Sidh Kunjika Stotra Timings | Day | Siddhi

Sidh Kunjika Stotra Timings - Day - Siddhi

📅 Sep 13th, 2021

By Vishesh Narayan

Summary Sidh Kunjika Stotra Timings is an article on the precise timing of the siddhi of the Stotra. At what time should Siddha Kunjika Stotra be recited? If recited during this time in Navratri, then this stotra is proved and the seeker gets a boon from the goddess.


Sidh Kunjika Stotra Timings is an article on the precise timing of the siddhi of the Stotra. Siddh Kunjika Stotram is a highly Effective Prayer and  Very authentic.

Sidh Kunjika Stotra to Activate the mantra & to get the divine grace of Goddess Durga. This powerful Sidh Kunjika Stotram has the ability to remove all troubles from life and provide success everywhere.

Sidh Kunjika Stotram is a mool Stotra of Durga Saptashati which covers the whole Durga Saptashati in one Stotra. Sidh Kunjika Stotram is a very secret Stotra & should be chanted very carefully under the divine guidance of a Guru.

This is the essence of the Chandi, the Navarna Mantra, the constant reminder that change She will, change Her must because change is Her intrinsic Nature.

Kunjika literally means “something overgrown or hidden by growth or growing things.” Siddha means perfection. Stotram is the song.

The Song of Perfection is no longer hidden because of growth. That is, our spiritual growth and understanding of the Chandi expose the hidden meanings of the Bija mantras in the Song.

Sidh Kunjika Stotra Timings is the exact moment of siddhi of this Stotra.

Sidh Kunjika Stotra Timings and Dates

At what time should Siddha Kunjika Stotra be recited? The time period of each day is 24 hours. If Navami Tithi starts at 7:00 a.m., then Sadhak should start reciting this Stotra from 6:36 a.m. and finish it by 7:24 a.m.

This time is called the Sandhi moment and is a very holy time. If recited during this time in Navratri, then this Stotra is proved and the seeker gets a boon from the goddess.

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र भगवती चामुंडा का एक प्रसिद्ध और दिव्य स्तोत्र है | जो साधक जीवन में आर्थिक और आद्यात्मिक प्रगति चाहते हैं उन्हें देवी के इस पावन स्तोत्र का अवश्य पाठ करना चाहिए |

अगर साधक किसी कारणवश दुर्गा सप्तशती का पठन नहीं कर सकते उनके लिए यह चमत्कारी स्तोत्र एक वरदान के समान है | कुंजिका स्तोत्र जीवन के सभी शुभ द्वारो को खोलने की गुप्त कुंजी है |

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ किस समय किया जाना चाहिए | प्रत्येक तिथि का समय काल 24 घंटे का होता है | अगर नवमी तिथि सुबह 7:00 am बजे शुरू होती है तो साधक को इस स्तोत्र का पाठ सुबह 6:36 am से शुरू करना चाहिए और 7:24 am तक इस का पाठ समाप्त करना चाहिए |

यह समय संधि क्षण कहलाता है और बहुत ही पवित्र समय है | अगर नवरात्रि में इस समय में पाठ कर लिया जाय तो यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है और साधक को देवी से वर की प्रप्ति होती है |

Sidh Kunjika Stotram Meaning

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ॥१॥

अर्थ – शिवजी बोले – देवी! सुनो, मैं उत्तम कुंजिकास्तोत्र का उपदेश करूँगा, जिस मन्त्र के प्रभाव से देवी का जप (पाठ) सफल होता है.

Shiva Said,
Oh Parvathi please hear the great prayer called Kunjika,
By recitation of which , the recitation of Devi Mahatmya(Chandi)
Would become more powerful/auspicious.

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥२॥

अर्थ – कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास यहाँ तक कि अर्चन भी आवश्यक नहीं है.

There is no need to recite Kavacham , Argalam , Kilakam and the Rahasya thrayam,
Nor is it necessary to recite Suktham, Dhyanam, Nyasam, and also no need to worship.

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥३॥

अर्थ – केवल कुंजिका के पाठ से दुर्गापाठ का फल प्राप्त हो जाता है. यह कुंजिका अत्यन्त गुप्त और देवों के लिए भी दुर्लभ है.

Just by reading Kunjika, we would get the effect of reading Chandi,
And Oh Goddess this is a great secret and even Devas do not know it.

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत्कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४॥

अर्थ – हे पार्वती! इसे स्वयोनि की भाँति प्रयत्नपूर्वक गुप्त रखना चाहिए. यह उत्तम कुंजिकास्तोत्र केवल पाठ के द्वारा मारण, मोहन, वशीकरण, स्तम्भन और उच्चाटन आदि आभिचारिक उद्देश्यों को सिद्ध करता है.

Oh Parvathi, you decide about the effort to keep it a secret
Because just by reading this great prayer on Kunjika, we can easily achieve,
Murder, attraction, slavery, making things motionless by repeated chants,
Sidh Kunika Mantra

अथ मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा
॥ इति मंत्रः॥

Om Aing, kleem Chamanudayai viche . Om Gloum hoom kleem joom sa,
Jwalaya jwalaya , Jwala, Jwala , prajwala , prajwala ,
Aing Hreem Kleem Chamundayai viche Jwala, ham sam lam ksham phat swaha.

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥१॥

अर्थ – हे रुद्रस्वरुपिणी! तुम्हें नमस्कार! हे मधु दैत्य को मारने वाली! तुम्हें नमस्कार है. कैटभविनाशिनी को नमस्कार! महिषासुर को मारने वाली देवी! तुम्हें नमस्कार है

Salutations to her who is angry, Salutations to the killer of Madhu,
Salutations to the winner over Kaidabha, Salutations to the killer of Mahisha.

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि॥२॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।

अर्थ – शुम्भ का हनन करने वाली और निशुम्भ को मारने वाली! तुम्हें नमस्कार है. हे महादेवि! मेरे जप को जाग्रत और सिद्ध करो.

Salutations to the killer of Shumba and the killer of Nishumbha,
Oh Great Goddess, please safely give me the expertise of chanting this.

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥३॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।

अर्थ – “ऎंकार” के रुप में सृष्टिस्वरूपिणी, “ह्रीं” के रूप में सृष्टि पालन करने वाली। “क्लीं” के रूप में कामरूपिणी (तथा निखिल ब्रह्माण्ड) – की बीजरूपिणी देवी! तुम्हें नमस्कार है.

Salutations to the Goddess who has the form of root chants,
Who by the chant “Aim” has the form of the creator,
Who by the chant “Hreem” has the form of one who takes care of,
And who by the Chant “Kleem” has the form of passion.

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥ ४॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि॥ ५॥

अर्थ – चामुण्डा के रूप में चण्डविनाशिनी और “यैकार” के रूप में तुम वर देने वाली हो। “विच्चे” रूप में तुम नित्य ही अभय देती हो। (इस प्रकार “ऎं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”) तुम इस मन्त्र का स्वरुप हो.

Salutations to the goddess who has the form made of Chants,
To the Chamunda who is the killer of Chanda,
Who by chanting “Ai” grants boons,
And by Chanting “Viche”, grants protection daily.

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥६॥

अर्थ – ‘धां धीं धूं’ के रुप में धूर्जटी (शिव) – की तुम पत्नी हो. ‘वां वीं वूं’ के रुप में तुम वाणी की अधीश्वरी हो. ‘क्रां क्रीं क्रूं’ के रूप में कालिका देवी, ‘शां शीं शूं’ के रुप में मेरा कल्याण करो.

Dham, Dheem, Dhoom, the wife of Lord Shiva,
Vaam, veem, Voom, the goddess of speech,
Kraam, kreem , kroom , the goddess Kali ,
Saam, seem, soom, please do good.

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥७॥

अर्थ – ‘हुं हुं हुंकार’ स्वरूपिणी, ‘जं जं जं’ जम्भनादिनी, ‘भ्रां भ्रीं भ्रूं’ के रुप में हे कल्याणकारिणी भैरवी भवानी! तुम्हें बार-बार प्रणाम.

Hoom, hoom, she who has the form of the sound hoom,
Jam, jam, jam, she who has a sound like a thunderbolt,
Breem, breem, broom, Goddess Bhairavi,
Oh Goddess of the good, Oh Bhavani , salutations and salutations to you.

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥

अर्थ – ‘अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऎं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं’ इन सबको तोड़ो और दीप्त करो, करो स्वाहा.

Aam , kam, tam , pam , yam, sam , veem, dhoom ,aing , veem ham, the end of devotion,
Tear apart the end of devotion , throw , throw light , swaha.

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥८॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥

अर्थ – ‘पां पीं पूं’ के रूप में तुम पार्वती पूर्णा हो. ‘खां खीं खूं’ के रूप में तुम खेचरी (आकाशचारिणी) अथवा खेचरी मुद्रा हो.
म्लां म्लीं म्लूं मूलविस्तीर्णरूपिणी-कुञ्जिकादेवी को नमस्कार है ‘सां सीं सूं’ स्वरूपिणी सप्तशती देवी के मन्त्र को मेरे लिए सिद्ध करो.

Paam, peem, poom , the daughter of the mountain who is complete,
Khaam, kheem, khoom who is also flying in the sky,
Saam, seem, soom , Get me mastery over the chant of the Goddess of Devi Mahatmyam/Chandi/ Saptashati..
Benefits Sidh Kunjika Stotram

॥फल श्रुति॥

इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥

This is the prayer of the Kunjika which is the reason for awakening,
Oh Parvathi, keep this protected and kept secret from those who are not devotees.

यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥

अर्थ – यह कुंजिकास्तोत्र मन्त्र को जगाने के लिए है. इसे भक्तिहीन पुरुष को नहीं देना चाहिए. हे पार्वती! इसे गुप्त रखो। हे देवी! जो बिना कुंजिका के सप्तशती का पाठ करता है उसे उसी प्रकार सिद्धि नहीं मिलती जिस प्रकार वन में रोना निरर्थक होता है.

Those who read Saptashati without this prayer of Kunjika,
Would not reach the forest of perfection as it would be like a wail there.

प्रतिदिन सुबह के समय ऊपर्युक्त स्तोत्र का पाठ करने से सब प्रकार के बाधा-विघ्न नष्ट हो जाते हैं. इस कुंजिका स्तोत्र तथा देवीसूक्त के सहित सप्तशती पाठ से परम सिद्धि प्राप्त होती है।) मारण – कामक्रोधनाश, मोहन – इष्टदेव-मोहन, वशीकरण-मन का वशीकरण, स्तम्भन-इन्द्रियों की विषयों के प्रति उपरति और उच्चाटन – मोक्ष प्राप्ति के लिए छटपटाहट – ये सभी इस स्तोत्र का इस उद्देश्य से सेवन करने से सफल होते हैं |

वरात्रि की साधना परम ऊर्जा(दिव्य अग्नि) की साधना है यह नौ दिन अग्निपान करने के समान होते है जिस तरह अग्नि की तपन असहनीय होती है उस तरह नवरात्री व्रत कठिन होते है लेकिन अग्नि मे तपकर सोना जिस तरह कुंदन बन जाता है उसी तरह जो प्राणी नवरात्रि के तप करता है वह भी परम तेजस्विता धारण कर दिव्य तथा जीवन के उच्च स्तर पर पहुंच जाता है |

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