Veer Darshan Prapti Mantra is a sadhana to manifest and control an entity called 'Veer'. A Veer is a revenant in Hindu mythology, usually defined as a knowledgeable paranormal entity said to be dwelling at charnel grounds.
The Veer is comparable to the vampires of Western mythology. Reanimated corpses are used as vehicles by the spirits for movement, the corpse no longer decays while it is inhabited by a Veer.
A Veer may possess and also leave a dead body at will.
गोपनीय वीर मंत्र साधना
वीर साधना का तात्पर्य ऐसी से साधना है, जिसे सम्पन्न करने पर वीर वश में रहकर काम करने वाला बन जाए | वीर विक्रमादित्य की कहानी सर्वविदित है कि उन्होंने एक वीर को वश में कर रखा था और वह हमेशा उनके नियन्त्रण में में रहते हुए उनकी आज्ञा का पालन करने के लिए तैयार रहता था।
जो भी आज्ञा विक्रमादित्य देते वह एक वीर पल में ही उस कार्य को पूरा कर देता। अब विक्रमादित्य ने उस वीर की सहायता से ही अपने सारे शत्रुओं को काबू में किया।
उस वीर की सहायता से ही, जब राज्य पर पड़ोस की फौजें चढ़ आयीं तो पूरी फौज का सफाया किया। वीर की सहायता से ही विक्रमादित्य ने अपने राज्य में अपार धन-सम्पति जोड़ ली और उसी की सहायता से वह सारे संसार में विख्यात हुए।
शंकराचार्य ने भी वीर साधना संपन्न कर रखी थी। जिसकी वजह से चौबीसों घण्टे उनकी सुरक्षा बनी रहती थी।
वीर की सहायता से ही जब वह जंगल में एक स्थान से दूसरे स्थान को जाते, वीर उनका सही मार्ग दर्शन करता, जंगल के हिंसक पशुओं से भी रक्षा वही करता।
वीर की सहायता से ही शंकराचार्य ने अकेले ही पूरे भारतवर्ष में बौद्ध धर्म को बढ़ने से रोका और हिन्दु धर्म को पुन: स्थापित करने में सफलता पाई।
वह स्वयं इस बात को स्वीकार करते थे कि मैंने अपने जीवन में सैकड़ों साधनाएं सम्पन्न की हैं, परन्तु वीर साधना के द्वारा ही मैंने जीवन की पूर्णता, यश, सम्मान और अद्वितीय सफलता प्राप्त की है।
गुरु गोरखनाथ वीर साधना के तो आचार्य ही थे और उनके शिष्यों को इस बात का गर्व था कि गुरु गोरखनाथ ने वीर को सिद्ध किया है, जिसकी वजह से वह तंत्र के क्षेत्र में पूर्ण सफलता पा सके हैं।
यद्यपि कई लोगों ने मिलकर गुरु गोरखनाथ को मारने को चेष्टा की परन्तु अकेले गुरु गोरखनाथ सैकड़ों लोगों से मुकाबला कर सके और विजय प्राप्त कर पाए।
How To Perform Veer Darshan Prapti Mantra
- किसी भी शुक्रवार से यह साधना प्रारम्भ करें।
- रात्रि को पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर लाल आसन पर लाल धोती पहनकर बैठ जाएं ।
- आधा किलो गेहूं के आटे से मनुष्य की आकृति का पुतला बनाएं और उसे सिन्दूर से रंग दें। इसे ही वीर कहते हैं।
- अब पास में तेल का दीपक जलाएं और वीर के पास ही “वीर प्रत्यक्ष सिद्धि गुटिका ” स्थापित कर दें।
- नित्य रात्रि को हकीक माला से 15 माला मंत्र जप करें।
- इसमें एक घण्टे से ज्यादा समय नहीं लगाता।
- मंत्र जप “वीर प्रत्यक्ष सिद्धि गुटिका” के सामने करें।
- इसमें जब साधना संपन्न हो जाए, तो 15 वें दिन उस वीर को जंगल में दक्षिण दिशा की ओर रख और कहें कि मैं जब भी तुझे आज्ञा दें, तू उपस्थित होगा और आज्ञा पालन करेगा।
- इसके अलावा हर क्षण अदृश्य रूप से मेरे सामने उपस्थित रहना तथा मेरी रक्षा करना।
- उस गुटिका को लाल धागे अपनी दाहिनी भुजा पर बांध लें।
- साधना संपन्न होने के बाद जब पांच बार मंत्र उच्चारण कर वीर को आवाज दी जायेगी, तो आंखों के सामने वीर प्रत्यक्ष होगा और उस समय आप उसे जो भी आज्ञा देंगे, वह तुरन्त आज्ञा का पालन करेगा।
- यह अद्वितीय और गोपनीय साधना वरदान स्वरूप है, और साधकों को चाहिए कि वे अवश्य ही संपन्न करें।
Veer Mantra
ॐ ह्रीं ह्रौं वीरायप्रत्यक्षं भव ह्रौं ह्रीं फट् ।
Om Hreem Hraum Veeray Pratyaksham Bhav Hraum Hreem Phat
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आवश्यक सामग्री : हकीक माला, आधा किलो गेहूं के आटे, वीर प्रत्यक्ष सिद्धि गुटिका, लाल आसन, लाल धोती, तेल का दीपक