Ardhanarishwara Stotram | Meaning | अर्धनारीश्वर स्तोत्रम्

Ardhanarishwara Stotram - Meaning - अर्धनारीश्वर स्तोत्रम्

📅 Sep 12th, 2021

By Vishesh Narayan

Summary Ardhanarishwara Stotram is a hymn depicting the mingled form of Shiva and Shakti as a one. The Stotra is an astonishing hymn by Shankaracharya and depicts the nature of shakti amalgamating the Purusha or Shiva.


Ardhanarishwara Stotram is a hymn depicting the mingled form of Shiva and Shakti as one. Ardhanarishvara is depicted as half male and half female, split down the middle.

Ardhanarishvara is a composite androgynous form of the Hindu God Shiva and his consort Parvati. Ardhanarishvara represents the synthesis of masculine and feminine energies of the universe.

The Stotra is an astonishing hymn by Shankaracharya and depicts the nature of Shakti amalgamating the Purusha or Shiva.

Shiva is ‘Shava or dead without energy or Shakti. People assume that whoever reads this stotram daily becomes famous quickly, gets longevity with good fortune, and attains mastery in every aspect.

Ardhanarishwara Stotram Meaning

अर्धनारीश्वरस्तोत्रम्

चाम्पेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय ।
धम्मिल्लकायै च जटाधराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

chaampeyagauraardhashareerakaayai karpooragauraardhashareerakaaya .
dhammillakaayai cha jat'aadharaaya namah' shivaayai cha namah' shivaaya .. 1..

आधे शरीर में चम्पापुष्पों-सी गोरी पार्वतीजी हैं और आधे शरीर में कर्पूर के समान गोरे भगवान शंकरजी
सुशोभित हो रहे हैं। भगवान शंकर जटा धारण किये हैं और पार्वतीजी के सुन्दर केशपाश सुशोभित हो रहे हैं।
ऐसी पार्वतीजी और भगवान शंकर को प्रणाम है।।१।।

कस्तूरिकाकुङ्कुमचर्चितायै चितारजःपुञ्जविचर्चिताय ।
कृतस्मरायै विकृतस्मराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

kastoorikaakunkumacharchitaayai chitaarajah'punjavicharchitaaya .
kri'tasmaraayai vikri'tasmaraaya namah' shivaayai cha namah' shivaaya.. 2..

पार्वतीजी के शरीर में कस्तूरी और कुंकुम का लेप लगा है और भगवान शंकर के शरीर में
चिता-भस्म का पुंज लगा है। पार्वतीजी कामदेव को जिलाने वाली हैं और भगवान शंकर उसे नष्ट करने वाले हैं,
ऐसी पार्वतीजी और भगवान शंकर को प्रणाम है।।२।।

झणत्क्वणत्कङ्कणनूपुरायै पादाब्जराजत्फणिनूपुराय ।
हेमाङ्गदायै भुजगाङ्गदाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

jhanatkvanatkankananoopuraayai paadaabjaraajatphaninoopuraaya .
hemaangadaayai bhujagaangadaaya namah' shivaayai cha namah' shivaaya .. 3..

भगवती पार्वती के हाथों में कंकण और पैरों में नूपुरों की ध्वनि हो रही है तथा भगवान शंकर के हाथों और
पैरों में सर्पों के फुफकार की ध्वनि हो रही है। पार्वतीजी की भुजाओं में बाजूबन्द सुशोभित हो रहे हैं
और भगवान शंकर की भुजाओं में सर्प सुशोभित हो रहे हैं। ऐसी पार्वतीजी और भगवान शंकर को प्रणाम है।।३।।

विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपङ्केरुहलोचनाय ।
समेक्षणायै विषमेक्षणाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

vishaalaneelotpalalochanaayai vikaasipankeruhalochanaaya .
samekshanaayai vishamekshanaaya namah' shivaayai cha namah' shivaaya .. 4..

पार्वतीजी के नेत्र प्रफुल्लित नीले कमल के समान सुन्दर हैं और भगवान शंकर के नेत्र विकसित
कमल के समान हैं। पार्वतीजी के दो सुन्दर नेत्र हैं और भगवान शंकर के (सूर्य, चन्द्रमा तथा अग्नि)
तीन नेत्र हैं। ऐसी पार्वतीजी और भगवान शंकर को प्रणाम है।।४।।

मन्दारमालाकलितालकायै कपालमालाङ्कितकन्धराय ।
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

mandaaramaalaakalitaalakaayai kapaalamaalaankitakandharaaya .
divyaambaraayai cha digambaraaya namah' shivaayai cha namah' shivaaya .. 5..

पार्वतीजी के केशपाशों में मन्दार-पुष्पों की माला सुशोभित है और भगवान शंकर के गले में मुण्डों की माला
सुशोभित हो रही है। पार्वतीजी के वस्त्र अति दिव्य हैं और भगवान शंकर दिगम्बर रूप में सुशोभित हो रहे हैं।
ऐसी पार्वतीजी और भगवान शंकर को प्रणाम है।।५।।

अम्भोधरश्यामलकुन्तलायै तडित्प्रभाताम्रजटाधराय ।
निरीश्वरायै निखिलेश्वराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

ambhodharashyaamalakuntalaayai tad'itprabhaataamrajat'aadharaaya .
nireeshvaraayai nikhileshvaraaya namah' shivaayai cha namah' shivaaya .. 6..

पार्वतीजी के केश जल से भरे काले मेघ के समान सुन्दर हैं और भगवान शंकर की जटा विद्युत्प्रभा के
समान कुछ लालिमा लिए हुए चमकती दीखती है। पार्वतीजी परम स्वतन्त्र हैं अर्थात् उनसे बढ़कर कोई नहीं है
और भगवान शंकर सम्पूर्ण जगत के स्वामी हैं। ऐसी पार्वतीजी और भगवान शंकर को प्रणाम है।।६।।

प्रपञ्चसृष्ट्युन्मुखलास्यकायै समस्तसंहारकताण्डवाय ।
जगज्जनन्यै जगदेकपित्रे नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

prapanchasri'sht'yunmukhalaasyakaayai samastasamhaarakataand'avaaya .
jagajjananyai jagadekapitre namah' shivaayai cha namah' shivaaya .. 7..

भगवती पार्वती लास्य नृत्य करती हैं और उससे जगत की रचना होती है और भगवान शंकर का नृत्य
सृष्टिप्रपंच का संहारक है। पार्वतीजी संसार की माता और भगवान शंकर संसार के एकमात्र पिता हैं।
ऐसी पार्वतीजी और भगवान शंकर को प्रणाम है।।७।।

प्रदीप्तरत्नोज्ज्वलकुण्डलायै स्फुरन्महापन्नगभूषणाय ।
शिवान्वितायै च शिवान्विताय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

pradeeptaratnojjvalakund'alaayai sphuranmahaapannagabhooshanaaya .
shivaanvitaayai cha shivaanvitaaya namah' shivaayai cha namah' shivaaya .. 8..

पार्वतीजी प्रदीप्त रत्नों के उज्जवल कुण्डल धारण किए हुई हैं और भगवान शंकर फूत्कार करते हुए महान
सर्पों का आभूषण धारण किए हैं। भगवती पार्वतीजी भगवान शंकर की और भगवान शंकर भगवती पार्वती
की शक्ति से समन्वित हैं। ऐसी पार्वतीजी और भगवान शंकर को प्रणाम है।।८।।

एतत्पठेदष्ठकमिष्टदं यो भक्त्या स मान्यो भुवि दीर्घजीवी ।
प्राप्नोति सौभाग्यमनन्तकालं भूयात्सदा तस्य समस्तसिद्धिः॥

etatpat'hedasht'akamisht'adam yo bhaktyaa sa maanyo bhuvi deerghajeevee .
praapnoti saubhaagyamanantakaalam bhooyaatsadaa tasya samastasiddhih' .. 9..

आठ श्लोकों का यह स्तोत्र अभीष्ट सिद्धि करने वाला है। जो व्यक्ति भक्तिपूर्वक इसका पाठ करता है,
वह समस्त संसार में सम्मानित होता है और दीर्घजीवी बनता है, वह अनन्त काल के लिए
सौभाग्य व समस्त सिद्धियों को प्राप्त करता है।

इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यस्य श्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य
श्रीमच्छंकरभगवतः कृतौ अर्धनारीश्वरस्तोत्रम् संपूर्णम् ॥

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