Baglamukhi Brahmastra Mantra | Benefits | ब्रह्मास्त्र मंत्र

Baglamukhi Brahmastra Mantra - Benefits - ब्रह्मास्त्र मंत्र

📅 Jul 27th, 2022

By Vishesh Narayan

Summary Baglamukhi Brahmastra Mantra is a mighty mantra to eliminate sins, enemies, poverty, and incurable diseases. She is also called Pitambaradevi, Shatrubuddhivinashini, and Brahmastra Roopini and she turns each thing into its opposite.


Baglamukhi Brahmastra Mantra is a mighty mantra to eliminate sins, enemies, poverty, and incurable diseases. The Peetambara Brahmastra Mantra also averts accidents, misfortune, and fear of weapons. The mantra delivers plenitude and finances in a shorter period.

Bagalamukhi is associated with magical powers, which are sometimes termed Siddhi or attainments. A particular Siddhi of Bagalamukhi is her magical power of Stambhana, the power to transfix, immobilize, or paralyze a person into silence.

People commonly learn Bagalamukhi as Pitambara in North India, the goddess associated with a yellow or golden color. She sits on a golden throne with pillars decorated with various jewels and three eyes, symbolizing that she can impart ultimate knowledge to the devotee.

Bagalamukhi is also called Pitambaradevi, Shatrubuddhivinashini, and Brahmastra Roopini and she turns each thing into its opposite.

Baglamukhi Brahmastra Mantra Benefits

  • इनकी उपासना से पानुसार पापकर्मों का नाश, उपद्रवों की शान्ति, कारागृह से मुक्ति, मृत्युसंकट से त्राण, असाध्य रोग एवं परप्रयोग निवारण, महाअस्त्रों एवं क्रूर ग्रहों की मारक दशा से रक्षा, दुःख-दरिद्रता-दुर्भाग्य के नाश एवं महालक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
  • इसके अतिरिक्त इनकी तंत्रोक्त उपासना से व्यक्ति में विलक्षण प्रतिभा एवं तेज की वृद्धि होती है| तथा वास्तविक दुष्ट शत्रुओं का स्वतः संहार होता है।
  • बगलामुखी मालामंत्र एक विशेष अस्त्र है, जिसके समुचित प्रयोग से साधक सर्व कार्यों को सिद्ध कर सकता है। साधारण कार्य के लिये 108 पाठ ही पर्याप्त हैं। विशेष संकटकाल में 1100 अथवा 11000 पाठ अवश्य करने चाहिये। तत्पश्चात् कामनानुसार दंशाश होम करें। इस उग्र विधान में नित्य शांति कर्म अनिवार्य हैं।
  • ब्रह्मास्त्रमालामंत्र सर्व शत्रुबाधा, प्रबलदुर्भाग्य एवं परकृत्यादि दोषों के सम्पूर्ण विनाश हेतु उत्तम विधान है। इसके सही प्रयोग से प्रचण्ड एवं अजेय शत्रु भी विचलित हो जाते हैं। सामान्यतः इस महामंत्र को घर में शुद्ध व एकान्त स्थान पर सिद्ध किया जा सकता है, परन्तु एकलिंग मन्दिर, शक्तिमन्दिर या श्मशान में यह प्रयोग महाफल प्रदान करता है।

स्वतंत्रतंत्र के अनुसार सत्ययुग में एक भीषण तूफान उत्पन्न हुआ जिसके उत्पात से सम्पूर्ण सृष्टि पर संकट छा गया। सृष्टि के पालनहार भगवान् विष्णु भी उस वातक्षोभ को शान्त न कर सके।

तब सृष्टि की रक्षा हेतु श्रीहरि ने सौराष्ट्र में हरिद्रा नामक सरोवर पर महात्रिपुरसुन्दरी की तपस्यारम्भ की। विष्णुजी की तपस्या से भगवती त्रिपुरसुन्दरी होकर प्रकट हुई। तब प्रसन्न हृदयस्थल से एक दिव्य तेज उत्पन्न हुआ ।

महात्रिपुरसुन्दरी के इस महातेज से प्रकट होकर भगवती पीताम्बरा ने उस भीषण तूफान का स्तम्भन किया। मंगलवार के दिन चतुर्दशी तिथि को मकारकुल नक्षत्रों का योग होने पर अर्द्धरात्रि (वीररात्रि) के समय इनका आविर्भाव हुआ।

यह विद्या विष्णु जी के स्मरण पर प्रकट हुई इसलिये इन्हें वैष्णवी भी कहा जाता है। अतः धन धान्य एवं सौभाग्यादि वृद्धि हेतु भगवती के साथ विष्णुजी की उपासना उत्तम फल प्रदान करती है।

Baglamukhi Brahmastra Mantra Vidhi

  • स्नानादि कर देवस्थल में भगवती की प्राणप्रतिष्ठित प्रतिमा, यंत्र या चित्र के समक्ष कार्यानुसार दिशा की ओर मुख करके पीतासन पर मेरुदण्ड सीधा कर बैठ जाये। पूरक, कुम्भक, रेचक द्वारा अन्तः शुद्धिकरण कर पीली सरसों या शुद्ध घृत का दीपक प्रज्जवलित कर उसमें महाविद्या बगलामुखी का ध्यान व पूजन करें।
  • सरसों के तेल में एक लौंग का जोड़ा और घृत में केसर या अखण्डित अक्षत रख दें। 'दीपकज्योतिर्नमोस्तुते' बोलकर पुष्प अक्षतादि अर्पित कर कर्मसाक्षी दीपक का पूजन कर मस्तक पर पीतचन्दन या हरिद्राचूर्ण का तिलक लगाकर बगलामुखी का पूजन करें।
  • ब्रह्मास्त्रमंत्र आरम्भ करने से पूर्व भगवती का पूजनादि कर उन्हें प्रसन्न कर, उनसे कार्य सिद्धि हेतु आशीर्वाद् मांगे। नित्य 108 पाठ 31, 36 या 41 दिनों तक करने का संकल्प लें। विशेष बाधा में विधिवत् 11000 पाठ करें।
  • अन्त में विधिवत् होमकर्म करें। रात्रि में साधना करने से शीघ्र फल मिलता हैं। कृष्णपक्ष की अष्टमी, चतुर्दशी, शनिवार या भौमवार से विधिपूर्वक प्रयोग आरम्भ करें। उग्रमंत्र होने के कारण नित्य शान्ति कर्म करें। सम्पूर्ण यमनियमों की जानकारी हेतु अपने गुरु की सहायता लें।

Baglamukhi Brahmastra Mantra

बगलामुखी ब्रह्मास्त्रमंत्र

ॐ नमो भगवति चामुण्डे नरकंक गृध्रोलूक परिवार सहिते श्मशानप्रिये नररुधिरमांस चरु भोजन प्रिये ! सिद्ध विद्याधर वृन्द वंदित चरणे बृह्मेशविष्णु वरुण कुबेर भैरवी भैरव प्रिये इन्द्रक्रोध विनिर्गत शरीरे द्वादशादित्य चण्डप्रभे अस्थि मुण्ड कपाल मालाभरणे शीघ्रं दक्षिण दिशि आगच्छ आगच्छ, मानय मानय, नुद नुद, सर्व शत्रुणां मारय मारय, चूर्णय चूर्णय, आवेशय आवेशय, त्रुट त्रुट, त्रोटय त्रोटय, स्फुट स्फुट, स्फोटय स्फोटय, महाभूतान् जृम्भय जृम्भय, ब्रह्मराक्षसान उच्चाटय उच्चाटय, भूत प्रेत पिशाचान् मूर्च्छय मूर्च्छय, मम शत्रुन उच्चाटय उच्चाटय,  शत्रून चूर्णय चूर्णय, सत्यं कथय कथय, वृक्षेभ्यः संन्नाशय संन्नाशय अर्कं स्तंभय स्तंभय , गरुड पक्षपातेन विषं निर्विषं कुरु कुरु, लीलांगालयवृक्षेभ्यः परिपातय परिपातय, शैलकाननमहीं मर्दय मर्दय, मुखं उत्पाटय उत्पाटय, पात्रं पूरय पूरय, भूतभविष्यं यत्सर्व कथय कथय, कृन्त कृन्त, दह दह, पच पच, मथ मथ, प्रमथ प्रमथ, घर्घर घर्घर, ग्रासय ग्रासय, विद्रावय विद्रावय उच्चाटय उच्चाटय, विष्णुचक्रेण वरुणपाशेन इन्द्रवज्रेण ज्वरं नाशय नाशय, प्रविदं स्फोटय स्फोटय , सर्वशत्रून मम वशं कुरु कुरु, पातालं प्रत्यंतरिक्षं आकाशग्रहं आनय आनय, करालि विकरालि महाकालि, रुद्रशक्ते पूर्वदिशं निरोधय निरोधय, पश्चिमदिशं स्तम्भय स्तम्भय, दक्षिणदिशं निधय निधय, उत्तरदिशं बंधय बंधय, ह्रां ह्रीं ॐ बंधय बंधय, ज्वालामालिनी स्तम्भिनी मोहिनि, मुकुट विचित्र कुण्डल नागादि वासुकी कृत हारभूषणे मेखला चन्द्रार्कहास प्रभंजने विद्युत्स्फुरित सकाश साट्टहास निलय निलय, हुं फट्, हुं फट् विजृंभित शरीरे सप्तद्वीप कृते ब्रह्माण्ड विस्तारित स्तन युगले असि मुसल परशु तोमर क्षुरिपाश हलेषु वीरान् शमय शमय, सहस्त्र बाहु परापरादिशक्ति विष्णु शरीरे, शंकर ह्रदयेश्वरी बगलामुखी ! सर्वदुष्टान् विनाशय विनाशय, हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ह्लीं बगलामुखी ये केचनापकारिणः सन्ति, तेषां वाचं मुखं स्तम्भय स्तम्भय, जिह्वां कीलय कीलय, बुद्धिं विनाशय विनाशय, ह्रीं ॐ स्वाहा !

ॐ ह्रीं हिली हिली सर्व शत्रुणां वाचं मुखं पदं स्तम्भय , शत्रुजिह्वां कीलय, शत्रूणां दृष्टिमुष्टि गति मति दंत तालु जिह्वां बंधय बंधय, मारय मारय, शोषय शोषय हुं फट् स्वाहा ।

Om namo bhagavatee chaamunde narakank gridhroluk parivaar sahit shmashaanpriy narrudhirmans, charu bhojanpriye! siddh vidyaadhar vrnd vandit charane brhmesh vishnu varun kuber bhairavee bhairav priye indrakrodh, vinirgit shareere, dvaadaashaditya chandprabhe asthi mund kapaal, maalaabharane, sheeghrm dakshin dishi aagaachha aagaachha manay manay, nud nud, sarv shatrunaam, maraya maraya, choornay, choornay, aaveshyay aaveshyay, trut trut, trotay trotay, sphut sphut, sphotay sphotay, mahaabhootaan jrimbhay jrimbhay, brahmaraakshan uchchatay uchchaatay, bhootpret pishachan moorchchay moorchchay, mam shatrun uchchatay uchchaatay, shatrun  choornay, choornay,  satyam kathay kathay Vrikshebhya: Sannashay Sannashay arkam Stambhya Stambhya  Garud Pakshpaten Vishm Nirvishm Kuru Kuru leelaangaalayavrkshebhy: paripaatay paripathay shailakaanamaheen marday maraday, mukham uttpatay utpaatay, patram purya purya bhootabhavishyan yat sarv kathay kathay, krint krint, dah dah, pach pach, math math,  pramath pramath gharghar gharghar, graasay graasay, vidravay vidravay uchchaatay uchchaatay, vishnuchakran varunpaashen indravajren jvaram naashay naashay, pravidam sphotay sphotay, sarvashatroon mam vasham kuru kuru, paataalam pratyantriksham aakaashagraham aanay aanay, karaali vikraalee mahaakaalee, rudrashakte poorvadishim nirodhay nirodhay, pashchimadishm stambhay stambhay, dakshinadishim nidhay nidhay, uttarashim bandhya bandhya, Hraam Hreem Om bandhya bandhya, Jwalamalini Stambhini Mohini krtribhay mukut Vichitr Kundal Naagadi Vasuki Kritharbhushne mekhala chandraarkahaas prabhanjane vidyutsphurit skash shatahaas nilay nilay, hum phat, hum phat vijrmbhit sharire saptdweep krte bramnad Vistarit stan yugle asi musul parshu tomar khshuripash halushu veeran shamay shamay sahasrbahu paraparidishakti vishnu sharire, shankar hrudyeshvaree bagalukhi ! sarvadushtaan vinashay vinashya hum phat svaaha .

om hreem bagalamukhiyeh kechnapakiran santi teshaam vaacham mukham stambhya stambhya, jihvaam keelya keelya buddhi vinashya vinashya hreem om svaaha !

om hree hilee hilee sarv shatrunaam vaacham mukhm padam stambhay, shatru jihvaam keelya, shatrunaan drshti mushty gati mati dant taalu jihvaam bandhya bandhya, marya marya , shoshay  shoshay hum phat svaaha.

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