Karya Siddhi Hanuman Tantra

Karya Siddhi Hanuman Tantra

📅 Sep 13th, 2021

By Vishesh Narayan

Summary Karya Siddhi Hanuman Tantra is a tantra to accomplish the tedious task easily. The tantra is used to destroy the enemies, eradicate incurable diseases, attract a particular person, and remove the black magic.


Karya Siddhi Hanuman Tantra is a tantra to execute tiresome tasks easily. The tantra is used to eradicate the enemies, eliminate incurable diseases, seduce a particular person, and extract the black magic.

Any sadhak can accomplish all the wishes with Hanuman Tantra. Lord Hanuman is the incarnation of Lord Shiva.

Lord Hanuman is swift as mind, has a speed equal to the wind God, has complete control of his senses, the son of the wind god, the one who is the chief of vanara army, is the messenger of Rama, is the repository of incomparable strength, is the destroyer of forces of demons and liberates from dangers.

महोदधि के अनुसार हनुमान बारह अक्षरीय मंत्र और इसका विधान इस प्रकार है: –
 

Hanuman 12 Lettered Mantra

हौं ह्स्फ्रें ख्फ्रें ह्सौं हस्खफ्रें ह्सौं हनुमते नमः
Haum Hasphrem Khphrem Hasaum Hasakhaphrem Hasaum Hanumate Namah:

विनियोगः

अस्य हनुमन्मंत्रस्य रामचन्द्र ऋषिः। जगती छन्दः। हनुमान् देवता। हसौं बीजम्। हस्फ्रें शक्तिः। सर्वेष्टसिद्धये जपे विनियोगः।

ऋष्यादिन्यास

ॐ रामचन्द्र ऋषये नमः शिरसि॥
जगती छन्दसे नमः मुखे।॥
हनुमढेवतायै नमः नमः गुह्ये॥
हस्फ्रें शक्तये नमः ॥
विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे।।

हृदयादिषडंगन्यास

ॐ हौं हृदयाय नमः॥
ॐ हस्फ्रें शिरसे स्वाहा॥
ॐ ख्रें शिखायै वषट ॥
ॐ हसी ॐ हस्ख्फें नेत्रत्रयाय वौषट्॥
ॐ हसौं अस्त्राय फट्।।

मंत्रवर्णन्यास

हौं नमः मूर्ध्नि॥
हस्फ्रें नमः भाले॥
ख्क्रें नमः नेत्रयोः ॥
हसौं नमः मुखे हस्छ नव हसौं नमः बाह्रौः॥
हं नमः हृदि ॥
नुं नमः कुक्षौ ॥
मं नमः नाभौ।।
तें नमः लिया गया जानुध्येः॥
मं नमः पादयोः॥

इस विधि से वर्णन्यास किया जाता है।

हनुमान ध्यान

बालार्कायुततेजसं त्रिभुवनप्रक्षोभकं सुन्दरं सुग्रीवादिसमस्तवानरगणैः संसेव्यपादाम्बुजमानही
समस्तराक्षसगणान्सन्त्रासयन्तं प्रभुं श्रीमद्रामपादाम्बुज स्मृतिरतं ध्यायामि वातात्मजम्।

How To Use The Karya Siddhi Hanuman Tantra

  • इसके पुरश्चरण में मंत्र के बारह हजार जप का विधान है । जप के दशांश का होमादि किया जाता है। इससे मंत्र सिद्धि को प्राप्त होता है। * सिद्ध मंत्र से मांत्रिक प्रयोगों को सिद्ध करता है।
  • किसी सिद्ध योग में मंत्र को प्राण प्रतिष्ठित मूँगे की माला से सिद्ध कर लें । साधक अपने समक्ष प्राण प्रतिष्ठित हनुमान विग्रह या हनुमान यन्त्र को रख सकता है |
  • ऐसी मान्यता है कि ध्यानपूर्वक एकाग्रता से मंत्र का बारह हजार जप करने के बाद उसके दशांश का होम दूध,दही व घी मिले धान से करना चाहिए।
  • मंत्र सिद्धि के बाद मात्रिक को स्वयं या अन्य का इष्ट सिद्ध करना चाहिए।
  • केला बिजौरा व आम से एक हजार आहुतियां देने के बाद बाईस ब्रह्मचारियों व ब्राह्मणों को भोज देना चाहिए |
  • इससे महाभूत, विष, चोरादि उपद्रवों, विद्वेषियों तथा ग्रह व दानवादि का क्षणमात्र में नाश होता है।
  • यदि जल को इस मंत्र के एक सौ आठ जप से अभिमंत्रित किया जाए तो विष का प्रभाव समाप्त होता है।
  • रात को दस दिन तक निरंतर इस मंत्र का नौ सौ जप करने वाले को राज व शत्रु भय से छुटकारा मिल जाता है।
  • अभिचार व भूत से उपजे ज्वर की स्थिति में इस मंत्र से जल या भस्म को अभिमंत्रित करके क्रुद्ध होकर उससे रोगी को प्रताड़ित करने से वह तीन दिन में स्वस्थ व सुखी होता है।
  • मंत्र से अभिमंत्रित औषधि का सेवन करके अस्वस्थ व्यक्ति निरोगी होता है, यह ध्रुव सत्य है।
  • इस मंत्र से अभिमंत्रित जल पीने के बाद इस मंत्र का पाठ करके जो व्यक्ति स्वदेह में भस्म लेपन करता है, तदन्तर मंत्र को जपते हुए समर में जाता है तो उसे अस्त्र-शस्त्र बाधित नहीं कर पाते।
  • शस्त्र या अन्य घाव, चर्मरोग व फोड़े आदि पर मंत्र से तीन बार अभिमंत्रित भस्म लगाई जाए तो उनको सूखने में देर नहीं लगती।
  • देह पर चंदन लगाकर अभिमंत्रित भस्म व जल खाद्यादि में मिलाकर जिसे भी खिलाया जाए तो वह दासवत हो जाता है।
  • इस विधि से क्रूर पशुओं को भी वश में किया जा सकता है।
  • करंज वृक्ष की ईशान कोण वाली जड़ से हनुमान की प्रतिमा बनाकर उसमें प्राणप्रतिष्ठा के उपरांत उसे सिंदूर से लेपकर मंत्र जपते हुए घर के दरवाजे पर गाड़ना चाहिए।
  • इसके प्रभाव से घर में भूत, अभिचार, चोर, अग्नि, विष, रोग व् राजा आदि के उपद्रव समाप्त होते हैं। घर में सदैव पुत्र व धन आदि का आगमन होता है।
  • रात को श्मशान भूमि की मिट्टी अथवा भस्म से शत्रु की मूर्ति बनाने के बाद हृदय पर उसका लिखकर प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए।
  • अब इस मंत्र के अंत में शत्रु का नाम, छिधि, भिंधि, मारय जोड़ कर शत्रु का मंत्र जपते हुए शस्त्र से प्रतिमा खंडित कर देनी चाहिए।
  • फिर दांतों से होंठ भींचकर प्रतिमा को हथेलियो से मसलना चाहिए और उसे धूल में मिलाकर वापस घर जाना चाहिए।
  • निरंतर सात दिन तक यह क्रिया करने से शिव रक्षित शत्रु का मरण भी निश्चित है।

नोट : अपने गुरुदेव से दीक्षा लेकर ही इस हनुमान तंत्र का प्रयोग करना चाहिए |


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