Bandi Mochan Mantra is an effective ceremony to liberate a prisoner from jail. Sometimes, due to regrettable events, one gets entangled in a crime and gets prisoned. Even a man who is declared innocent also finds himself incapable to get out of prison.
In such crucial circumstances, a seeker can employ this mantra sadhana to liberate his relative. With the effect of this mantra, the prisoner gets freedom from bondage or jail. The mantra sadhana relates to Goddess Bandi Devi.
This divine mantra can be chanted in front of Bandi Devi Yantra or Bhandan Mukti Yantra. The seeker should execute five lakh chants of this mantra and ten percent of Homam or Yagya. The seeker should utilize energized Shankh mala for this ritual.
The Sadhak should offer Kheer and Malpua as Prasad to Bhagwati. The person who does not know enough methods of performing rituals himself or lacks the time or is not a practitioner of rituals, then in such a situation, a qualified scholar or guru can also get this ritual done.
The prisoner himself can also chant this mantra mentally to get rid of any prison. Freeing the imprisoned birds from the cage is a charitable deed, by performing this auspicious deed, the prisoner gets divine help for liberation soon.
Viniyoga
om asya shreebandhamantrasy bhairav rishih, trishtup chandah, shreebandhadevata, bhaavabandh kaaraagar badhan muktaye jape viniyogah .
shadanganyaas-
om hrdayaay namah .
om hili shirase svaaha |
om hili shikhaayai vast.
om bandee kavachaay hum.
om devyai netratrayaay vasat.
om namah astraay phat
dhyaanam-
satoy paathod samaan kaantin ambhoj ambhoj peeyoosakaree hastaam.
surangana sevit paad padmaan bhajaami chaaloon bhavabandh muktaye ..
Bandi Mochan Mantra
Ekaadashaaksharamantra
"om hili hili bandee devyai namah"
Ashtaadashaaksharamantr-
aing hreem shreem bandee amuk (name of prisoner) vandya moksham kuru kuru svaaha.
Navaksharamantra
om hreem hum bandee devyai svaaha
दुर्भाग्यवश कारागार, जेल अथवा किसी दुष्ट व्यक्ति के बंधन में कोई अपना सम्बन्धी कैद हो तो ऐसी विकट परिस्थिति में उसकी मुक्ति हेतु बन्दी देवी की मंत्रोपासना करनी चाहिये। इसके प्रभाव से बंधन या जेल से कैदी को मुक्ति मिलती है।
बन्दी देवी यंत्र अथवा भगवती दुर्गा के समक्ष इस दिव्यमंत्र का जप किया जा सकता है। विधिवत् पांच लाख जप कम से कम होम सहित करने चाहिये (लघु मंत्र है इसलिये )।
प्रसादरूप में भगवती को खीर एवं मालपुए का भोग लगाना चाहिये। जो व्यक्ति स्वयं अनुष्ठान करने की पर्याप्त विधि न जानते हों या समय का अभाव हो या अनुष्ठान के अभ्यासी न हो तो ऐसी परिस्थिति में योग्य विद्वान या गुरु से भी यह अनुष्ठान करवा सकते हैं।
स्वयं कैदी भी किसी कैद से मुक्ति हेतु मानसिक रूप से इस मंत्र का जप कर सकता है। कैद पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कराना धर्मार्थ कर्म है, इस शुभ कर्म के सम्पादन से कैदी को मुक्ति के लिये शीघ्र ही दैवीय सहायता मिलती है।
विनियोगः-
ॐ अस्य श्रीबन्दीमंत्रस्य भैरव ऋषिः, त्रिष्टुप् छन्दः, श्रीबन्दीदेवता, भवबन्ध कारागार बन्धन मुक्तये जपे विनियोगः ।
षडंगन्यास-
ॐ हृदयाय नमः ।
ॐ हिलि शिरसे स्वाहा |
ॐ हिलि शिखायै वषट्।
ॐ बन्दी कवचाय हुम्।
ॐ देव्यै नेत्रत्रयाय वौषट्।
ॐ नमः अस्त्राय फट् ।
ध्यानम्-
सतोय पाथोद समान कान्तिं अम्भोज अम्भोज पीयूषकरी हस्ताम्।
सुरांगना सेवित पाद पद्मां भजामि बन्दीं भवबन्ध मुक्तये ।।
एकादशाक्षरमंत्र - 'ॐ हिलि हिलि बन्दी देव्यै नमः ।'
अष्टादशाक्षरमंत्र- ‘ऐं ह्रीं श्रीं बन्दी अमुक (व्यक्ति का नाम) वन्द्य मोक्षं कुरु कुरु स्वाहा।'
नवाक्षरमंत्र- 'ॐ ह्रीं हूं बन्दी देव्यै स्वाहा।' इस मंत्र के कण्व ऋषि, त्रिष्टुप् छन्द, ह्रीं बीज, हूं कीलक और बन्धनमुक्ति के लिये विनियोग किया जाता है।