Kriya Yoga Mantra | Narayan Dutt Shrimali

Kriya Yoga Mantra - Narayan Dutt Shrimali

📅 Sep 13th, 2021

By Vishesh Narayan

Summary Kriya Yoga Mantra activates chakras and Kundalini, an advanced Raja Yoga technique for life-energy control. It revitalizes subtle currents in the spine and brain, enlivening nerves, organs, and tissues, as per ancient Indian Rishis.


Kriya Yoga Mantra is a way to activate the chakras and Kundalini. It is an advanced Raja Yoga technique of Pranayama (life-energy control) that reinforces and revitalizes subtle currents of life energy (prana) in the spine and brain.

India's ancient rishis or seers perceived the brain and spine as the tree of life. Out of the subtle cerebrospinal centers of life and consciousness, i.e. “Chakras” flow the energies that enliven all the nerves and every organ and tissue of the body.

The yogis discovered that revolving the life current continuously up and down the spine with the special technique of Kriya Yoga can greatly accelerate one’s spiritual evolution and awareness.

Kriya Yoga, a type of Pranayama and Kundalini Yoga, can be very dangerous if not done right. It is a yogic meditation technique by which the seeker can control the senses, body, and mind.

One can also perform Kriya Yoga using Mantras, a less risky and sure way to succeed in the spiritual journey.

Gurudev Narayan Dutt Shrimali explains Kriya Yoga by mantras in his lectures, and the mantras are excerpts from his discourses.

Kriya Yoga Mantra By Gurudev Narayan Dutt Shrimali

** चेतना सिद्धि :  चेतना सिद्धि का अर्थ है पूरे शरीर को चैतन्य करने की क्रिया | शरीर चैतन्य होगा तो हम कुण्डलिनी जागरण कर सकेंगे |शरीर चैतन्य होगा तो हम रोग रहित रह सकेंगे | शरीर चैतन्य होगा तो हम क्रिया योग की और अग्रसर हो सकेंगे |

मंत्रात्मक प्रयोग से भी क्रिया योग हो सकता है | अगर आप नित्य 1 माला इस मंत्र का जप करते हैं तो आपका पूरा शरीर चैतन्य होता ही है | यदि आप 5-7 दिन इसका प्रयोग करेंगे तो आप देखेंगे कि एक दम से आपको नयी चेतना और न नय विचार नई भावनाएं नई कल्पनाएं जीवन की नई उमंग आपको प्राप्त हो सकेंगी |

जड़ शरीर को चेतना युक्त बनाने के लिए नित्य 1 माला मंत्र जप किया जाना चाहिए |

मंत्र : “ॐ ह्रीं मम् प्राण देह रोम प्रतिरोम चैत्तन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नमः”

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** प्राणमय सिद्धि : जब शरीर चैतन्य हो जाए तो उसमे प्राण संस्कारित करने पड़ते हैं | यदपि हमारे शरीर में जीव संस्कारित है, यह जीवात्मा है, हम प्राणात्मा होना चाहते हैं | प्राणों का संचार करना अलग चीज़ है, जीव का संचार तो भगवान ने किया ही है|

यह शरीर में जो कुछ है, आत्मा है वह जीवमय है, हम प्राणमय होना चाहते हैं क्योंकि हम चेतनायुक्त बनना चाहते हैं| केवल २१ बार उच्चारण करना चाहिये प्राणश्चेतना मंत्र का, और प्राणश्चेतना मंत्र है –

मंत्र : “सोऽहं”

** ब्रह्मवर्चस्व सिद्धि : जब प्राण शरीर में प्रवाहित होंगे तो व्यक्ति ब्रह्म की और अग्रसर होगा, ब्रह्म को पहचानने की और, सहस्रार की और अग्रसर होगा | उस सहस्रार की और निरंतर अग्रसर होने की लिये जिस मंत्र की जरूरत है और जिस मंत्र के माध्यम से व्यक्ति सीधा उस सहस्रार की और अग्रसर हो सकता है वो मंत्र जिसे ब्रह्मवर्चस्व कहते हैं वो मंत्र है

मंत्र : “ॐ ब्रह्मवै रसोऽहं “

** तांत्रोक्त गुरु सिद्धि : तांत्रोक्त गुरु सिद्धि का तात्पर्य यह है कि गुरु को अपने आज्ञा चक्र में स्थापित कर लेने की क्रिया | मंत्रोक्त रूप से | मंत्र के माध्यम से भी गुरु को आज्ञा चक्र में स्थापित किया जा सकता है |

और उसका मंत्र है निरंतर 16 माला मंत्र जाप करने से |16 माला नहीं कर सके तो आठ करें 8 नहीं कर सकते तो चार करें 4 नहीं कर सके तो दो करें तो नहीं कर सके तो एक करें वह तो आपकी क्षमता है शास्त्रों में विधान है कि निरंतर इसकी 16 माला मंत्र जाप होनी चाहिए यदि आज्ञा चक्र में गुरु को स्थापित करना है तो मंत्रात्मक रूप से |

मंत्र : “ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः”

** सहस्रार सिद्धि : जैसा कि मैंने बताया कि जब प्राणमय व्यक्ति बन जाता है तो सहस्रार की ओर अग्रसर होता है सहस्रार की ओर अग्रसर होता है तो सहस्रार सिद्धि प्राप्त हो सहस्रार जागृत कर सके सहस्रार जागृत कर सकेंगे तो पूरा अमृत पूरे शरीर में प्रवाहित हो सकेगा जिसको अमृतत्व शरीर कहा जाता है शरीर उस सहस्रार को जागृत करने का जो मंत्र है |

इस मंत्र का निरंतर जाप करने से सहस्रार जागृत होता है निरंतर का मतलब है माला फेर करके नहीं 5 मिनट या 15 मिनट या 25 मिनट या 1 घंटा जितना आपको टाइम हो नृत्य इतने समय तक इस मंत्र का जाप करने से सहस्रार जागृत होता है यदि पहली बार उसको 15 मिनट करें कृपया 15 मिनट करें |

मंत्र : “ॐ प्राणः सोऽहं प्राणः “

** क्रियायोग सिद्धि : मगर मंत्र के माध्यम से भी क्रियायोग सिद्धि होती है| इसका 24 मिनट तक मंत्र जाप अहर्निश करता रहे निरंतर बिना माला के और निरंतर करें अपने आप में पूर्ण क्रिया योग सिद्धि प्राप्त होती हैक्रिया योग का मंत्र कौन सा है| क्रिया योग मंत्र है |

मंत्र : “ॐ क्लीं क्लीं जीवः प्राणः आत्माः क्लीं क्लीं फट “


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