Krodh Bhairav Mantra | क्रोध भैरव मंत्र

Krodh Bhairav Mantra - क्रोध भैरव मंत्र

📅 Feb 11th, 2023

By Vishesh Narayan

Summary Krodh Bhairav Mantra is a powerful mantra of Lord Shiva which is used to demolish enemies. The Krodha Bhairava Mantra is used to eliminate the hidden enemies which are not known but are putting hurdles in the life of the seeker.


Krodh Bhairav Mantra is a powerful mantra of Lord Shiva which is used to demolish enemies. Lord Bhairav is a fierce incarnation of Lord Shiva. The mighty mantra has the divine ability to destroy not only external enemies but also demolish internal enemies like diseases, lusts, and sins of the seeker.

The Krodha Bhairava Mantra is used to eliminate the hidden enemies which are not known but are putting hurdles in the life of the seeker. Sometimes some friends or relatives appear to be friendly but inside they try to malign our reputation and put hurdles in life.

The origin of Bhairava can be outlined in the conversation between Lord Brahma and Lord Vishnu narrated in “Shiv Maha-Puran” where Lord Vishnu asks Lord Brahma who is the supreme creator of the Universe. Arrogantly, Brahma describes Vishnu as worshipping him because he (Brahma) is the supreme creator. This angered Shiva who then incarnated in the form of Krodh Bhairava to discipline Brahma.

Bhairava beheaded one of Brahma’s five heads and since then Brahma has only four heads. When depicted as Krodha Bhairava, Bhairava is shown carrying the decapitated head of Brahma. Cutting off Brahma’s fifth head made him guilty of the crime of killing, and as a result, he was forced to carry around the head for years and roam as Bhikshatana, a mendicant, until he had been absolved of the sin.

In the form of the frightful Bhairava, Shiva is said to be guarding each of these Shaktipeeths. Each Shaktipeeth temple is accompanied by a temple dedicated to Bhairava.

How To Practice Krodh Bhairav Mantra

  • The seeker can start this mantra sadhana before sunrise. 3 am to 6 am is the best time to perform this mantra ritual.
  • The seeker should wear a black colored dress and sit on any black mat or asana.
  • Face South direction and lit a lamp.
  • Install Bhairav Yantra on a wooden plate and worship the Bhairava.
  • Take some water in your right hand and perform the Sankalp to punish enemies or destroy diseases.
  • With energized black Hakik Mala chant 5 mala of this mantra.
  • Do this for 3 days and witness the results quickly.

Krodh Bhairav Mantra

Om Bhram Bhram Bhram Krodh Bhairavay Mama Smast Gupt Shatroon Uchchatay Bhram Bhram Bhram Phat

क्रोध भैरव मंत्र

 ॐ भ्रं भ्रं भ्रं क्रोध भैरवाय मम समस्त गुप्त शत्रून उच्चाटय भ्रं भ्रं भ्रं फट् ।

भगवान् भैरव विघ्नहर्ता एवं ज्ञानप्रदाता हैं। क्रोधराज की उपासना से संसार के समस्त पाश, दुःख, रोगविकार, बन्धन एवं शत्रु आदि विनष्ट हो जाते हैं और मान-सम्मान तथा प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।

कोई भी तांत्रिक सिद्धि इनकी कृपा के बिना मनुष्य सिद्ध नहीं कर सकता समस्त गुप्त सिद्धियों की चाबी महाविकराल भैरवजी के चरणों में ही विराजित रहती है। इसके अतिरिक्त दस महाविद्याओं के साथ उनके भैरव या शिव की दशांश पूजा करने का निर्देश भी तंत्रशास्त्रों में है।

Another Krodh Bhairav Mantra To Demolish The Enemies

भगवान क्रोध भैरव के सबंध में भी ऐसा ही है. यह स्वरुप क्रोध का ही साक्षात स्वरुप है अर्थात पूर्ण तमस भाव से युक्त स्वरुप. यह स्वरुप पूर्ण तमस को धारण करने के कारण साधक को अत्यधिक तीव्र रूप से तथा तत्काल परिणाम की प्राप्ति होती है. इनकी उपासना शत्रुओ के मारण, उच्चाटन, सेना मारण आदि अति तीक्ष्ण क्रियाओं के लिए होती आई है | 

वस्तुतः इनकी साधना इतनी प्रचलित नहीं है इसके पीछे भी कई कारण है, खास कर इनकी संहारात्मक प्रकृति. इसी लिए भयवश भी इनकी साधना साधक नहीं करते है, साक्षात् तमस का रूप होने के कारण इनके प्रयोग असहज भी है तथा थोड़े कठिन भी |

प्रस्तुत साधना भगवान के इसी स्वरुप की साधना है जिसको पूर्ण कर लेने पर साधक इसका प्रयोग अपने किसी भी शत्रु पर कर उसको जमींन चटा सकता है, शत्रु के पुरे घर परिवार को भी तहस महस कर सकता है, यह प्रयोग भी सिर्फ सिद्धो के मध्य ही प्रचलित रहा है क्यों की भले ही यह प्रयोग उग्र है लेकिन इसमें ज्यादा समय नहीं लगता है तथा एक बार साधना सम्प्पन कर लेने पर साधक उससे जीवन भर लाभ उठा सकता है | 

यह प्रयोग अत्यधिक तीव्र प्रयोग है अतः साधक अपनी विवेक बुद्धि के अनुसार स्वयं की हिम्मत आदि के बारे में सोच कर ही प्रयोग करे, प्रयोग के मध्य साधक को तीव्र अनुभव हो सकते है |

साधक को अगर कोई व्यक्ति अत्यधिक परेशान कर रहा हो तथा बिना कारण अहित किये जा रहा हो तब यह प्रयोग करना उचित है लेकिन सिर्फ किसी को बेवजह परेशान करने के उद्देश्यआदि को मन में रख कर यह प्रयोग नहीं करना चाहिए वरना साधक को इसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है | 

  • साधक को इस प्रयोग को रक्षात्मक रूप से लेना चाहिए तथा अपनी तथा घर परिवार की सुरक्षा के लिए साधक यह प्रयोग कर सकता है |
  • यह प्रयोग साधक किसी भी अमावस्या या कृष्ण पक्ष अष्टमी को स्मशान में या निर्जन स्थान में करे |
  • समय रात्रि में १० बजे के बाद का रहे |
  • साधक काले रंग के वस्त्र को धारण करे तथा काले रंग के आसन पर बैठे |
  • साधक का मुख दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए |
  • साधक अपने सामने भैरव का कोई विग्रह या चित्र स्थापित करे, उस पर सिन्दूर अर्पित करे |
  • साधक गुरु पूजन कर चित्र या विग्रह का पूजन करे. साधक लाल रंग के पुष्प का प्रयोग करे. साधक को किसी पात्र में मदिरा भी अर्पित करनी चाहिए | 

इसके बाद साधक को गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए. जाप के बाद साधक न्यास करे |

करन्यास
भ्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
भ्रीं तर्जनीभ्यां नमः
भ्रूं मध्यमाभ्यां नमः
भ्रैं अनामिकाभ्यां नमः
भ्रौं कनिष्टकाभ्यां नमः
भ्रः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः

हृदयादिन्यास
भ्रां हृदयाय नमः
भ्रीं शिरसे स्वाहा
भ्रूं शिखायै वषट्
भ्रैं कवचाय हूं
भ्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्
भ्रः अस्त्राय फट्

न्यास के बाद साधक रुद्राक्ष माला से निम्न मन्त्र की ५१ माला मन्त्र जाप करे |

ॐ भ्रं भ्रं भ्रं क्रोधभैरवाय अमुकं उच्चाटय भ्रं भ्रं भ्रं फट्
(OM BHRAM BHRAM BHRAM KRODHBHAIRAVAAY AMUKAM UCCHAATAY BHRAM BHRAM BHRAM PHAT)

मन्त्र जाप पूर्ण होने पर साधक वहीँ पर किसी पात्र में आग प्रज्वलित कर के १०८ आहुति बकरे के मांस में या इसके प्रतिरूप में शराब को मिला कर अर्पित करे. भोग के लिए अर्पित की गई मदिरा वहीँ छोड़ दे. दूसरे दिन किसी श्वान को दहीं या कुछ भी अन्य खाध्य प्रदार्थ खिलाएं |

इसके बाद साधक को जब भी प्रयोग करना हो तो साधक को रात्री काल में १० बजे के बाद उपरोक्त क्रियाओं अनुसार ही पूजन आदि क्रिया कर इसी मन्त्र की १ माला मन्त्र का जाप कर १०१ आहुति शराब तथा बकरे के मांस या इसके प्रतिरूप को मिला कर देनी चाहिए|

मन्त्र में "अमुकं" की जगह सबंधित व्यक्ति या शत्रु का नाम लेना चाहिए जिसके ऊपर प्रयोग किया जा रहा हो, इस प्रकार करने से उस व्यक्ति का उच्चाटन हो जाता है तथा वह साधक के जीवन में कभी परेशानी नहीं डालता |

अगर साधक प्रयोग की आहुति देने के बाद निर्माल्य या भष्म को उठा कर शत्रु के घर के अंदर दाल देता है तो शत्रु का पूरा घर परेशान हो जाता है, घर के सभी सदस्यों को दुःख एवं कष्ट का सामना करना पड़ता है तथा शत्रु पूर्ण घर परिवार सहित बरबाद हो जाता है |


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