Uchchhishta Ganapati Mantra is an influential Tantric mantra of the Hindu god Ganesha or Ganapati. Uchchhishta Ganapati is the preceding deity of the Uchchhishta Ganapatya denomination, one of the six major academies of the Ganapatyas.
He is glorified mainly in Vamachara rituals. He is one of the thirty-two states of Ganesha, frequently mentioned in devotional literature.
The elephant-headed god is described to be red in the Mantra-Maharnava, wearing decent jewels, having 3 eyes, and sitting on a red lotus. Uchchhishta Ganapati has four arms, each hand having a weapon and a crescent moon on his head. The god has four arms and holds a pasha, an Ankush, and sugarcane in the third hand.
He is of endless glory and lord of the Vedas, So by being committed to Him, we can rest assured that He will take care of all our secular and spiritual needs.
Lord Ganesha’s worship satisfies all desires. A person looking for money becomes rich, a person looking for knowledge acquires it and a person looking for salvation attains it.
Uchchhishta Ganapati Sadhana is very easy to perform. Any mantric can use this mantra Sadhana to attain his goals.
Uchchhishta Ganapati Mantra Vidhi
उच्छिष्ट गणपति मंत्र
उच्छिष्ट गणपति की साधना करने में किसी भी प्रकार का बंधन नहीं है। उच्छिष्ट मंत्र जाप से साधक के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। यहां उच्छिष्ट गणपति के तंत्रोक्त कुछ मंत्र व साधना विधियां दी जा रही हैं। सर्वप्रथम साधक नित्य कर्मों से निवृत्त होकर संकल्प करें।
विनियोग
ॐ अस्य श्री उच्छिष्ट गणेश मन्त्रस्य सुमेध ऋषिः, गायत्रीच्छन्दः, उच्छिष्ट गणपति देवतां, गं बीजं, ह्रीं शक्तिः, आं क्रों कीलकम्, मम अभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ।
ऋष्यादिन्यास
- ॐ सुमेध ऋषये नमः, शिरसि ।
- ॐ गायत्री छन्दसे नमः, मुखे ।
- ॐ उच्छिष्ट गणपति देवता नमः हृदि ।
- ॐ गं बीजानि नमः, गुह्ये |
- ॐ ह्रीं शक्तिः नमः पादयो।
- ॐ आं क्रों कीलकं नमः, नाभौ ।
- विनियोगाय नमः, सर्वांगे।
करन्यास
- ॐ गां अंगुष्ठाभ्यां नमः ।
- ॐ गीं तर्जनीभ्या नमः ।
- ॐ गूं मध्यमाभ्यां नमः ।
- ॐ गैं अनामिकाभ्यां नमः ।
- ॐ गौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
- ॐ गः करतलकर पृष्ठाभ्यां नमः ।
हृदयादिन्यास
- ॐ गां हृदयाय नमः ।
- ॐ गीं शिरसे स्वाहा।
- ॐ गूं शिखायै वषट् ।
- ॐ गैं कवचाय हुम्।
- ॐ गौं नेत्रत्रयाय वौषट् ।
- ॐ गः अस्त्राय फट्।
ध्यान
रक्तमूर्तिं गणेशं च सर्वाभरण भूषितम्। रक्तवस्त्रं त्रिनेत्रं च रक्त पद्मासने स्थितम् ॥
चतुर्भुजं महाकायं द्विदन्त संस्मिताननम्। इष्टं च दक्षिणे हस्ते दन्तं च त्वपरः करे ॥
पाशांकुशौ च हस्ताभ्यां जटामण्डलवेष्टितम्। ललाटे चन्द्ररेखाढ्यं सर्वालंकार भूषितम् ॥
ध्यानोपरांत मूलमंत्र से अर्घ्य स्थापित कर अर्घ्य का जल साधक स्वयं पर छिड़कें। फिर भावना द्वारा अष्टदल कमल में गणपति का ध्यान कर मंत्रोच्चार से पूजा करें।
पूजाक्रम निम्नानुसार है:
- ॐ वक्रतुण्डाय स्वाहा।
- ॐ एकदन्ताय स्वाहा।
- ॐ लम्बोदराय स्वाहा ।
- ॐ विकटाय स्वाहा।
- ॐ विघ्नेशाय स्वाहा।
- ॐ गजवक्त्राय स्वाहा।
- ॐ विनायकाय स्वाहा।
- ॐ गणपतये स्वाहा।
- ॐ हस्तिमुखाय स्वाहा ।
मध्य में पूजन कर मूल मंत्र द्वारा गणपति की षोडशोपचार पूजा करें। फिर मंत्र जपें।
Uchchhishta Ganapati Mantra
उच्छिष्ट गणपति मूल मंत्र
हस्ति पिशाचिलिखे स्वाहा। हस्ति पिशाचिलिखे ढः ढः | गं हस्ति पिशाचिलिखे स्वाहा।
hasti pishaachilikhe svaaha. hasti pishaachilikhe dhah dhah. gam hasti pishaachilikhe svaaha.
काम्य कर्मान्तर्गत देवता को बलि देनी चाहिए। बलि में लड्डू (मोदक) गुड़, तिल की नैवेद्य सामग्री बनाकर नीचे दिए मंत्र का उच्चारण कर अर्पित करें।
बलि विधान
ॐ उच्छिष्ट गणेशाय महाकालाय एव बलिर्न मम |
साधक उपरोक्त मंत्र द्वारा बलि देकर आचमन दें। बलि कर्म के बाद दक्षिण दिशा में पुष्प डालकर क्षमा मांगते हुए विसर्जन करें।
यह मंत्र सोलह हजार बार जपने से सिद्ध हो जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी से शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तक नित्य पत्नी सहित जप करना चाहिए। सफेद या लाल चंदन की अंगूठे के माप की प्रतिमा बनवाकर उसमें प्राणों की प्रतिष्ठा करें। फिर तंत्रोक्त रीति से जाप करें।
तंत्रोक्त जाप रीति
- जूठे मुख से जाप का विधान है।
- देवता की पूजा का विधान नहीं है लेकिन मानसिक जाप का विधान है।
- स्वयं को ही गणेश मानकर मंत्र जाप करें।
- गर्ग मुनि के अनुसार पान चबाते हुए, भृगु मुनि के अनुसार फल भक्षण करते हुए तथा विभीषण के मतानुसार नैवेद्य का सेवन करते हुए जाप करना चाहिए।
तंत्रोक्त मंत्र की रीति व फल
- मूल मंत्र के साथ जिस व्यक्ति का नाम लेकर जाप किया जाए वह वशीभूत हो जाता है।
- विवाह के इच्छुक स्त्री-पुरुष पांच हजार बार मंत्र जाप करें तो मनपसंद जीवनसाथी मिलता है।
- एक करोड़ बार हवन करने से आठों सिद्धियां मिलती हैं। अपामार्ग की समिधा (हवनीय लकड़ी) से एक माला जाप तक हवन करने से सौभाग्य की बढ़ोतरी होती है।
- वानर की हड्डी की चार अंगुल की कील मूल मंत्र पढ़कर किसी के घर में दबा देने से उच्चाटन होता है।
- उपरोक्त कील शराब बनाने के स्थान पर रख दें तो शराब नष्ट हो जाती है।
- इसी प्रकार वैश्य के घर में इस कील को रख दिया जाए तो वह सभी जगह अपमानित होता है।
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