The Rudraksha Guide offers a complete reference to the many varieties of Rudraksha, as well as answers to the most frequently asked questions.
Rudraksha is the dried seed of a tree, which grows in select locations of South East Asia, botanically known as Elaeocarpus Ganitrus. It is also called “Tears of Shiva” and there are many legends connected to Lord Shiva that describe its origin. The word Rudraksha comes from "Rudra" (name of Shiva) and "Aksha" meaning tears.
Rudraksha Guide: Types of Rudraksha?
Panchamukhi Rudraksha: These five-faced Rudrakshas can be worn by anyone over the age of 14. It promotes inner freedom and purity.
Dwimukhi Rudraksha: These are two-faced Rudrakshas designed for married people. It strengthens marital connections and should be worn by both husband and wife.
Shanmukhi Rudraksha: Rudraksha is six-faced and intended for children under the age of 14. It promotes optimal physical and mental growth.
Gowri Shankar Rudraksha: These beads resemble two beads fused and can be worn by anyone over the age of 14. It promotes wealth, balances the Ida and Pingala Nadis (energy channels), and awakens all seven chakras.
Benefits of wearing a Rudraksha
• Promotes physical and mental equilibrium.
• Aids spiritual seekers.
• Treats various physical, mental, and psychosomatic diseases.
Everyone can wear Rudraksha, regardless of gender, culture, ethnicity, geography, or religion. People at all life stages can wear them, regardless of mental or physical state.
General Guidelines
To prepare new Rudraksha beads, soak them in ghee (clarified butter) for 24 hours before soaking them in full-fat milk for another 24 hours. Rinse it with water and wipe the beads with a clean cloth.
Do not use soap or other cleaning products to wash them. The color of the Rudraksha may change as a result of this conditioning, which is normal given that they are natural beads. It is also usual for some thread colors to come off during conditioning.
The mala is suitable for daily wear. You can wear it when sleeping or showering. If you take cold water baths without using chemical soap, it is extremely beneficial for the water to flow over it and onto your body. However, if you use chemical soaps and warm water, it can become brittle and break after a while, so avoid wearing it during those times.
1. एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रूप माना जाता है । इस एकमुखी रुद्राक्ष द्वारा सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है । तथा भगवान आदित्य का आशिर्वाद भी प्राप्त होता है । इसे धारण करने से जीवन में सुख शान्ती, धन सम्पती, मान सम्मान सभी मीलता है । किसी भी सोमवार को इस रुद्राक्ष को शिवलिंग पर रखकर दूध से स्नान करवाकर, चन्दन का तिलक कर उपरोक्त लिखित मन्त्र की ११ माला जाप करके धारण करना चाहिए । किसी भी वस्तु का अभाव नहीं रहता । लक्ष्मी उसके घर में चिरस्थायी बनी रहती है । चित्त में प्रसन्नता, अनायास धनप्राप्ति, रोगमुक्ति तथा व्यक्तित्व में निखार और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है ।
इसको धारण करने का मन्त्र -:
।। ॐ ह्रीं नमः ।।
2. दो मुखी रुद्राक्ष या द्विमुखी रुद्राक्ष शिव और शक्ति का स्वरुप माना जाता है। इसमें अर्धनारीश्व का स्वरूप समाहित है तथा चंद्रमा की शीतलता प्राप्त होती है । शिवभक्तों को यह रुद्राक्ष धारण करना अनुकूल है । यह तामसी वृत्तियों के परिहार के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है । इसे धारण करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है । चित्त में एकाग्रता तथा जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और पारिवारिक सौहार्द में वृद्धि होती है । व्यापार में सफलता प्राप्त होती है । स्त्रियों के लिए इसे सबसे उपयुक्त माना गया है । इस रुद्राक्ष को धारण करने से पैर की तकलीफ, सर्दी, खांसी आदि रोग ठीक होते हैं ।
इसको धारण करते का मन्त्र
"।। ॐ नमः ।।"
इस मन्त्र की ११ माला जाप करना चाहिए ।
3. तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव तथा त्रिदेवों का स्वरुप माना गया है। तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा पापों का शमन होता है । सत्व, रज और तम- इन तीनों यानी त्रिगुणात्मक शक्तियों का स्वरूप यह भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान देने वाला है । इसे धारण करने वाले मनुष्य की विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों का दमन होता है और रचनात्मक प्रवृत्तियों का उदय होता है । किसी भी प्रकार की बीमारी व कमजोरी शरीर में नहीं रहता है । व्यक्ति क्रियाशील रहता है । यदि किसी की नौकरी नही लग रही हो, बेरोजगार हो तो इसके धारण करने से निश्चय ही कार्यसिद्धी होती है ।
यह पीलिया ( जोन्डिस ) रोग में भी अत्यंत लाभदायक है । मैनेजमेंट या मार्केटिंग व्यवसाय से सम्बन्ध रखने वाले व्यक्तियों को ३ मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
इसको धारण करने का मंत्र
"।। ॐ क्लीं नमः ।।"
4. चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरुप होता है । इसे धारण करने से नर हत्या जैसा जघन्य पाप समाप्त होता है । चतुर्मुखी रुद्राक्ष धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष को प्रदान करता है । शिक्षा में सफलता देता है । जिसकी बुद्धि मंद हो, वाक् शक्ति कमजोर हो तथा स्मरण शक्ति मंद हो उसके लिए यह रुद्राक्ष कल्पतरु के समान है । इसके धारण करने से शिक्षा आदि में असाधारण सफलता मिलती है । इस रुद्राक्ष को पहनने से आत्मविश्वास बढ़ता है ।
इसको धारण करने का मंत्र
।। ॐ ह्रीं नमः ।।
इस मंत्र की ११ माला का जाप करना चाहिए ।
5. पांच मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र का स्वरूप माना जाता है । यह पंच ब्रह्म एवं पंच तत्वों का प्रतीक भी है । पंचमुखी को धारण करने से अभक्ष्याभक्ष्य एवं स्त्रीगमन जैसे पापों से मुक्ति मिलती है । तथा सुखों को प्राप्ति होती है । मानसिक शांति और प्रफुल्लता के लिए भी इसका उपयोग किया होता है ।
इसको धारण करने का मन्त्र
।। ॐ ह्रीं नमः ।।
6. छह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है । इसे शत्रुंजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है । यह ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति तथा एवं संतान देने वाला होता है । इसे धारण करने से खोई हुई शक्तियाँ जागृत होती हैं । स्मरण शक्ति प्रबल तथा बुद्धि तीव्र होती है । कार्यों में पूर्ण तथा व्यापार में आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त होती है ।
इसको धारण करने का मन्त्र
।। ॐ ह्रीं नमः ।।
7. सात मुखी रुद्राक्ष या सप्तमुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को दूर करने वाला होता है । इस सप्तमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है । सप्तमुखी रुद्राक्ष को सप्तमातृका तथा ऋषियों का प्रतिनिधि माना गया है । यह अत्यंत उपयोगी तथा लाभप्रद रुद्राक्ष है । धन-संपत्ति, कीर्ति और विजय प्रदान करने वाला होता है साथ ही कार्य, व्यापार आदि में बढ़ोतरी कराने वाला है ।इस रुद्राक्ष को शुक्रवार या सोमवार को मंत्र जाप करके धारण करना चाहिये ।
इसको धारण करने का मंत्र
।। ॐ हुं नमः ।।
इस मन्त्र की ११ माला का जाप करना चाहिए ।
8. आठ मुखी रुद्राक्ष को भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है । अष्टमुखी रुद्राक्ष राहु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाता है तथा पापों का क्षय करके मोक्ष देता है । यह ज्ञानप्राप्ति, चित्त में एकाग्रता में उपयोगी तथा मुकदमे में विजय प्रदान करने वाला है । धारक की दुर्घटनाओं तथा प्रबल शत्रुओं से रक्षा करता है । इस रुद्राक्ष को विनायक का स्वरूप भी माना जाता है । यह व्यापार में सफलता और उन्नतिकारक है । यह रुद्राक्ष कुण्डिलिनी को जाग्रत करता है तथा अष्ट सिद्धि प्रदाता है । मंत्र जाप के पश्चात धारण करने से परमपद की प्राप्ति होती है ।
इस को धारण करने का मंत्र
।। ॐ हुं नमः ।।
9. नौ मुखी रुद्राक्ष को भैरव का स्वरूप माना जाता है । इसे बाईं भुजा में धारण करने से गर्भ हत्या जेसे पाप से मुक्ति मिलती है । नौमुखी रुद्राक्ष को यम का रूप भी कहते हैं । यह केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करता है । नवमुखी रुद्राक्ष को नवशक्ति का प्रतिनिधि माना गया है । इसके अलावा इसे नवदुर्गा, नवनाथ, नवग्रह का भी प्रतीक भी माना जाता है । यह धारक को नई-नई शक्तियाँ प्रदान करने वाला तथा सुख-शांति में सहायक होकर व्यापार में वृद्धि कराने वाला होता है । इसके धारक की अकालमृत्यु नहीं होती तथा आकस्मिक दुर्घटना का भी भय नहीं रहता ।
इस को धारण करने का मंत्र
।। ॐ ह्रीं हुं नमः ।।
इस मंत्र की ११ माला जाप करके बायीं भुजा पर धारण करना चाहिये ।
10. दस मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप कहा जाता है । दशमुखी रुद्राक्ष दस दिशाएँ, दस दिक्पाल का प्रतीक है । इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले को लोक सम्मान, कीर्ति, विभूति और धन की प्राप्ति होती है । दस मुखी रुद्राक्ष शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है । इसे धारण करने से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं ।
इसको धारण करने का मंत्र
।। ॐ ह्रीं नमः ।।"
11. एकादश मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का रूप माना जाता है । एकादश मुखी रुद्राक्ष को भगवान हनुमान जी का प्रतीक माना गया है । इसे धारण करने से ज्ञान एवं भक्ति की प्राप्ति होती है । यह रुद्राक्ष भी स्त्रियों के लिए काफी फायदेमंद रहता है । इसके बारे में यह मान्यता है कि जिस स्त्री को पुत्र रत्न की प्राप्ति न हो रही हो तो इस रुद्राक्ष के धारण करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है । इस रुद्राक्ष को सोमवार या शनिवार को धारण करना चाहिये ।
इसको धारण करने का मंत्र
।। ॐ ह्रीं हुं नमः ।।
इस मंत्र की ११ माला का जाप करना चाहिए ।
12. द्वादश मुख वाला रुद्राक्ष बारह आदित्यों का आशीर्वाद प्रदान करता है । इस बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान यह फल प्रदान करता है । सूर्य स्वरूप होने से धारक को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है । ब्रह्मचर्य रक्षा, चेहरे का तेज और ओज बना रहता है । सभी प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा मिट जाती है तथा ऐश्वर्ययुक्त सुखी जीवन की प्राप्ति होती है । जन्म -कुंडली में गुरु-राहु का चांडाल दोष, सूर्य-राहु का पितृ दोष, मंगल-राहु का अंगारक दोष, शनि-चन्द्र की युति से बनने वाला विष दोष हो तो १२ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से इन दोषों से होने वाले दुष्प्रभावों को समाप्त किया जा सकता है ।
इसको धारण करने का मंत्र
।। ॐ क्रौं क्षौं रौं नमः ।।
13. तेरह मुखी रुद्राक्ष को इंद्र देव का प्रतीक माना गया है । इसे धारण करने पर व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है । यश- कीर्ति की प्राप्ति में सहायक, मान- प्रतिष्ठा बढ़ाने परम उपयोगी तथा कामदेव का भी प्रतीक होने से शारीरिक सुंदरता बनाए रख पूर्ण पुरुष बनाता है । लक्ष्मी प्राप्ति में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है । पुत्र संतान की प्राप्ति के लिए या संतान के दीर्घायु जीवन के लिए यह रुद्राक्ष धारण करना अत्यंत लाभकारी है । शीघ्र विवाह कराने हेतु भी यह रुद्राक्ष पहना जाता है । यह रुद्राक्ष नपुंसकता को दूर करता है । पैर और गुप्तांग सम्बंधित रोगों को ठीक करता है । इस रुद्राक्ष को सोमवार या शुक्रवार को धारण करना लाभदायक होता है ।
इसको धारण करने का मंत्र
।। ॐ ह्रीं नमः ।।
इस मन्त्र की ११ माला का जाप करना चाहिए।
14. चौदह मुखी रुद्राक्ष भगवान हनुमान का स्वरूप है । इसे सिर पर धारण करने से व्यक्ति परमपद को पाता है । चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष स्वास्थ्य लाभ, रोगमुक्ति और शारीरिक तथा मानसिक-व्यापारिक उन्नति में सहायक होता है । इस रुद्राक्ष को सोमवार या मंगलवार को धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करते समय इसे शिवलिंग पर रखकर दूध का स्नान करवाकर मंत्रका जाप करके धारण करना लाभदायक होता है ।
इसको धारण करने का मंत्र
।। ॐ नमः ।।
इस मन्त्र की ११ माला जाप करना चाह
15. पंद्रह मुखी रुद्राक्ष पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है । यह संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला होता है । ये रूद्रास बहूत ही दुर्लम होती है । जो बहूत मुस्किलों से मीलता है ।
16. सोलह मुखी रुद्राक्ष विष्णु तथा शिव का स्वरूप माना गया है । यह रोगों से मुक्ति एवं भय को समाप्त करता है । यह केतु द्वारा शासित माना गया है तथा केतु के बुरे प्रभावों से बचाता है । यह रुद्राक्ष की दुर्लभ किस्मों में से एक है । इस रुद्राक्ष को पहनने से व्यक्ति भगवान की भक्ति की ओर अग्रसर होता है और सत्य को निभाते हुए अपने जीवन और सात जन्म के पुण्य लाभ पाता है । यह रुद्राक्ष समस्त सुखों का भोग कराता है और सभी पापों से मुक्त करने में सहायक होता है । ऐसे व्यक्ति को किसी प्रकार का भय नहीं सताता तथा जिस घर में सोलह मुखी रुद्राक्ष रखा हो । वह चोरी डकैती या आग की समस्याओं से मुक्त होता है ।
17. सत्रह मुखी रुद्राक्ष राम-सीता का स्वरूप माना गया है । यह रुद्राक्ष विश्वकर्माजी का प्रतीक भी है । इसे धारण करने से व्यक्ति को भूमि का सुख एवं कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने का मार्ग प्राप्त होता है ।
सत्र मुखी रुद्राक्ष भौतिक संपत्ति प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी है । यह रुद्राक्ष धर्म ,काम व मोक्ष का प्रदाता माना जाता है । माँ कात्यायनी के रूप में देवी दुर्गा का प्रतिनिधित्व करता है । यह रुद्राक्ष सम्पत्ति ,वाहन ,आभूषण व अनेक प्रकार के सुख -संपत्ति प्रदान करने वाला है । इसे धारण करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है ।
18. अठारह मुखी रुद्राक्ष को भैरव एवं माता पृथ्वी का स्वरूप माना गया है । इसे धारण करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है । भैरव भगवान शिव का भयानक और क्रोधित रूप है । अत ;इस रुद्राक्ष के स्वामी व्यक्ति को सभी भयानक प्रभावों से बचाते हैं । वनस्पतियों अर्थात ओषधियों का प्रतीक माना गया है ।
इसे धारण करने वाले के शरीर में किसी भी प्रकार की कोई भी बीमारी नहीं हो पाती व हमेशा स्वस्थ्य रहकर सुखी जीवन व्यतीत करता है । यह भूमि संबंधित कार्यों से जुड़े लोगों के लिए उत्तम माना गया है । इस प्रकार यह लौह अयस्क, जवाहरात, बिल्ड़रों, आर्किटेक्ट, संपत्ति डीलरों, ठेकेदारों, किसानों आदि के लिए उपयुक्त है ।
इसे पहनने से सभी प्रकार के सम्मान, सफलता और प्रसिद्धि मिलेगी । धारणकर्ता निर्भय बनते है । उनका दुर्घटनाओं और ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचाव होता है । यह गर्भवती महिलाओं के लिए लाभदायक होता है । इसे धारण करने से गर्भ में पल रहे शिशु की रक्षा होती है । शारीरिक क्षमता व ऊर्जा का विकास होता है । स्नायु तंत्र मजबूत होता है व यह रुद्राक्ष मानसिक तनाव जैसे रोगों का प्रतिकार करने के लिए उपयोगी है ।
इसको धारण करने का मंत्र
।। ऊँ नमः शिवाय ।।
19. उन्नीस मुखी रुद्राक्ष नारायण भगवान का स्वरूप माना गया है यह सुख एवं समृद्धि दायक होता है ।
20. बीस मुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप माना गया है। इस बीस मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को भूत-प्रेत आदि का भय नहीं सताता।
21. इक्कीस मुखी रुद्राक्ष रुद्र स्वरूप है तथा इसमें सभी देवताओं का वास है । इसे धारण करने से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्त हो जाता है । इक्कीस मुखी रुद्राक्ष कुबेर को दर्शाता है । जो धन -संपदा के स्वामी हैं ।
अन्य प्रकार के रूद्राक्ष-
गौरीशंकर रुद्राक्ष-
यह शिव और शक्ति का मिश्रित स्वरूप माना जाता है । उभयात्मक शिव और शक्ति की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है । यह आर्थिक दृष्टि से विशेष सफलता दिलाता है । पारिवारिक सामंजस्य, आकर्षण, मंगलकामनाओं की सिद्धी में सहायक है । यह शिव पार्वती का स्वरूप है । घर, पूजा ग्रह अथवा तिजोरी में मंगल कामना सिद्धि के लिये रखना लाभदायक है । इसे उपयोग में लाने से परिवार में सुख-शांति की वृद्धि होती है वातावरण शुद्ध बना रहता है । गले में धारण करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है ।
गौरीशकर रुद्राख सर्वसिद्धि प्रदाता रुद्राक्ष कहा गया है । यह सात्त्विक शक्ति में वृद्धि करने वाला, मोक्ष प्रदाता रुद्राक्ष है । जिसके घर में यह रुद्राक्ष होता है वहां लक्ष्मी का स्थाई वास हो जाता है तथा उसका घर धन-धान्य, वैभव, प्रतिष्ठा और दैवीय कृपा से भर जाता है । संक्षेप में यह धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को देने वाला चतुर्वर्ग प्रदाता रुद्राक्ष है । गौरीशंकर रुद्राक्ष में दो रुद्राक्ष के दानें परस्पर जुड़े होते हैं इन्हें गौरीशंकर रुद्राक्ष कहते हैं ।
गौरीशकर रुद्राक्ष सभी लग्न के जातकों के लिए शुभ माना गया है इसे धारण करने से अनेक लाभ होता है। उपयोग से लाभ:-
1. धारण करने से अभक्ष्य-भक्षण और पर स्त्री गमन जैसे- जघंन्य अपराध भी भगवान शिव द्वारा नष्ट होता है ।
2. इसे धारण करने से अनेक विपरीत लिंग के लोग आकर्षित होते हैं तथा उनका सुख प्राप्त होता है ।
3. यह रुद्राक्ष धनागमन एवं व्यापार उन्नति में अत्यन्त सहायक माना गया है ।
4. गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करने से पुरुषों को स्त्री सुख प्राप्त होता है तथा परस्पर सहयोग एवं सम्मान तथा प्रेम की वृद्धि होती है ।
5. यह रुद्राक्ष शिवभक्ति के लिए अधिक उपयोगी माना गया है भगवान शिव और मां शक्ति इस रुद्राक्ष में निवास करती हैं ।
गणेश रुद्राक्ष :
गणेश रुद्राक्ष भगवान गणेशजी का प्रतिनिधित्व करता है । इसकी आकृति भी उनके जैसी प्रतीत होती है । इस रुद्राक्ष पर सूंड के समान एक उभार होता है । इसे धारण करने से समस्त विघ्नों का नाश होता है व धन -सम्पति की प्राप्ति होती है । गणपतिजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
इनके सानिध्य को पाकर व्यक्ति सभी समस्याओं से मुक्त हो जाता है और सभी सुखों को भोगता हुआ मोक्ष को प्राप्त करता है । बुद्धि ज्ञान को बढ़ाने वाला यह रुद्राक्ष अच्छी कार्य क्षमता प्रदान करता है । नियमित रूप से इसकी पूजा -अर्चना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं व मानसिक समस्याओं का निराकरण करता है ।
इसे बाधाओं को दूर करने वाला व ऋद्धि -सिद्धि प्रदान करने वाला माना गया है जो व्यक्ति इसे धारण करता है, उसे अपार समृद्धि प्राप्त होती है । यह एक दिव्य मनका है इसे पहनने से आध्यात्मिक ,मानसिक और शारीरिक लाभ मिलता है । रुद्राक्ष से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इसकी प्राणप्रतिष्ठा की जनि चाहिए ।जो व्यक्ति अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें गणेश रुद्राक्ष धारण करना चाहिए । जो नए उद्यम की शुरुआत कर रहें हैं । वह भी इसे धारण करें तो उन्हें भरपूर सफलता प्राप्त होगी ।
इसको धारण करने का मंत्र
।। हुम् नमः ।।
इन्द्राक्षी माला
एक मुख से इक्कीस मुख तक के दानों को माला का रुप देकर इन्द्राक्षी माला बनायी जाती है । यह न हो तो एक से लेकर चौदह मुखी रुद्राक्ष, गौरी शंकर और गणेश रुद्राक्ष की भी लघु इन्द्राक्षी माला बनायी जा सकती है । रुद्राक्ष का हर एक दाना चाहे कोई भी मुख का हो अति विशेष गुण रखता है तो जब ये सब साथ हों तो कितने प्रभावशाली होंगे ये सहजता से समझा जा सकता है । इसके धारक को समस्त देवी-देवताओं का आर्शीवाद सुःलभ होता है - इसके बाद फिर तो फिर कुछ शेष रह ही नहीं जाता है।
राशियों के अनुरूप रुद्राक्ष
१. मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल है, इसलिए ऎसे जातक तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करें ।
२. वृषभ राशि के स्वामी ग्रह शुक्र है । अतः इस राशि के जातकों के लिए छह मुखी रुद्राक्ष फायदेमंद होता
है ।
३. मिथुन राशि के स्वामी ग्रह बुध है । इस राशि वालों के लिए चार मुखी रुद्राक्ष है ।
४. कर्क राशि के स्वामी ग्रह चंद्रमा है । इस राशि के लिए दो मुखी रुद्राक्ष लाभकारी है ।
५. सिंह राशि के स्वामी ग्रह सूर्य है । इस राशि के लिए एक या बारह मुखी रुद्राक्ष उपयोगी होगा ।
६. कन्या राशि के स्वामी ग्रह बुध है । इनके लिए चार मुखी रुद्राक्ष लाभदायक है ।
७. तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र है । इनके लिए छह मुखी रुद्राक्ष व तेरह मुखी रुद्राक्ष उपयोगी होगा ।
८. वृश्चिक राशि के स्वामी ग्रह मंगल है । इनके लिए तीन मुखी रुद्राक्ष लाभदायक होगा ।
९. धनु राशि के स्वामी ग्रह (गुरु ) वृहस्पति है । ऎसे जातकों के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष उपयोगी है ।
१०. मकर राशि के स्वामी ग्रह शनि है । इनके लिए सात या चौदह मुखी रुद्राक्ष उपयोगी होगा ।
११. कुंभ राशि के स्वामी ग्रह शनि है । इनके लिए सात या चौदह मुखी रुद्राक्ष लाभदायक होगा ।
१२. मीन राशि के स्वामी ग्रह गुरु है । इस राशि के जातकों के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष उपयोगी होगा ।
राहु की शांति लिए आठ मुखी रुद्राक्ष और केतु के लिए नौ मुखी रुद्राक्ष का वर्णन किया गया है ।
कार्य अनुरूप भी भिन्न भिन्न रुद्राक्षों का प्रयोग किया जाता है । प्रत्येक व्यक्ति को अपने रोजगार व व्यवसाय से संबंधित रुद्राक्ष धारण करना चाहिए जिससे अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके ।
1. वकील, जज व न्यायालयों में काम करने वाले लोगों को 1, 4 व 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहिए ।
2. वित्तीय क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति ( बैंक- कर्मचारी, चार्टर्ड एकाउन्टेंट ) को 8, 11, 12, 13 मुखी रुद्राक्ष धारण
करना चाहिए ।
3. प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस कर्मचारी को 9 व 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
4. चिकित्सा जगत से जुड़ें लोगों ( डाॅक्टर, वैद्य, सर्जन ) को 3, 4, 9, 10, 11, 12, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण
करना चाहिए ।
5. इंजीनियर को 8, 10, 11, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
6. वायुसेना से जुड़े कर्मचारियों व पायलट को 10 व 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
7. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों व अध्यापकों को 6 और 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
8. ठेकेदारी से संबंधित लोगों को 11, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
9. जमीन-जायदाद के क्रय-विक्रय से जुड़े लोगों को 1, 10, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
10. व्यवसायी व जनरल मर्चेंट को 10, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
11. उद्योगपति को 12 और 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
12. होटल- व्यवसाय से संबंधित कर्मचारियों को 1, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
13. राजनेताओं व राजनीति तथा समाज-सेवा से संबंधित लोगों को 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना
चाहिए।
14. बच्चों व विद्यार्थियों को गणेश रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।