अप्सरा सिद्धि के बाद जीवन का अनुभव | जय गुरुदेव| गुरु जी मेरी इच्छा अप्सरा साधना संपन्न करने की थी और मैंने सुना था कि रंभा उर्वशी मेनका आदि से भी श्रेष्ठ महत्वपूर्ण साधना सौन्दर्योंत्तमा अप्सरा साधना है |
और यदि उसकी विधि और मंत्र का कुछ का ज्ञान प्राप्त हो जाए तो जीवन भर की सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं और किसी भी प्रकार का अभाव या न्यूनता नहीं रहती|
गुरुजी यद्यपि मेरी आयु 50 साल के पास थी तब भी मेरा मन था कि मैं जीवन में सौन्दर्योंत्तमा अप्सरा साधना अवश्य करूँ| आपसे अप्सरा साधना की दीक्षा लेने का सौभाग्य मिला इस बार पूर्णतया विश्वास कि था साधना अवश्य करके ही दम लूंगा आपने बताया था यह 5 शुक्रवार की साधना है| मुझे पांचवें शुक्रवार को अनुभूतियाँ होना शुरू हो गई|
Life After Apsara Sadhana
रात्रि को 12:00 बजे के बाद जब मैं मंत्र जाप कर रहा था तो मुझे पायल की झंकार सुनाई पड़ी| एक क्षण के लिए तो मैं डर सा गया लेकिन थोड़ी देर बाद थोड़ा सा सामान्य हो गया| धीरे-धीरे पायल की झंकार मेरे नजदीक आती चली गई मुझे ऐसा लग रहा था कोई मेरे पास आता जा रहा है फिर भी मैं मंत्र जाप मे तल्लीन रहा|
कुछ देर मंत्र जाप करने के पश्चात किसी ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा| मैंने आंखें बंद रखी और मंत्र जाप करता गया सुबह 4:00 बजे जब मेरा मंत्र जाप पूर्ण हुआ तो मैंने देखा एक अत्यंत ही सुंदर कमनीय षोडश वर्ष कि एक स्त्री मेरे सामने दिव्य वस्त्रों में बैठी हुई थी|
उसकी वस्त्र लाल रंग के थे और उसने फूलों से और दिव्य आभूषणों से श्रृंगार किया हुआ था| उसका चेहरा अंडाकार था और उसके ललाट पर लाल रंग की बिंदी लगी हुई थी|
उसकी आंखें बड़ी बड़ी थी सुंदर कजरारी | आंखें मेरी तरफ टकटकी लगाकर की तरफ कर देख रही थी ऐसा लग रहा था उसके सौंदर्य से कमरे में हजारों चंद्रमा खिल गए हो बदन से मन मोहक खुशबू आ रही थी| लग रहा था कमरे में ताजे गुलाब ही गुलाब बिखर गए हो|
कुछ देर के लिए तो मैंने सोचा कि मेरा दिमाग खिसक गया है और मैं पागल हो गया हूं| कभी मेरे मन में यह विचार आता कि कहीं मैं स्वपन में तो नहीं हूं|
उसके घोर यौवन कुछ क्षण निहारने के पश्चात पश्चात मैं विचलित होना शुरू हो गया| मेरा अपने आप पर नियंत्रण पाना कठिन हो गया था पर गुरु जी आपने आज्ञा दी थी कि किसी भी सूरत में आसन से उठना नहीं है और अपनी तरफ से कोई भी हरकत नहीं करनी है| मैं अत्यंत ही कठिनाई से अपने आसन पर बैठा रहा|
वह कुछ आगे बढ़ी और सटकर बैठ गई और मुझसे बोली कि अब तो साधन संपन्न हो गई है अब क्यों माला घुमाय जा रहे हो और उसने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी| इसके बाद मैंने भी फूल माला उसके गले में डाल दी और उस से वचन लिया लिया कि वह जीवन पर्यंत मेरे साथ प्रेयसी के रूप में रहे|
इस साधना करने के पश्चात मैं अपने आप को सातवें आसमान पर बैठा महसूस कर रहा था| गुरुजी साधना को किए मुझे 3 साल हो गए हैं और इन 3 वर्षों में मेरा जीवन पूर्णता बदल गया है|
गुरु जी इस साधना को करने के पश्चात मेरा चेहरा बदल गया है मेरे चेहरे पर और आभामंडल आ चुका है| लोग मुझे देखते ही मेरी तरफ आकर्षित होते हैं|
इन वर्षों में मैंने जीवन में कभी दरिद्रता और दुख को नहीं देखा मेरे धन मान सम्मान में वृद्धि हुई है| अब जब मैं चाहूं वह मेरे सामने प्रेयसी के रूप में पूर्ण नम्रता के साथ बनी रहती है| यह सब आपकी कृपा से हि संभव हुआ है |
आपका अपना
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