Shakti Vinayak Ganpati Mantra is a unique mantra of Lord Ganesha, using which the practitioner can subdue any man or woman. This method is mostly intended for people who are incredibly in love with someone but cannot get together for whatever reason.
Any man or woman can be subdued by employing this special mantra of Lord Ganesha.
This Ganapati mantra should only be used with good intentions. Another name for this mantra is the Shakti Vinayak mantra.
How to Practice Shakti Vinayak Ganpati Mantra
1. First, the seeker should worship their guru and chant the guru mantra four times. Afterward, light a ghee lamp in front of them. Worship Lord Ganesha with kumkum (vermillion) and flowers. Then, meditate on Lord Ganesha in this manner.
"I worship Ganesha, who has the aura of the rising sun, adorned with golden ornaments, holding the hook and akshasutra in his right hands, the tooth and noose in his left hands, and holding modak in his trunk, along with his wife. "
2. Then, sit facing the desired person's home and chant this mantra 11 times with a hypnotic rosary. Continue this ritual for 11 days. On the eleventh day, light a fire and offer 1008 oblations of ghee and honey mixed with salt. By doing this, any man or woman can be subdued.
Shakti Vinayak Ganpati Mantra
Om Hreem Greem Hreem
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जो व्यक्ति अपने मनचाहे व्यक्ति को वश में करने का गणपति मन्त्र। शक्ति विनायक वशीकरण मन्त्र।
यह भगवान् गणपति का अद्वित्य मन्त्र है जिसके प्रयोग से साधक किसी भी पुरूष या स्त्री को अपने वशीभूत कर सकता है। यह प्रयोग मूलत: उन साधकों के लिए है जो किसी से घनिष्ठ प्रेम करते हैं परन्तु किसी कारणवश उनका मिलाप नहीं हो पाता। इस गणपति मन्त्र को केवल सद्भावना स्वरुप ही प्रयोग करना चाहिए। इस मन्त्र को शक्ति विनायक मन्त्र भी कहा जाता है।
सबसे पहले साधक अपने गुरु का पूजन कर गुरु मन्त्र की चार माला मन्त्र जप करे। उसके पश्चात् अपने सामने घी का दीपक लगा दे। कुमकुम और पुष्पों से गणपति का पूजन करे। फिर भगवान् गणपति का इस प्रकार से ध्यान करें।
दाहिने हाथों में अङ्कुश एवं अक्षसूत्र बायें हाथों में विषाण (दन्त) एवं पाश धारण किए हुए तथा सूड़ में मोदक लिए हुए, अपनी पत्नी के साथसुवर्णरचित अलङ्कारों से भूषित उदीयमान सूर्य जैसे आभा वाले गणेश की मैं वन्दना करता हूँ।
फिर जिस दिशा में मनचाहे व्यक्ति का घर हो उस तरफ़ मुँह कर के बैठ जाए और सम्मोहन माला से 11 माला इस मन्त्र का जप करे। और यह प्रयोग 11 दिनों तक करें। फिर ग्यारवहें दिन अग्नि प्रज्वलित कर घी तथा मधु मिश्रित लवण की 1008 आहुति दें। ऐसा करने से किसी भी पुरूष या स्त्री को अपने वशीभूत किया जा सकता है।
और भगवांन गणपति का यह मन्त्र इस प्रकार है।
ॐ ह्रीं ग्रीं ह्रीं
अब शक्ति विनायक मन्त्र का उद्धार कहते हैं प्रारम्भ में तार (ॐ) उसके बाद माया (हीं), फिर त्रिमूर्ति ईकार चन्द्र (अनुस्वार) से युक्त पञ्चान्तक गकार हुताशन रकार (ग्रीं) और अन्त में शक्तिबीज (हीं) लगाने से चार अक्षरों का शक्ति विनायक मन्त्र निष्पन्न होता है ॥
इस मन्त्र के भार्गव ऋषि हैं, विराट् छन्द है, शक्ति से युक्त गणपति इसके देवता हैं। माया बीज (हीं) शक्ति है तथा दूसरा ग्रीं बीज कहा गया है, प्रणव सहित द्वितीय ग्र में अनुस्वार सहित ६ दीर्घस्वरों को लगा कर षडङ्गन्यास करना चाहिए, फिर ध्यान कर एकाग्रचित्त हो कर प्रभु श्रीगणेश का जप करना चाहिए ॥ ६०-६१ ॥
विनियोग: अस्य श्रीशक्तिविनायकमन्त्रस्य भार्गवऋषिः विराट्छन्दः शक्ति गणाधिपो देवता ह्रीं शक्तिः ग्रीं बीजमात्मनोभीष्ट सिद्धयर्थे विनियोग: |
ऋष्यादिन्यास:ॐ भार्गवाय ऋषये नमः शिरसि, विराट्छन्दसे नमः मुखे, ॐ शक्तिगणाधिपदेवतायै नमः हृदये, ॐ ग्रीं बीजाय नमः गुह्ये, ॐ ह्रीं शक्तये नमः पादयोः ।
षडङ्गन्यास: ॐ ग्रां हृदयाय नमः, ॐ ग्रीं शिरसे स्वाहा, ॐ यूँ शिखायै वषट्, ॐ मैं कवचाय हुम, ॐ ग्राँ नेत्रत्रयाय वौषट्, ॐ ग्रः अस्त्राय फट् ॥
ध्यान
दाहिने हाथों में अङ्कुश एवं अक्षसूत्र बायें हाथों में विषाण (दन्त) एवं पाश धारण किए हुए तथा सूड़ में मोदक लिए हुए, अपनी पत्नी के साथसुवर्णरचित अलङ्कारों से भूषित उदीयमान सूर्य जैसे आभा वाले गणेश की मैं वन्दना करता हूँ ॥
अब पुरश्चरण का प्रकार कहते हैं इस प्रकार ध्यान कर उक्त मन्त्र का चार लाख जप करना चाहिए । तदनन्तर मधुयुक्त अपूपों से दशांश होम करना चाहिए । फिर उसका दशांश तर्पणादि करना चाहिए ॥
पूर्वोक्त पीठ पर तथा केसरों में अङ्गदेवताओं का पूजन करना चाहिए । दलों में वक्रतुण्ड आदि का तथा दल के अग्रभाग में ब्राह्मी आदि मातृकाओं का, फिर दशों दिशाओं में दश दिक्पालों का, तदनन्तर उनके आयुधों का पूजन करना चाहिए । इस प्रकार यन्त्र पर पूजन कर मन्त्र का पुरश्चरण करने से मन्त्र की सिद्धि होती है॥
अब गणेश प्रयोग में विविध पदार्थों के होम का फल कहते हैं- घृत सहित अन्न की आहुतियों देने से साधक अन्नवान हो जाता है, पायस के ओम से तक्ष्मी प्राप्ति तथा गन्ने के होम से राज्यलक्ष्मी प्राप्त होती है। केला एवं नारिकेल द्वारा हवन करने से लोगों को वश में करने की शक्ति आती है। घी के हवन से धन प्राप्ति तथा मधु मिश्रित लवण के होम से स्त्री वश में हो जाती है। इतना ही नहीं अपूपों के होम से राजा वश में हो जाता है ॥