Hanuman Mantra | Most Powerful Hanuman Mantra

Hanuman Mantra - Most Powerful Hanuman Mantra

📅 Apr 13th, 2022

By Vishesh Narayan

Summary The most powerful Hanuman Mantra provides control over your senses, organs, and surroundings. The twelve-lettered Hanuman Mantra can be used to attain the siddhis of various tasks. Lord Hanuman is the incarnation of Lord Shiva.


The most powerful Hanuman Mantra provides control over your senses, organs, and surroundings. The twelve-lettered Hanuman Mantra can be used to attain the siddhis of various tasks. Lord Hanuman is the incarnation of Lord Shiva. Hanuman is the destroyer of forces of demons and liberates from dangers.

Lord Hanuman is swift as mind, has a speed equal to the wind God, has complete control of his senses, the son of the wind god, the one who is the chief of Vanara army, is the messenger of Rama, is the repository of incomparable strength.

भगवान हनुमान भगवान शिव के अवतार हैं। भगवान हनुमान मन के समान तेज हैं, वायु देव के समान गति वाले हैं, अपनी इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण रखते हैं, पवन देव के पुत्र, जो वानर सेना के प्रमुख हैं, राम के दूत हैं, अतुलनीय ताकत का भंडार हैं । राक्षसों की शक्तियों का नाश करने वाला और खतरों से मुक्ति दिलाने वाले है।

Most Powerful Hanuman Mantra

मंत्र महोदधि के अनुसार बारह अक्षरीय मंत्र और इसका विधान इस प्रकार है:

हौं ह्स्फ्रें ख्फ्रें हसौं हस्खफ्रें हसौं हनुमते नमः ।

Haum HaSaFrem KhaFrem Hsaum HaSaKhaFrem Hsaum Hanumate Namah:

विनियोगः

अस्य हनुमन्मंत्रस्य रामचन्द्र ऋषिः। जगती छन्दः । हनुमान् देवता। हसौं बीजम् । ह्स्फ्रें शक्तिः। सर्वेष्टसिद्धये जपे विनियोगः ।

ऋष्यादिन्यास

ॐ रामचन्द्रऋषये नमः शिरसि ॥

जगती छन्दसे नमः मुखे ॥

हनुमद्देवतायै नमः हृदि गुह्ये॥  

हसीं बीजाय नमः गुह्ये ||

ह्स्फ्रें शक्तये नमः ॥

विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे ॥

हृदयादिषडंगन्यास नमः ।

ॐ हौं हृदयाय नमः ॥

ॐ ह्स्फ्रें शिरसे स्वाहा ॥

ॐ ख्फ्रें शिखायै वषट् ॥

ॐ हसौं कवचाय हूँ।

ॐ हस्खफ्रें नेत्रत्रयाय वौषट् ॥

ॐ हसौं अस्त्राय फट् ॥

इसी विधि से करन्यास भी किया जाता है।

ध्यान

बालार्कायुततेजसं त्रिभुवनप्रक्षोभकं सुन्दरं सुग्रीवादिसमस्तवानरगणैः संसेव्यपादाम्बुजम्।

नादेनैव समस्तराक्षसगणान्सन्त्रासयन्तं प्रभुं श्रीमद्रामपादाम्बुज स्मृतिरतं ध्यायामि वातात्मजम्॥

How To Use Most Powerful Hanuman Mantra

इसके पुरश्चरण में मंत्र के बारह हजार जप का विधान है। इसके पुरश्चरण में प्राण प्रतिष्ठित मूँगा माला का उपयोग किया जाता है | साधक अपने समक्ष प्राण प्रतिष्ठित हनुमान विग्रह या हनुमान यन्त्र को रख सकता है | जप के दशांश का होमादि किया जाता है। इससे मंत्र सिद्धि को प्राप्त होता है। सिद्ध मंत्र से मांत्रिक प्रयोगों को सिद्ध करता है।

ऐसी मान्यता है कि ध्यानपूर्वक एकाग्रता से मंत्र का बारह हजार जप करने के बाद उसके दशाश का होम दूध, दही व घी मिले धान से करना चाहिए। मंत्र सिद्धि के बाद मांत्रिक को स्वयं या अन्य का इष्ट सिद्ध करना चाहिए।

केला, बिजौरा व आम से एक हजार आहुतियां देने के बाद बाईस ब्रह्मचारियों व ब्राह्मणों को भोज देना चाहिए। इससे महाभूत, विष, चोरादि उपद्रवों, विद्वेषियों तथा ग्रह व दानवादि का क्षणमात्र में नाश होता है।

यदि जल को इस मंत्र के एक सौ आठ जप से अभिमंत्रित किया जाए तो विष का प्रभाव समाप्त होता है। रात को दस दिन तक निरंतर इस मंत्र का नौ सौ जप करने वाले को राज व शत्रु भय से छुटकारा मिल जाता है।

अभिचार व भूत से उपजे ज्वर की स्थिति में इस मंत्र से जल या भस्म को अभिमंत्रित करके क्रुद्ध होकर उससे रोगी को प्रताड़ित करने से वह तीन दिन में स्वस्थ व सुखी होता है। मंत्र से अभिमंत्रित औषधि का सेवन करके अस्वस्थ व्यक्ति निरोगी होता है, यह ध्रुव सत्य है।

इस मंत्र से अभिमंत्रित जल पीने के बाद इस मंत्र का पाठ करके जो व्यक्ति स्वदेह में भस्मलेपन करता हैं, तदंतर मंत्र को जपते हुए समर में जाता है तो उसे अस्त्र-शस्त्र बाधित नहीं कर पाते। शस्त्र या अन्य घाव, गांठ, चर्मरोग व फोड़े आदि पर मंत्र से तीन बार अभिमंत्रित भस्म लगाई जाए तो उनको सूखने में देर नहीं लगती।

सूर्यास्त से सूर्योदय की अवधि तक कील व भस्म का सात दिन जप करना चाहिए। तदंतर शत्रुओं को भनक लगे बिना अभिमंत्रित कील व भस्म उनके दरवाजों पर गाड़नी चाहिए। इसके प्रभाव से शत्रु लड़-झगड़ कर शीघ्र पलायन कर जाते हैं।

देह पर चंदन लगाकर अभिमंत्रित भस्म व जल खाद्यादि में मिलाकर जिसे भी खिलाया जाए तो वह दासवत हो जाता है। इस विधि से क्रूर पशुओं को भी वश में किया जा सकता है।

करंज वृक्ष की ईशान कोण वाली जड़ से हनुमान की प्रतिमा बनाकर उसमें प्राणप्रतिष्ठा के उपरांत उसे सिंदूर से लेपकर मंत्र जपते हुए घर के दरवाजे पर गाड़ना चाहिए। इसके प्रभाव से घर में भूत, अभिचार, चोर, अग्नि, विष, रोग व राजा आरि के उपद्रव समाप्त होते हैं। घर में सदैव पुत्र व धन आदि का आगमन होता है।

रात को श्मशान भूमि की मिट्टी अथवा भस्म से शत्रु की मूर्ति बनाने के बाद हृदय पर उसका नाम लिखकर प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए। अब इस मंत्र के अंत में शत्रु का नाम, छिंधि, भिंधि, मारय जोड़कर मंत्र जपते हुए शस्त्र से प्रतिमा खंडित कर देनी चाहिए। फिर दांतों से होंठ भींचकर प्रतिमा को हथेलियों से मसलना चाहिए और उसे धूल में मिलाकर वापस घर जाना चाहिए। निरंतर सात दिन तक यह क्रिया करने से शिव रक्षित शत्रु का मरण भी निश्चित है।

श्मशान में रात को दक्षिण की ओर मुक्तकेश होकर अर्द्धचंद्राकार कुंड अथवा स्थंडिल में राईयुक्त नमक, धतूरे के फल, पुष्प, कौए, उल्लू व गिद्ध के रोएं या पंखों, लिसोड़े तथा बहेड़े की समिधाओं से होम करना चाहिए। सात दिन तक यह क्रिया करने से उद्धत शत्रु भी मारा जाता है।

रात को श्मशान में तीन दिन तक मंत्र का नौ सौ बार जप करना चाहिए। इससे बेताल उठता है और मांत्रिक का दास बनता है। वह भविष्य की शुभाशुभ व अन्य सभी शंकाओं का वर्णन भी करता है।

यह ध्रुव सत्य है कि इस मंत्र से वशीकरण में युद्ध, राजद्वार, समर व चोर आदि के संकट में इष्टसिद्धि होती है। यह मंत्र वस्त्र, शिला, फलक, ताम्रपत्र, दीवार, भोजपत्र या ताड़पात्र पर गोरोचन, कस्तूरी व केसर से लिखना चाहिए।

मांत्रिक को ब्रह्मचर्यवान होकर और उपवास करते हुए उसमें हनुमान की प्राणप्रतिष्ठा और विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। हनुमान यंत्र को स्वयं धारण करने वाला सर्वदुखों से छुटकारा पाता है। इस यंत्र से ज्वर, शत्रु व अभिचार का नाश होता है और सर्वोपद्रव शांत पड़ जाते हैं।

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