Dhanteras Dhanvantari Puja is a mantra Sadhana that one can perform on the auspicious day of the Dhanteras festival. Dhanvantri is the incarnation of Lord Vishnu and is the God of Ayurveda and health.
It is common practice in Hinduism for worshipers to pray to Dhanvantari seeking his blessings for sound health for themselves and/or others, especially on Dhanteras. Dhanvantari medicine in Dhanvantari Ayurveda books is the finest remedy for any type of disease.
The Dhanwantari is worshipped for getting the knowledge of Ayurveda, life force, and perfect health.
The Sadhana belongs to the deity Dhanvantari. Dhanvantari Lord is the Hindu god of medicine and an avatar of Lord Vishnu. He has been the king of Varanasi. He is mentioned in the Puranas as the god of Ayurveda.
He, during the Samudra Manthan, arose from the Ocean of Milk with the nectar of immortality. It is common practice in Hinduism for worshipers to pray to Dhanvantari seeking his blessings for sound health for themselves and/or others, especially on Dhanteras.
This Dhanvantari mantra helps in improving vitality and energy levels. Chanting the Dhanvantari mantra removes the fears and all kinds of phobias. Incurable diseases are cured with the chanting of the Dhanvantari mantra.
Dhanteras Dhanvantari Puja Vidhi
धनतेरस (धनवंतरी) पूजन
भगवान धन्वंतरि समुद्रमंथन के समय अवतरित हुए थे। ये देवताओं के वैद्य है। इनकी उपासना से रोग निवारण की शक्ति प्राप्त होती है। इसीलिए सभी डॉक्टर्स और अन्य चिकित्सकों के लिए इनकी साधना लाभदायक है। बाकी लोग भी आरोग्य प्राप्ति हेतु या रोग निवारण हेतु साधना करे।
आप धनतेरस यानी धनत्रयोदशी के दिन इसे संपन्न करे | सामान्य पूजन सामग्री का उपयोग करे।
सबसे पहले आचमन आदि क्रिया करे |
ॐ गुं गुरुभ्यो नमः
ॐ श्री गणेशाय नमः
ॐ श्री धन्वन्तरये नमः
अब आचमन करे
ॐ आत्मतत्वाय स्वाहा
ॐ विद्यातत्वाय स्वाहा
ॐ शिवतत्वाय स्वाहा
ॐ सर्व तत्वाय स्वाहा
अब दाहिने हाथ में पानी लेकर संकल्प करे की आज धनतेरस के शुभ दिन पर मैं (अपना नाम और गोत्र का स्मरण करे)भगवान धन्वन्तरि की कृपा प्राप्त करने हेतु उनका यथाशक्ति पूजन संपन्न कर रहा हूँ
अब गणेश और गुरु का संक्षिप्त पूजन करे।
अब भगवान धन्वंतरि का ध्यान करे |
llचतुर्भुजं पीतवस्त्रं सर्वालंकार शोभितम्
ध्याने धन्वंतरि देवं सुरासुरा नमस्कृतम्
युवानम् पुण्डरीकाक्षं सर्वाभरण भूषितम्
दधानम् अमृतस्यैव कमंडलु श्रियायुतम्
यज्ञ भोग भुजाम देवम सुरासुरा नमस्कृतम्
ध्याये धन्वंतरि देवं श्वेताम्बरधरम शुभम् ll
अब उनका पंचोपचार पूजन संपन्न करे
ॐ धन्वन्तरये नमः गन्धाक्षत समर्पयामि
ॐ धन्वन्तरये नमः पुष्पं समर्पयामि
ॐ धन्वन्तरये नमः धूपं समर्पयामि
ॐ धन्वन्तरये नमः दीपं समर्पयामि
ॐ धन्वन्तरये नमः नैवेद्यं समर्पयामि
अब भगवान धन्वंतरि को पुष्पांजलि प्रदान करे
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वन्तरये
अमृतकलशहस्ताय सर्वभयविनाशाय सर्वरोगनिवारणाय
त्रैलोक्यपतये त्रैलोक्यनिधये श्रीमहाविष्णुस्वरुप
श्री धन्वन्तरिस्वरुप श्री श्री श्री औषध चक्र नारायणाय स्वाहा
अब भगवान धन्वन्तरि के अष्टोत्तर शत नाम (108 ) से उन्हें पुष्प अक्षत अर्पण करते जाए
Dhanvantri 108 Names
१.ॐ अमृतवपुषे नमः
२. ॐ धर्मध्वजाय नमः
३. ॐ धरावल्लभाय नमः
४. ॐ धीराय नमः
५. ॐ धिषणवंद्याय नमः
६. ॐ धार्मिकाय नमः
७. ॐ धर्मनियामकाय नमः
८. ॐ धर्मरुपाय नमः
९. ॐ धीरोदात्त गुणोज्ज्वलाय नमः
१०. ॐ धर्म विदे नमः
११. ॐ धराधर धारिणे नमः
१२. ॐ धात्रे नमः
१३. ॐ धातृ गर्व भिदे नमः
१४. ॐ पुण्यपुरुषाय नमः
१५. ॐ धाराधर रुपाय नमः
१६. ॐ धार्मिक प्रियाय नमः
१७. ॐ धार्मिक वन्द्याय नमः
१८. ॐ धार्मिक जन ध्याताय नमः
१९. ॐ धनदादि समर्चिताय नमः
२०. ॐ धन्वीने नमः
२१. ॐ धर्मनारायणाय नमः
२२. ॐ आदित्यरुपाय नमः
२३. ॐ अमोघाय नमः
२४. ॐ धीषण पूज्याय नमः
२५. ॐ धीषणाग्रज सेव्याय नमः
२६. ॐ धीषण वन्द्याय नमः
२७. ॐ धीषणा दायकाय नमः
२८. ॐ धार्मिक शिखामणये नमः
२९. ॐ धी प्रदाय नमः
३०. ॐ धी रुपाय नमः
३१. ॐ ध्यान गम्याय नमः
३२. ॐ ध्यान धात्रे नमः
३३. ॐ ध्यातृ ध्येय पदाम्बुजाय नमः
३४. ॐ धुप दीपादि पूजा प्रियाय नमः
३५. ॐ धूमादि मार्गदर्शकाय नमः
३६. ॐ तेजोकृत अग्निरूपाय नमः
३७. ॐ प्रभंजन वायुरुपाय नमः
३८. ॐ सौम्याय चन्द्रमसे नमः
३९. ॐ बृहस्पति प्रसूता औषध द्रव्य पतये नमः
४०. ॐ अमृतांशुदभवाय नमः
४१. ॐ धर्म मार्गे विघ्न कृत् सूदनाय नमः
४२. ॐ धनुर्वातादि रोगघ्नाय नमः
४३. ॐ धारणा मार्गदर्शकाय नमः
४४. ॐ ध्यातृ पाप हराय नमः
४५. ॐ वरदाय धन धान्य प्रदाय नमः
४६. ॐ धेनु रक्षा धुरिणाय नमः
४७. ॐ धरणी रक्षण धुरिणाय नमः
४८. ॐ ओजस्तेजो द्युतिधराय नमः
४९. ॐ मोहिनिरूपाय नमः
५०. ॐ समुद्रमंथनोद्भवाय नमः
५१. ॐ धर्म धुरन्धराय नमः
५२. ॐ तुष्टाय पुष्टाय नमः
५३. ॐ वेद्याय वैद्याय नमः
५४. ॐ सोमपो अमृतप: सोमाय नमः
५५. ॐ पुरुष पुरुषोत्तमाय नमः
५६. ॐ वाचस्पतये नमः
५७. ॐ भेषजे भिषजे नमः
५८. ॐ महा कृतवे नमः
५९. ॐ महा यज्ञाय नमः
६०. ॐ हविषे महा हविषे नमः
६१. ॐ लोक बन्धवे माधवाय नमः
६२. ॐ धनगुप्त वरदाय भक्त वत्सलाय नमः
६३. ॐ इंद्र कर्मणे नमः
६४. ॐ पावनाय नमः
६५. ॐ अमृताशाय नमः
६६. ॐ अमृत वपुषे नमः
६७. ॐ सर्वतो सुखाय नमः
६८. ॐ न्यग्रोधौदुम्बराय नमः
६९. ॐ अश्वत्थाय नमः
७०. ॐ अणवे नमः
७१. ॐ बृहते नमः
७२. ॐ धनुर्धराय नमः
७३. ॐ धनुर्वेदाय नमः
७४. ॐ प्रियकृते प्रीति वर्धनाय नमः
७५. ॐ ज्योतिषे नमः
७६. ॐ सुखदाय नमः
७७. ॐ स्वस्तिने स्वस्ति कृते नमः
७८. ॐ कुण्डलिने नमः
७९. ॐ चक्रिणे विक्रमिणे नमः
८०. ॐ शब्द सहाय नमः
८१. ॐ दु:स्वप्न नाशनाय नमः
८२. ॐ आधार निलयाय नमः
८३. ॐ प्राणाय प्राणदाय नमः
८४. ॐ प्राण निलयाय नमः
८५. ॐ प्राण धृते नमः
८६. ॐ प्राण जीवनाय नमः
८७. ॐ तत्वाय तत्व विदे नमः
८८. ॐ जन्ममृत्यु जरागाय नमः
८९. ॐ यज्ञाय महेज्याय नमः
९०. ॐ क्रतवे यज्ञ वाहनाय नमः
९१. ॐ यज्ञ भृते नमः
९२. ॐ यज्ञाय यज्ञांगाय नमः
९३. ॐ इज्याय यज्ञिने नमः
९४. ॐ यज्ञ भुजे नमः
९५. ॐ यज्ञ साधनाय नमः
९६. ॐ यज्ञान्न कृते नमः
९७. ॐ यज्ञ गुह्याय नमः
९८. ॐ साम गानाय नमः
९९. ॐ पाप नाशनाय नमः
१००. ॐ भरद्वाज प्रियाय नमः
१०१. ॐ महोत्साहाय नमः
१०२. ॐ वर्धमानाय नमः
१०३. ॐ काशिराज धन्वन्तरये नमः
१०४. ॐ दिवोदास धन्वन्तरये नमः
१०५. ॐ श्री धारामृत हस्ताय नमः
१०६. ॐ धृतामृत कलश कराय नमः
१०७. ॐ लक्ष्मी सहोदराय नमः
१०८ . ॐ आधी व्याधि विनाशिने नमः
अब आप धन्वन्तरि गायत्री से उन्हें अर्घ्य प्रदान करे
एक आचमनी जल में कुंकुम अष्टगंध मिलाकर अर्पण करे
Dhanvantri Gayatri Mantra
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृतकलश हस्ताय धीमहि तन्नो धन्वंतरि प्रचोदयात
ॐ आदिवैद्याय विद्महे आरोग्य अनुग्रहाय धीमहि तन्नो धन्वंतरि प्रचोदयात
अब कलश का जल लेकर विशेष अर्घ्य अर्पण करे
जातो लोक हितार्थाय आयुर्वेद अभिवृद्धये
ज़रा मरण नाशाय मानवानां हिताय च
दुष्टानां निधनायाथ जात्त धन्वन्तरे प्रभो
गृहाण अर्घ्यं मया दत्तं देव देव कृपा कर
अब उन्हें प्रणाम करे_
धन्वन्तरे नमस्तुभ्यं नमो ब्रम्हांड नायक
सुरासुराराधितांघ्रे नमो वेदैक गोचर
आयुर्वेद स्वरूपाय नमस्ते जगदात्मने
प्रपन्न पाहि देवेश जगदानन्द दायक
दया निधे महादेव त्राहि मां अपराधीनम
जन्म मृत्यु ज़रा रोगै: पीड़ितं स कुटुम्बिनम् !!१ !!
ॐ शंख चक्र जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्भि:
सूक्ष्म स्वच्छाति हृदयांशुक परिविल सन्मौलिमंभोजनेत्रम्
कालाम्भोदोज्वलांगं कटितटविलसच्चारु पीताम्बराढ्यम्
वन्दे धन्वंतरि तं निखिल गदवन प्रौढ़ दावाग्निलीलम !!२!!
अब आप चाहे तो निम्न किसी मन्त्र का जाप कर सकते है
Dhanvantri Mantra
मन्त्र :-
१. ॐ धन्वन्तरये नमः
२. ॐ श्री धन्वन्तरे नमः
इस पूजन साधना से रोग निवारण ,आरोग्य प्राप्ति का लाभ होता है।