Rinharta Ganesh Stotram | Enjoy A Loan Free Life

Rinharta Ganesh Stotram - Enjoy A Loan Free Life

📅 Sep 12th, 2021

By Vishesh Narayan

Summary Rinharta Ganesh Stotram is a divine prayer by Ganesh, worshipped by various gods, to remove loans and negativity from life. It is a persuasive hymn for debt-free living and can lead to success and wealth by chanting for one year.


Rinharta Ganesh Stotram is Ganesh's holy prayer for erasing loans and negativity from life. Brahma, Vishnu, Shiva, Devi, Kumara, and the sage, Vishvamitra, worshipped Lord Ganesha. This demonstrates that Ganesha is the supreme being.

Lord Ganapati leads the gods' hosts. He is all-knowing and follows the wise. He is the Lord of the Vedas and the source of infinite splendor, so we may be confident that He will provide all of our secular and spiritual requirements if we devote ourselves to Him.

This Rinhar Ganesh Stotra is a powerful and effective hymn for debt-free living. Many believe that by simply singing this stotra for a year, any devotee can easily achieve great success and wealth.

The final verse discusses the benefits of memorizing the words. It claims that anyone who recites the verses with earnestness for one year will become as wealthy as Kubera, the god of riches.

Recite this stotram, placing an Energized Ganesh Idol or Ganesh Yantra at the worship place to get maximum benefits.

Rinharta Ganesh Stotram Meaning

ऋणहरगणेशस्तोत्रम् ॥

सिन्दूरवर्णं द्विभुजं गणेशं लम्बोदरं पद्मदले निविष्टम् ।
ब्रह्मादिदेवैः परिसेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणमामि देवम् ॥

sindooravarnam' dvibhujam' ganesham' lambodaram' padmadale nivisht'am .
brahmaadidevaih' parisevyamaanam' siddhairyutam' tam' pranamaami devam ..

अर्थात सच्चिदानन्द भगवान गणेशजी की अंगकान्ति सिन्दूर के समान है। उनके दो भुजाएं हैं, वे लम्बोदर (लंबे पेट वाले) हैं तथा कमलदल पर विराजमान हैं, बह्या आदि देवता उनकी सेवा में लगे है तथा वे सिद्ध समुदाय से घिरे हुए हैं। देवताओं में ऐसे प्रथम पूज्य श्री गणपति जी को मेरा प्रणाम है।

सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजितः फलसिद्धये । सदैव पार्वतीपुत्रः ऋणनाशं करोतु मे।
त्रिपुरस्य वधात्पूर्व शम्भुना सम्यगर्चितः । सदैव पार्वतीपुत्रः ऋणनाशं करोतु मे।।

sri'sht'yaadau brahmanaa samyak poojitah' phalasiddhaye. sadaiva paarvateeputrah' ri'nanaasham' karotu me tripurasyavadhaat poorvam' shambhunaa samyagarchitah'. sadaiva paarvateeputrah' ri'nanaasham' karotu me 

अर्थात सृष्टि के अदिकाल में ब्रह्माजी ने सृष्टिरूप फल की सिद्धि के लिए जिनका सम्यक पूजन किया था वे पार्वती पुत्र सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
अर्थात त्रिपुर वध के पूर्व भगवान शिव ने जिनकी सम्यक् आराधना की थी, वे पार्वतीनन्दन श्री गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।

हिरण्यकश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनाचिंतः। सदैव पार्वतीपुत्रः ऋणनाशं करोतु मे।
महिषस्य वधे देव्या गणनाथः प्रपूजितः । सदैव पार्वतीपुत्रः ऋणनाशं करोतु मे।

Hiranyakashipvaadeenaam' vadhaarte vishnunaarchitah'. sadaiva paarvateeputrah' ri'nanaasham' karotu me .. mahishasya vadhe devyaa gananaathah' prapoojitah'. sadaiva paarvateeputrah' ri'nanaasham' karotu me .. 

अर्थात - भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप आदि दैत्यों के वध के लिए जिनकी पूजा की थी, वे पार्वतीकुमार गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
अर्थात महिषासुर का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने जिन गणनाथ की उत्तम पूजा की थी, वे पार्वती नन्दन श्री गणेश सदा ही मेरे ऋणों का नाश करें।

तारकस्य वधात्पूर्व कुमारेण प्रपूजितः। सदैव पार्वतीपुत्रः ऋणनाशं करोतु मे।
 भास्करेण गणेशो हि पूजितच्छविसिद्धिये। सदैव पार्वतीपुत्रः ऋणनाशं करोतु मे।

taarakasya vadhaat poorvam' kumaarena prapoojitah' .sadaiva paarvateeputrah' ri'nanaasham' karotu me .. bhaaskarena ganesho hi poojitashcha svasiddhaye. sadaiva paarvateeputrah' ri'nanaasham' karotu me ..

अर्थात कुमार कार्तिकय ने तारकासुर के वध से पूर्व जिनका भली-भांति पूजन किया था, वे पार्वतीपुत्र मेरे ऋण का नाश करें।
अर्थात - भगवान सूर्यदेव ने अपनी तेजोमयी प्रभा की रक्षा के लिए जिनकी आराधना की थी वे माता पार्वती के पुत्र सदा मेरे ऋण का नाश करें।

शशिना कान्तिवृद्ध्यर्थं पूजितो गणनायकः । सदैव पार्वतीपुत्रः ऋणनाशं करोतु मे।
पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजितः। सदैव पार्वतीपुत्रः ऋणनाशं करोतु मे।

Shashinaa kaantivri'ddhyartham' poojito gananaayakah'. sadaiva paarvateeputrah' ri'nanaasham' karotu me .. paalanaaya cha tapasaam' vishvaamitrena poojitah'. sadaiva paarvateeputrah' ri'nanaasham' karotu me .. 

अर्थात चन्द्रमा ने अपनी कान्ति की सिद्धि के लिए जिन गणनायक का पूजन किया वे मां पार्वती के पुत्र गणेश जी सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
अर्थात विश्वामित्र ऋषि ने अपनी रक्षा के लिए तपस्या द्वारा जिनकी पूजा की थी, वे पार्वतीपुत्र गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।

इदंत्वृणहरस्तोत्रं तीव्रदारिद्र्यनाशनम्। एकवारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं समाहितः
दारिद्र्य दारुणं त्यक्त्वा कुबेरसमतां ब्रजेत् ॥

idam' ri'naharam' stotram' teevradaaridryanaashanam. ekavaaram' pat'hennityam' varshamekam' samaahitah' daaridryam' daarunam' tyaktvaa kuberasamataam' vrajet. phad'anto'yam' mahaamantrah' saardhapanchadashaaksharah' .. 

अर्थात यह ऋणहर्ता स्तोत्र दारुण दरिद्रता का नाश करने वाला है। इसका प्रतिदिन एकाग्र तथा शुद्ध हृदय से पाठ करने से मनुष्य को निसंदेह ऋण से मुक्ति मिलती है तथा दरिद्रता भी नष्ट हो जाती है साथ ही साथ मनुष्य को कुबेर के समान ही थन और वैभव प्राप्त हो जाता है।

॥ इति ऋणहर गणेश स्तोत्रम् ॥

The Audio of Rinhar Ganpati Stotram

कृष्णयामलतंत्र में ऋणहर्ता गणेश मंत्र इस प्रकार है: रम्य कैलाश पर्वत पर चन्द्रार्धशेखर और षडाम्नायों से संपन्न शम्भु से पार्वतीजी ने पूछा...

पार्वत्युवाच

देवेश परमेशान सर्वशास्त्रार्थपारग। उपायमृणनाशस्य कृपया वद साम्प्रतम् ।

हे देवेश, परमेशान, सर्वशास्त्रपारग! इस समय आप ऋणनाश का उपाय मुझे बताएं।

शिवोवाच

सम्यक्पृष्टं त्वया भद्रे लोकानां हितकाम्यया। तत्सर्वं सम्प्रवक्ष्यामि सावधानावधारय।

हे भद्रे! तुमने संसार के हित की कामना से ठीक ही पूछा है। वह सब मैं बतलाऊंगा। सावधान होकर सुनो...

विनियोग

ॐ अस्य श्रीऋणहरणकर्तृगणपतिस्तोत्रमंत्रस्य सदाशिव ऋषिः । अनुष्टुप्छन्दः । श्रीऋणहर्तृगणपति र्देवता ग्लौं बीजम् । गः शक्तिः । गों कीलकम् । मम सकलर्णनाशने जपे विनियोगः ।

ऋष्यादिन्यास

ॐ सदाशिवर्षये नमः शिरसि ।

अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे।

श्रीऋणहर्तृगणेशदेवतायै नमः हृदि ।

ग्लौं बीजाय नमः गुह्ये। गः शक्तये नमः पादयोः।

गों कीलकाय नमः सर्वाङ्गे ।

करन्यास

ॐ गणेश अंगुष्ठाभ्यां नमः ।

ऋणं छिन्धि तर्जनीभ्यां नमः।

वरेण्यं मध्यमाभ्यां नमः ।

हुं अनामिकाभ्यां नमः।

कनिष्ठिकाभ्यां नमः।

फट् करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।

षडंगन्यास

ॐ गणेश हृदयाय नमः ।

ऋण छिन्धि शिरसे स्वाहा।

वरेण्यं शिखायै वषट्।

हु कवचाय हुं।

नमः नेत्रत्रयाय वौषट्।

फट् अस्त्राय फट् ।

ध्यान

ॐ सिन्दूरवर्ण द्विभुजं गणेशं लम्बोदरं पद्मदले निविष्टम्।
ब्रह्मादिदेवैः परिसेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणमामि देवम्॥

यह ऋणहर स्तोत्र तीव्रदारिद्र्य का नाश करने वाला है। एकाग्रचित्त होकर एक वर्ष तक नित्य एक बार इसका पाठ करने से दारुण दारिद्र्य से मुक्त होकर साधक कुबेर के समान हो जाता है। यह एक ऐसा दिव्य स्तोत्र है जिसको सिर्फ 1 बार पढ़ने से व्यक्ति कुबेर के समान धनवान बन सकता है |

यह पाठ सभी विघ्न बाधा को दूर करता है और धन, बुद्धि, सौभाग्य, समृद्धि और सभी प्रयासों में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है। ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र जीवन में थन और समृद्धि के लिए भगवान गणेश का मंत्र है।यह ऋण और गरीबी को दूर रखने में मदद करता है।

ऐसा भगवान शिव ने भगवती पार्वती को कहा था |  यह गणेश स्तोत्र सभी कामनाओँ की पूर्ति करने वाला स्तोत्र है | श्वेतार्क गणपति अथवा प्राण प्रतिष्ठित गणपति विग्रह के समक्ष पाठ करने से फल कई गुणा बाद जाता है | एकाग्रचित्त होकर एक वर्ष तक नित्य एक बार इसका पाठ करने से दारुण दारिद्र्य से मुक्त होकर साधक कुबेर के समान हो जाता है।

ऋणमुक्ति के कुछ सरल उपाय!!        

कर्ज या ऋ़ण का होना जिंदगी को मुश्किल में डाल देता है। कर्ज मुक्त जीवन ही सबसे खुशहाल जीवन होता है। कई बार कर्ज लेने के बाद उसे लौटाना व्यक्ति को भारी पड़ता है और उसकी पूरी जिंदगी कर्ज चुकाते-चुकाते खत्म हो जाती है। कर्ज मुक्ति हेतु आइए जानें कुछ सरल और कुछ कठिन, लेकिन अचूक उपाय।

यदि आप ऋण मुक्ति चाहते हो तो उसके लिए नीचे दिए ज्योतिष और विद्वानों द्वारा बताए कुछ उपाय कर अपनी समस्या को समाप्त कर सकते हो।

1- मेष, कर्क, तुला व मकर चर लग्न हैं। इन लग्न में कर्ज लिया जाए तो जल्द ही निस्तारित हो जाता है। यह तो रही लेने वाले की बात, लेकिन चर लग्न में कर्जा देना नहीं चाहिए। चर लग्न में पांचवें व नवें स्थान में शुभ ग्रह व आठवें स्थान में कोई भी ग्रह नहीं हो, वरना ऋण पर ऋण चढ़ता चला जाएगा।
2- किसी भी महीने की कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि, शुक्ल पक्ष की 2, 3, 4, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13, पूर्णिमा व मंगलवार के दिन उधार दें और बुधवार को कर्ज लें।
3- हस्त नक्षत्र रविवार की संक्रांति के वृद्धि योग में कर्जा उतारने से मुक्ति मिलती है।
4- कर्ज मुक्ति के लिए ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें एवं लिए हुए कर्ज की प्रथम किश्त मंगलवार से देना शुरू करें। इससे कर्ज शीघ्र उतर जाता है।
5- कर्ज लेने जाते समय घर से निकलते वक्त जो स्वर चल रहा हो, उस समय वही पांव बाहर निकालें तो कार्य सिद्धि होती है, परंतु कर्ज देते समय सूर्य स्वर को शुभकारी माना है।
6- लाल मसूर की दाल का दान दें।
7- वास्तु अनुसार ईशान कोण को स्वच्छ व साफ रखें।
8- वास्तुदोष नाशक हरे पत्थर या पन्ना की खरड़ के गणपति मुख्य द्वार पर आगे-पीछे लगाएं।
9.वास्तुदोष नाशक हरे रंग के गणपति मुख्य द्वार पर आगे-पीछे लगाएं‌।वो
10..* कहा जाता है कि भोजन में गुड़ का प्रयोग भी इस दृष्टि से अति उत्तम है।
11..भौम प्रदोष करें : हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है। सोमवार का प्रदोष, मंगलवार को आने वाला प्रदोष और अन्य वार को आने वाला प्रदोष सभी का महत्व और लाभ अलग अलग है।
12..मंगलवार को आने वाले इस प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं। इस दिन स्वास्थ्य सबंधी तरह की समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। इस दिन प्रदोष व्रत विधिपूर्वक रखने से कर्ज से छुटकारा मिल जाता है।
 13..मंगल एवं बुध का उपाय : मंगल की भातपूजा, दान, होम और जप करना चाहिए। मंगल एवं बुधवार को कर्ज का लेन-देन न करें। प्रतिदिन हनुमानअष्टक का पाठ सात बार करें। अगर प्रतिदिन करना संभव न हो तो मंगलवार को जरूर करें।
14..* ऋण की किश्तों को मंगलवार के दिन ही अदा करें। ऐसा करने से कर्ज शीघ्र ही समाप्त हो जाता है।   
 15..* किसी भी महीने की कृष्णपक्ष की 1 तिथि, शुक्लपक्ष की 2, 3, 4, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13 पूर्णिमा व मंगलवार के दिन उधार दें और बुधवार को कर्ज लें। 
16.*  बुधवार को सवा पाव मूंग उबालकर घी-शक्कर मिलाकर गाय को खिलाने से शीघ्र कर्ज से मुक्ति मिलती है।
17..हनुमानजी के चरणों में मंगलवार व शनिवार के दिन तेल-सिंदूर चढ़ाएं और माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ करें।
 18.. एक नारियल पर चमेली का तेल मिले सिन्दूर से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। कुछ भोग (लड्डू अथवा गुड़-चना) के साथ हनुमानजी के मंदिर में जाकर उनके चरणों में अर्पित करके ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें। तत्काल लाभ प्राप्त होगा
19..शनिवार के दिन सुबह नित्य कर्म व स्नान आदि करने के बाद अपनी लंबाई के अनुसार काला धागा लें और इसे एक नारियल पर लपेट लें। इसका पूजन करें और उसको नदी के बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। साथ ही भगवान से ऋण मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
20- ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का शुक्लपक्ष के बुधवार से नित्य पाठ करें।
21- बुधवार को सवा पाव मूंग उबालकर घी-शक्कर मिलाकर गाय को खिलाने से शीघ्र कर्ज से मुक्ति मिलती है
22- सरसों का तेल मिट्टी के दीये में भरकर, फिर मिट्टी के दीये का ढक्कन लगाकर किसी नदी या तालाब के किनारे शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जमीन में गाड़ देने से कर्ज मुक्त हो सकते हैं।
23- सिद्ध-कुंजिका-स्तोत्र का नित्य एकादश पाठ करें।
24- घर की चौखट पर अभिमंत्रित काले घोड़े की नाल शनिवार के दिन लगाएं।
25- श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल के वृक्ष पर चढ़ाना चाहिए। यह कार्य नियमित रुप से 7 शनिवार को किया जाना चाहिए।
26- पांच गुलाब के फूल, एक चाँदी का पत्ता, थोडे से चावल, गुड़ लें। किसी सफेद कपड़े में इक्कीस बार गायत्री मन्त्र का जप करते हुए बांध कर जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा सात सोमवार को करें।
27- ताम्रपत्र पर कर्जनाशक मंगल यंत्र (भौम यंत्र) अभिमंत्रित करके पूजा करें या सवा चार रत्ती का मूंगायुक्त कर्ज मुक्ति मंगल यंत्र अभिमंत्रित करके गले में धारण करें।
28- सर्व-सिद्धि-बीसा-यंत्र धारण करने से सफलता मिलती है।


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