Agiya Betal Mantra | अगिया बेताल मंत्र

Agiya Betal Mantra - अगिया बेताल मंत्र

📅 May 23rd, 2024

By Vishesh Narayan

Summary Agiya Betal Mantra is a powerful mantra to manifest a form of Betal known as Agiya. Agiya Betal is a type of Betal which is more famous in Nath Sampradaya. The Nath and Siddha traditions developed the Sadhana and Siddhi. The seeker who has attained the Siddhi can manifest the fire at his will.


Agiya Betal Mantra is a powerful mantra to manifest a form of Betal known as Agiya. Agiya Betal is a type of Betal which is more famous in Nath Sampradaya. The Nath and Siddha traditions developed the Sadhana and Siddhi. 

People usually define them as a knowledgeable (fortune-telling) paranormal entity that supposedly dwells at charnel grounds. These spirits were used as vehicles for reanimated corpses for movement. A vetala may possess and leave a dead body at will.

The seeker who has attained the Siddhi can manifest the fire at his will. Before accomplishing the mantra Sadhana, the seeker should consult the Guru.

यह पद्धति बेताल के एक प्रकार अगिया बेताल की है ,जो शाबर मंत्र अर्थात नाथ सम्प्रदाय द्वारा बनाई गयी है |अगिया बेताल की साधना नाथ और सिद्ध परंपरा में अधिक विकसित हुई थी और इसके अनेक मंत्र तथा पद्धति इस परंपरा में विकसित किये गए | वाम मार्गीय साधना सबके वश की नहीं होती |

नीचे दिए गए मंत्र द्वारा साधक अकेले में किसी निर्जन स्थान अथवा पुराने शिव मंदिर या श्मशान में साधना कर सकता है | मंत्र बहुत उग्र नहीं किन्तु अगिया बेताल उग्र शक्ति तो है ही अतः जैसा की हमने पूर्व के लेखों में लिखा है वैसी सावधानियां और साधक की प्रकृति तो होनी ही चाहिए |

Agiya Betal Mantra

मंत्र - ॐ अगिया बेताल महाबेताल बैठ बेताल अग्नि अग्नि
      तेरे मुख में सवामन अग्नि महाविकराल फट स्वाहा ||

om agiya betaal mahaabetaal set betaal agni agni
      tere mukh mein svaaman agni mahaavikaraal phat svaaha ||

साधना विधि 

  • अपने गुरु से अनुमति लेकर ,उनके द्वारा प्रदत्त रक्षा कवच पहनकर ही साधना करनी चाहिए |
  • बेताल साधना में मंत्र संख्या का कोई महत्त्व नहीं कि इतनी संख्या में मंत्र जप पर बेताल सिद्ध हो जाएगा या आएगा इसलिए समय सीमा निश्चित करना अच्छा है की इतने समय तक जप करूँगा |
  • माला रुद्राक्ष की होनी चाहिये | पूजन सामग्री साथ में हो जिससे पहले शिव जी की पूजा करें | एक माला और कुछ खाद्य पदार्थ हमेशा पास में होनी चाहिए जितने दिनों तक साधना चले |
  • बेताल के उअपस्थित होने पर माला पहनाने को और नैवेद्य खिलाने या अर्पित करने को चाहिए होती है |
  • एकांत स्थान या शिव मंदिर का चुनाव कर गुरु अनुमति के बाद रक्षाकवच के साथ पहले कुछ दिन शिव मंदिर में मंत्र का जप करना चाहिए | पास में घास के सूखे फूस भी रखने चाहिए | कुछ दिन बाद मंत्र के साथ उड़द के दाने घास पर डालना शुरू करना चाहए |
  • साधना क्रम में एक दिन एक समय ऐसा आता है जब मंत्र पढ़ते हुए घास पर उड़द के दाने डालते हुए सामने रखा घास फूस बिना अग्नि दिखाए अपने आप जलने लगता है | इस प्रकार स्वतः अग्नि प्रज्वलित होने का अर्थ है की बेताल प्रकट हो रहा है | इस प्रकार अपने आप अग्नि के जलते ही दाहिने हाथ से मेवे का प्रसाद रख दिया जाना चाहिए |

यदि बेताल साकार रूप में प्रकट हो तो उसे देखकर भयभीत न हों | उसे श्रद्धापूर्वक नमस्कार कर माला पहना दें तथा साष्टांग दंडवत करें | निश्चित रूप से बेताल वर मांगने का आग्रह करेगा | तब श्रद्धा पूर्वक हाथ जोडकर निवेदन करें की मेरी जीभ पर निवास करने की कृपा करें |...

Another Agiya Betal Mantra Sadhana

इन्ही बेताल में एक सबसे उग्र शक्ति अगिया बेताल की होती है । यह पुरुषात्मक शक्ति है जो खुद कहीं हस्तक्षेप नहीं करती । इसके सिद्ध होने पर यह बहुत उच्च स्तर के साधक को भी पराजित कर सकता है और चूंकि यह उच्च शक्ति होती है अतः मंदिर आदि तक में साधक के साथ आती-जाती है ।

यह प्रकृति की स्थायी शक्तियों में से एक है और इसे नष्ट नहीं किया जा सकता । या तो यह साधक के वशीभूत हो उसके मनोरथ पूर्ण करता है या निर्लिप्त रहता है प्रकृति में । इससे उच्च साधक या शक्ति के इसके विरुद्ध क्रिया करने पर यह हट जाता है या अदृश्य हो जाता है किन्तु यह नष्ट नहीं होता ,स्थान बदल देता है और अपने मूल रूप में आ जाता है ।

पूर्व के अगिया बेताल साधना की तरह नीचे दिए जा रहे मंत्र की साधना अकेले नहीं की जा सकती ,क्योंकि यह एक उग्र मंत्र है । यह अत्यंत विस्फोटक मंत्र है अतः इसकी साधना किसी तांत्रिक की देखरेख में ही की जानी चाहिए । इस मंत्र की साधना में एक तिकोना हवन कुण्ड बनाना होता है और मंत्र जप के साथ हवन करना होता है ।

मंत्र

“ॐ अगिया बेताल वीरवर बेताल ,महाबेताल इहागच्छ इहतिष्ठ अग्निमुख अग्निभक्षी अग्निवासी महाविकराल फट स्वाहा । । ”

“om agiya betaal, veeravar betaal, mahaabetaal, ihaagachchh, ihateeshth, agnimukh, agnibhakshee, agnivaasee, mahaavikral, phat svaaha. , ,

  • इस मंत्र की साधना पूर्ण एकांत स्थान ,पुराना शिव मंदिर ,खुले मैदान ,श्मशान आदि में की जाती है ।
  • साधना काल रात्री का होता है और साधना योग्य तांत्रिक की देख रेख में की जाती है ।
  • इस साधना के सिदधि के लिए, आप किसी निर्जन स्थान या उजाड़ स्थान या। किसी खंडरन्‌मा जगह का चयन करे। 
  • साधना शुरू करने से पहले। अपने इष्ट गुरु का आशीर्वाद और उनकी अनुमति लेकर इस साधना को शुरू करे।
  • साधना में सुरक्षा कवच अवश्य धारण करे। अन्यथा हानि की संभावना होती हैं। कवच धारण करने के पश्चात् काले भेड़ का ऊनी काले रंग का आसन बिछा कर आसन कीलित कर ले। उसके बाद, काले बकरीके चर्बी का दीपक सकोरे में प्रज्वलित कर ले।
  • फिर उपरोक्त मंत्र का २१ माला जाप नित्य २१ दिनों तक करे। .जब १० दिन शेष रह जाये। तब अपने समक्ष सूखी घास रखे।
  • और कुछ उड़द के दानो पर मंत्र पढ़ पढ़ कर फूंके और सूखे घास पर मारते रहे।
  • अंतिम दिन अग्नि प्रज्वलित होगी उस दिन मंत्र सि‌द्धि हो जाएगी |
  • अगिया बेताल महाराज समक्ष प्रगट भी हो सकते हैं, अगर हो जाये तो उनसे डरे नहीं उनको नमश्कार कर के उनसे अपने हथेली पर वास करने की बिनती करे। 

बिन गुरु अनुमति और गुरु द्वारा प्रदत्त सुरक्षा कवच के साधना नहीं की जा सकती । गुरु भी इतना सक्षम होना चाहिए की उसे कम से कम बेताल सिद्ध होना चाहिए । बेहतर हो वह महाविद्या सिद्ध हो ,इसलिए वास्तविक साधक गुरु ही बनाना चाहिए ।

Another Agiya Betal Shabar Mantra Sadhana

ॐ नमो आगिया बैताल वीर बैताल पैठो सातवें पाताल लाव अग्नि की जलती झाल बैठ ब्रह्मा के कपाल मछली चील कागली गुगूल हरताल इन बस्ता लें चोलि न लें तो माता कालका की आन शब्द साँचा पिंड काचा फुरो मन्त्र इश्वरो वाचा ||

Mantra

Om Namo Aagiyaa Baitaal Veer Baitaal Paitho Saatvem Paataal Laav Agni Ki Jalti Jhaal Baith Brahma Ke Kapaal Machli Cheel Kaagli Gugool Hartaal In Bastaa Laim Choli Na Laim To Mata Kaalkaa Ki Aan Shabd Saancha Pind Kaachaa Furo Mantra Ishwaro Vaacha ||

सिद्धि प्राप्त करने के लिए;

1] आगिया वेताल मंत्र प्रयोग होली के दिन रात्रि में शमशान भूमि में करना होता है।

2] साधक को अग्नि हवन करना होता है और हवन में गुग्गुल और हरताल की आहुति देनी होती है।

3] फिर, उसे चार मछलियों के पके हुए मांस का भोज देना होगा।

फिर, साधक को नीचे दिए गए अगिया बैताल मंत्र का 100,000 बार जाप करना होता है। वह रुद्राक्ष की माला जप माला का उपयोग कर सकते हैं। इस मंत्र का जाप तंत्र के अनुसार साधक को एक ही स्थान पर बैठाकर बिना रुके करना होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मंत्र साधना लंबे समय तक चलती रहे।

आगिया वेताल प्रकट करने के लिए:

1] उड़द के दानो को मंत्र की शक्ति से अभिमंत्रित करने के लिए साधक को मिट्टी के 21 ढेर बनाकर 21 बार मंत्र का जाप करना होता है।

2] आगिया वेताल उस स्थान पर प्रकट होगा जहां साधक उड़द के दानो को फेंकता है।

 


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