Aghor Shiv Mantra is a divine mantra to obtain the blessings of Lord Shiva in Aghora form. The mantra provides tremendous positive results to the seeker who practices it. The mantra can be used to eliminate many kinds of Tantra and Tantrik Kriyas.
The mantra not only provides success in life but also frees the seeker from any negative impacts, The mantra minimizes the malefic effects of all nine planets. The mantra restores the perfect health of the seeker and the other infected person. The sadhana clears the ill effects of the previous birth Karmas.
The aghor sadhana paves a path to attain siddhis in other Shiva sadhana. Once the siddhi of this aghor mantra, the seeker remains free from the effects of all Tantrik Kriyas throughout his life.
The seeker may feel some weird experiences while doing this sadhana. Sometimes his body may get heated dramatically but the seeker should remain free from the fears as these weird signals are the signs of success in mantra sadhana. Some seekers have also got the Sakshat Darshan of Lord Mahadev while attempting this sadhana.
How To Perform Aghor Shiv Mantra Sadhana
The most appropriate time to complete this sadhana is Shiva Kalpa, hence you should complete it in Shiva Kalpa only. If this is not possible then it can be started from any Monday in the month of Shravan, but if it is done on the occasion of Shivakalpa and Mahashivratri then it is considered very best.
This sadhana should be started after 10 pm. In this sadhana, the seeker should wear a black colored dress. The seeker's face should be towards the north-east direction. Use Energized Rudraksha Mala or Black Hakik Mala. Parad Shivalinga is required in this sadhana and this sadhana is performed on it. If you do not have Parad Shivling, then perform this sadhana on the Shivling that you worship.
Before doing Mool Sadhana, do normal Guru Puja and chant four rosaries of Guru Mantra. Then mentally take Guru's permission from Sadgurudev to complete Aghore Shwar Shiva Sadhana and request him for the completion and success of the Sadhana.
After that do brief Ganesha worship and chant one rosary of any Ganesha mantra. Then pray to Lord Ganapati for the smooth completion and success of the sadhana.
Since this is a tantric mantra practice. Therefore, it is necessary to create a barrier and a protective circle in this sadhana. For this, take mustard seeds in your right hand and chant the mantra "Ram" 108 times. Take these invited mustard seeds little by little with your left hand and throw them in ten directions respectively while reciting the following mantra:
"Om Vajrakrodhay Mahadantay Das Disho Bandh-Bandh Hum Phat Swaha"
After this, a circular circle should be made around the seat with a nail or a sharp iron object while reciting the mantra "Om Ram Agni-Prakaraya Namah", so that you will be protected from invisible powers.
After that, while reciting the Mahamrityunjaya Mantra, mix ashes and sandalwood and apply Tilak on your forehead by saying this mantra:
"Om Trimbakam Yajamahe Sugandhi Pushtivardhanam Urvarukamiv Bandhanan Mrityormukshiya Mamritat"
After this, do general worship of Parad Shivling with sandalwood mixed with ash, Akshat, flowers, etc., and offer any sweet as an offering.
Then before chanting the mantra, one should praise Lord Aghoreshwar Shiva with folded hands as follows----
Jai Shambho Vibho Aghoreshwar Swayambho Jaishankar.
Jayeshwar Jayeshan Jai Jai Jai Sarvajna Kamadam ॥
In this sadhana, Aghoreshwar Shiva Mantra is chanted 21 times with Kali Hakik rosary or Rudraksh rosary. The mantra is as follows----
Aghor Shiv Mantra
OM HREEM HREEM HUM AGHOREBHYO SARVA SIDDHIM DEHI-DEHI AGHORESHWARAAYE HUM HREEM HREEM OM PHAT.
Even after chanting the mantra, it is necessary to pray as above. Therefore, again with folded hands, praise (pray) Lord Aghoreshwar Shiva----
Jai Shambho Vibho Aghoreshwar Swayambho Jaishankar.
Jayeshwar Jayeshan Jai Jai Jai Sarvajna Kamadam ॥
After praying in this way, leave a little water on the ground and dedicate all the chanting to Lord Aghoreshwar Shivji.
This sadhana should be performed daily for eleven days so that all the work is completed without any hindrance and you get the blessings of Bhole Baba Shiv Shankar. On the last day, after the completion of Sadhana, offer five Bilva leaves, water with milk, Akshat (rice), fragrance, clothes, flowers, laddus, and Dakshina while reciting the basic mantra.
इस साधना से सभी प्रकार के ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है, सभी साधनाओं में पूर्ण सफलता मिलती है, सभी प्रकार के तन्त्र प्रयोगों से सुरक्षा प्राप्त होती है। अगर पुराना कोई मन्त्र-तन्त्र दोष किसी साधक के जीवन में हो, चाहे वह इस जन्म का हो या पूर्वजन्म का हो तो वह भी समाप्त हो जाता है। चाहे साबर मन्त्र हो, वैदिक हो या अघोर मन्त्र हो, इन सभी में इस साधना को सम्पन्न करने के पश्चात पूर्ण सफलता मिलती है।
साधना के समय शरीर में बहुत ज्यादा गर्मी महसूस होगी, ऐसे समय में घबराना मत और साधना को अधूरा नहीं छोड़ना है। ऐसे समय में दुर्गन्ध या डरावनी आवाज़ आ सकती है तो यह भी आपकी साधना में सफलता के लक्षण हैं, जिसे आपको महसूस करना है। इस साधना के माध्यम से भोले बाबा अपने भक्तों को स्वप्न में दर्शन भी प्रदान करते हैं और आशीर्वाद भी।
साधना विधान :
इस साधना को सम्पन्न करने का सर्वाधिक उपयुक्त समय शिवकल्प ही है, अतः आप इसे शिवकल्प में ही सम्पन्न करें। यदि यह सम्भव न हो तो इसे श्रावण मास में किसी भी सोमवार से शुरू किया जा सकता है, लेकिन यदि इसे शिवकल्प और महाशिवरात्रि के अवसर पर सम्पन्न किया जाए तो यह अत्यधिक श्रेष्ठ माना गया है।
यह साधना रात्रि १० बजे के बाद आरम्भ करना चाहिए। इस साधना में आसन-वस्त्र काले रंग के उत्तम होते हैं, परन्तु यदि आपके पास उपलब्ध न हो तो, जो भी उपलब्ध हो, उसे ही इस्तेमाल करें। ईशान दिशा की ओर साधक का मुख हो, माला रुद्राक्ष या काले हकीक की हो। इस साधना में पारद शिवलिंग की आवश्यकता होती है और उसी पर यह साधना सम्पन्न की जाती है। यदि आपके पास पारद शिवलिंग नहीं है तो फिर जिस शिवलिंग का पूजन आप करते हैं, उसी पर यह साधना सम्पन्न करें।
मूल साधना से पूर्व सामान्य गुरुपूजन करें एवं गुरुमन्त्र की चार माला जाप करें। फिर सद्गुरुदेवजी से अघोरेश्वर शिव साधना सम्पन्न करने हेतु मानसिक रूप से गुरु-आज्ञा लें और उनसे साधना की पूर्णता एवं सफलता के लिए निवेदन करें।
तदुपरान्त संक्षिप्त गणेश पूजन करें और किसी भी गणेश मन्त्र का एक माला जाप करें। फिर भगवान गणपतिजी से साधना की निर्विघ्न पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करें।
चूँकि यह एक तान्त्रिक मन्त्र साधना है। इसलिए इस साधना में दिग्बन्धन और सुरक्षा घेरा बनाना आवश्यक है। इसके लिए दाहिने हाथ में सरसों के दाने लेकर "रं" बीजमन्त्र का १०८ बार उच्चारण करते हुए अभिमन्त्रित कर लें। इन अभिमन्त्रित सरसों के दानों को बाएँ हाथ से थोड़े-थोड़े लेकर निम्न मन्त्र का उच्चारण करते हुए क्रमशः दसों दिशाओं में फेंकते जाएं -----
॥ ॐ वज्रक्रोधाय महादन्ताय दश दिशो बन्ध-बन्ध हूं फट् स्वाहा ॥
इसके बाद आसन के चारों ओर कील या लोहे की धारदार वस्तु से "ॐ रं अग्नि-प्राकाराय नमः" मन्त्र का उच्चारण करते हुए गोलाकार घेरा बना लेना चाहिए, जिससे आपकी अदृश्य शक्तियों से रक्षा हो।
तत्पश्चात महामृत्युंजय मन्त्र का उच्चारण करते हुए भस्म और चन्दन को मिलाकर अपने मस्तक पर तिलक लगाएं -----
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
इसके बाद पारद शिवलिंग का सामान्य पूजन भस्म मिश्रित चन्दन, अक्षत, पुष्प आदि से करके भोग में कोई भी मिष्ठान्न अर्पित करें।
फिर मन्त्र जाप से पूर्व हाथ जोड़कर भगवान अघोरेश्वर शिव की निम्नानुसार स्तुति करनी चाहिए -----
जय शम्भो विभो अघोरेश्वर स्वयंभो जयशंकर।
जयेश्वर जयेशान जय जय जय सर्वज्ञ कामदम्॥
इस साधना में काली हकीक माला या रुद्राक्ष की माला से अघोरेश्वर शिव मन्त्र का २१ माला जाप किया जाता है। मन्त्र इस प्रकार है -----
मन्त्र :
॥ ॐ ह्रां ह्रीं हूं अघोरेभ्यो सर्वसिद्धिं देहि-देहि अघोरेश्वराय हूं ह्रीं ह्रां ॐ फट् ॥
मन्त्र जाप के उपरान्त भी उपरोक्तानुसार प्रार्थना करना आवश्यक है। अतः पुनः हाथ जोड़कर भगवान अघोरेश्वर शिव की स्तुति (प्रार्थना) करें -----
जय शम्भो विभो अघोरेश्वर स्वयंभो जयशंकर।
जयेश्वर जयेशान जय जय जय सर्वज्ञ कामदम्॥
इस प्रकार प्रार्थना (स्तुति) करने के बाद एक आचमनी जल भूमि पर छोड़कर समस्त जाप भगवान अघोरेश्वर शिवजी को समर्पित कर दें।
यह साधना नित्य ग्यारह दिन तक सम्पन्न करना चाहिए, ताकि सर्व कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो और आपको भोले बाबा शिव शंकर का आशीर्वाद प्राप्त हो। अन्तिम दिन साधना समाप्ति के बाद पाँच बिल्वपत्र, दुग्ध युक्त जल, अक्षत (चावल), गन्ध, वस्त्र, पुष्प, लड्डू का भोग, दक्षिणा मूल मन्त्र बोलकर चढ़ाएं।