़ेद हकीक माला से निम्न लिखित मंत्र की 21 माला जप करें।
ॐ ह्रीं क्लीं श्री वराह-दन्ताय भैरवाय नम:॥
जप समाप्ति के बाद दन्त को गले में धारण करें,यह साधना करने के बाद किसी भी प्रकार का तंत्र बाधा,जादू टोना,भूत-पिशाच बाधा,ग्रह-बाधा हो समाप्त हो जाती है, लोगों का सम्मोहन होता है,व्यापार में वृद्धि होती है,सभी प्रकार के रोग समाप्त होते हैैं।
शत्रु परास्त होते हैं,माँ लक्ष्मी जी की कृपा सदैव प्राप्त होती रहती है,किसी प्रकार का मुकदमा चल रहा हो जीत अवश्य प्राप्त होती है,सबसे बढ़िया बात यह है किसी भी प्रकार के सुलेमानी तंत्र विद्या का असर साधक पर नहीं होता।