Get The Divine Grace of Devi with Annapurna Mantra for Prosperity. Devi Annapurna is regarded as the goddess of plenty, food, and harvest. Annapurna is the Hindu Goddess of nourishment.
Anna means “food” or “grains”. Purna means “full, complete, and perfect”. She is an avatar (form) of Parvati, the wife of Lord Shiva. Annapurna is a manifestation of Parvati and is known as the Hindu goddess of food and nourishment. Worship and offering of food are highly praised in Hinduism, and therefore, the goddess Annapurna is regarded as a popular deity.
Devi Annapurna gives nourishment, is the strength of Shiva, is Adi Sakthi, is the cause of creation & dissolution, is beyond Maya, manifests truth & efficiency, is the Supreme welfare, takes away all fear, and is the grantor of knowledge.
This mantra is chanted especially to get the grace of Devi Annaporana on the occasion of Navratri days and the day of Margasheersha Purnima.
How To Chant The Annapurna Mantra for Prosperity
- This mantra is very effective & the Sidh mantra of Durga.
- Wear Red clothes for this purpose.
- Worship Goddess Durga with incense & flowers.
- Lit a ghee lamp before the picture of Goddess Durga.
- Chant 11 rosaries of this mantra.
- Perform this mantra chant for 1 day only to have prosperity in life.
- Offer some gifts to small girls.
Annapurna Mantra
ॐ श्रीं अन्नपूर्णे भगवती ॐ नमः |
“Om Shreem Annapurne Bhagwati Om Swaha”
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Another Annapurna Mantra
मंत्र-महोदधि, तन्त्रसार, पुरश्चर्यार्णव आदि ग्रन्थों में अन्नपूर्णा देवी के अनेक मंत्रों का उल्लेख तथा उनकी साधना-विधि का वर्णन मिलता है। मंत्रशास्त्र के सुप्रसिद्ध ग्रंथ 'शारदातिलक' में अन्नपूर्णा के सत्रह अक्षरों वाले निम्न मंत्र का विधान वर्णित है-
"ह्रीं नम: भगवति माहेश्वरिअन्नपूर्णे स्वाहा"
Hreem Namah: Bhagwati Maheshwari Annpurne Swaha
मंत्र को सिद्ध करने के लिए इसका सोलह हज़ार बार जप करके, उस संख्या का दशांश (1600 बार) घी से युक्त अन्न के द्वारा होम करना चाहिए। जप से पूर्व यह ध्यान करना होता है-
अन्नपूर्णा देवी ध्यान
रक्ताम्विचित्रवसनाम्नवचन्द्रचूडामन्नप्रदाननिरताम्स्तनभारनम्राम्।
नृत्यन्तमिन्दुशकलाभरणंविलोक्यहृष्टांभजेद्भगवतीम्भवदु:खहन्त्रीम्॥
अर्थात 'जिनका शरीर रक्त वर्ण का है, जो अनेक रंग के सूतों से बुना वस्त्र धारण करने वाली हैं, जिनके मस्तक पर बालचंद्र विराजमान हैं, जो तीनों लोकों के वासियों को सदैव अन्न प्रदान करने में व्यस्त रहती हैं, यौवन से सम्पन्न, भगवान शंकर को अपने सामने नाचते देख प्रसन्न रहने वाली, संसार के सब दु:खों को दूर करने वाली, भगवती अन्नपूर्णा का मैं स्मरण करता हूँ।'
She is a youthful goddess having a red complexion a face round like the full moon, three eyes, high breasts, and four hands. The lower left hand is depicted as holding a vessel full of delicious porridge. The right hand with a golden ladle adorned with various jewels. The other two hands depict the Abhaya and Varada poses. She is depicted with wristlets and golden jewelry on her chest. She is seated on a throne with the crescent moon adorning her head.
प्रात: काल नित्य 108 बार अन्नपूर्णा मंत्र का जप करने से घर में कभी अन्न-धन का अभाव नहीं होता। शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन अन्नपूर्णा का पूजन-हवन करने से वे अति प्रसन्न होती हैं। करुणा मूर्ति ये देवी अपने भक्त को भोग के साथ मोक्ष प्रदान करती हैं।
सम्पूर्ण विश्व के अधिपति विश्वनाथ की अर्धांगिनी अन्नपूर्णा सबका बिना किसी भेद-भाव के भरण-पोषण करती हैं। जो भी भक्ति-भाव से इन वात्सल्यमयी माता का अपने घर में आवाहन करता है, माँ अन्नपूर्णा उसके यहाँ सूक्ष्म रूप से अवश्य वास करती हैं।