Shodash Yogini Mantra is a mighty mantra to personify the 16 Yoginis quickly. The purpose of Yogini worship, as expressed in both Puranas and Tantras, was the accession of siddhis.
Yogini Sadhana is the only way through which human beings can accomplish material and spiritual achievements by fulfilling all their desires.
By performing Yogini Sadhana, one acquires Bhog and Moksha. These Yoginis are the ones who give immediate results and fulfill all kinds of unsatisfied desires.
A total of sixty-four types of Yoginis are described in Tantric texts. In this way, all have their own importance and accordingly, they have different mantras and practices, But for those who think of completing this sadhana for the first time, all the scriptures have emphasized the need for the first of all the six yoginis to complete their sadhana, they are as follows:
1 Divyayoga 2 Mahayoga 3 Siddha Yoga 4 Maheshwari
5 Kalratri 6 Hunkari 7 Bhuvaneshwari 8 Vishwaroopa
9 Kamakshi 10 Hastini 11 Mantra Yogini 12 Chakrani
13 Shubra 14 Shankhini 15 Padmini 16 Vaitali.
All these yoginis possess divine and supernatural abilities in themselves and provide supernatural, divinity, and uniqueness to their seeker. Yogini sadhana can take the seeker to the highest level.
How To Practice The Shodash Yogini Mantra Sadhana
- This sadhana can be started from Yogini Ekadashi or any Friday of any month.
- The seeker can also perform this sadhana for a particular Yogini.
- The duration of the sadhana is 21 days.
- After taking bath, start the sadhana after 10 pm.
- Wear Yellow clothes and sit on a Yellow mattress.
- Place a yellow silk cloth on a wooden pedestal. Place Yogini Gutika and offer flowers.
- Take some water in hand and make a resolution on the first day, there is no need to take a daily resolution.
"I am a person born in 'amuk' gotra, son of amuk' father, and I am completing this Shodash Yogini Sadhana to get the companionship of Shodash Yoginis in my spiritual and material life, I may get complete success in this sadhana so that I can achieve success in life.
- Worship all Yoginis or a particular Yogini with rice, saffron, flowers, lamp, and sweets.
- Now chant the Pran Pratishtha mantra to energize the Yogini Gutika.
- Chant 1 mala of Mool Shodash Yogini mantra before and after any Yogini mantra.
- Chant 21 mala of any Yogini mantra with energized Yogini Mala.
- The seeker should take a rest in the sadhana room only.
- On the 21st night, bring a garland of flowers and place it in the sadhana room.
- The seeker can take a promise from the Yogini to stay with him for her whole life.
- Throw the Yogini Gutika and Mala in a river nearby on the 22nd day.
- Try to speak as little as possible during these 21 days, silence is best.
- The observance of celibacy is mandatory.
Mool Shodash Yogini Mantra
Om Ayeim Hreem Kleem Shreem Vam Shraum Dhrim Sham Drim Kreem Hleem Noom Prom Yam Sham Gum Shodasha Yoginyei Namah
Yogini Mantra
1 Divyayoga Yogini Mantra: Om Aing Aing Divya Aagachch Aagachch Om Phat
2 Mahayoga Yogini Mantra: Om Hraum Glaum Glaum Mahayoga Sidhyae Om Phat Swaha
3 Siddha Yoga Yogini Mantra: Om Hreem Aing Phrem Sah: Aagach Om Phat
4 Maheshwari Yogini Mantra: Om Hreem Hreem Maheshwari Ehi Ehi Om Phat Swaha
5 Kalratri Yogini Mantra: Om Kleem Kleem Kalratri Sidhyae Om Phat Swaha
6 Hunkari Yogini Mantra: Om Hum Hum Hreem Hreem Hum Hum Phat
7 Bhuvaneshwari Yogini Mantra: Om Hreem Hreem Aagachch Bhuvaneshwari Om Phat
8 Vishwaroopa Yogini Mantra: Om Vam Vam Vishwarupa Vam Vam Om Phat
9 Kamakshi Yogini Mantra: Om Kam Kam Kamakshi Ehi Ehi Om Phat
10 Hastini Yogini Mantra: Om Aing Kleem Hastigaminayae Siddhyae Kleem Aing Om
11 Mantra Yogini Yogini Mantra: Om Mam Mantrrupe Ehi Ehi Om
12 Chakrani Yogini Mantra: Om Hreem Hum Chakreshwaryae Siddhwaye Om Phat
13 Shubra Yogini Mantra: Om Sham Sham Shubhre Aagachch Aagachch Sham Sham Om
14 Shankhini Yogini Mantra: Om Hreem Shreem Sham Shankhini Aagachch Om Phat
15 Padmini Yogini Mantra: Om Aing Hreem Shreem Pam Pham Padmini Ehi Om Phat
16 Vaitali Yogini Mantra: Om Aam Hreem Vam Vaitali Ehi Ehi Om Phat
योगिनी साधना ही एकमात्र ऐसा उपाय है जिसके माध्यम से मनुष्य अपनी समस्त प्रकार की इच्छाओं को पूर्णता देते हुये भौतिक और आध्यात्मिक उपलब्धियों को प्राप्त कर सकते हैं। योगिनी साधना सम्पन्न करने से भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। ये योगिनियाँ तत्काल फल देने वाली, समस्त प्रकार की अतृप्त इच्छाओं को पूर्ण करने वाली होती हैं क्योंकि ये मेरी ही शक्ति का स्वरूप हैं।
तांत्रिक ग्रंथों में कुल चौंसठ प्रकार की योगिनियों का विवरण प्राप्त होता है। यों तो सभी का अपना अलग महत्व है और उसी के अनुरूप उनके अलग-अलग मंत्र साधना विधान हैं, परन्तु जो प्रथम बार इस साधना को सम्पन्न करने का विचार करते हैं, उनके लिये सभी ग्रंथों ने एक मत से सर्वप्रथम जिन षोडश योगिनियों की साधना सम्पन्न करने की आवश्यकता पर बल दिया हैं, वे निम्न हैं:
1 दिव्ययोगा 2 महायोगा 3 सिद्धयोगा 4 माहेश्वरी 5 कालरात्रि 6 हुंकारी 7 भुवनेश्वरी 8 विश्वरूपा 9 कामाक्षी 10 हस्तिनी 11 मंत्रयोगिनी 12 चक्रिणी 13 शुभ्रा 14 शंखिनी 15 पद्मिनी 16 वैताली ।
ये सभी योगिनियाँ अपने आप में दिव्य और अलौकिक क्षमताओं से युक्त होती हैं और सिद्ध होने के साथ ही अपने साधक को भी अलौकिकता, दिव्यता और अद्वितीयता प्रदान कर उसे पल भर में ही श्रेष्ठता पर ले जा कर खड़ी कर देती हैं, जहाँ पहुँचना साधक के स्वयं के प्रयास से असम्भव ही है।
उपरोक्त योगिनियों का ध्यान व उनका संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है
दिव्य योगा योगिनी ध्यान
संचाये योगविद्यां त्वां दिव्य ज्ञान समन्विते ।
योगप्रभावां योगेशीं योगीन्द्र हृदयस्थिताम् ॥
दिव्य ज्ञान से सुशोभित योगियों के हृदय में निवास करने वाली योगेश्वरी दिव्यं योगा से पूर्ण योग विद्या की मैं याचना करता हूँ। इस योगिनी का सहचर्य प्राप्त करने के उपरान्त ही योग विद्या को पूर्णता से समझ कर खेचरी विद्या में पारंगत हुआ जा सकता है व जीवन में उतार सकते हैं।
दिव्य योगा योगिनी मंत्र
॥ ॐ ऐं ऐं दिव्य आगच्छ आगच्छ ॐ फट् ॥
महायोगा योगिनी ध्यान
योगविद्या महायोगा महातेजा महेश्वरी ।
मायाधारी मानरता मान-सम्मान तत्परा ॥
महायोगेश्वरी, महातेजस्वी, अनेक मायाधारी मान-सम्मान प्रदान करने वाली महायोगा का मैं आह्वान करता हूँ | योगिनी महायोगा का स्वरूप अत्यन्त तेजस्वी है और वह अपने साधक को मान-सम्मान से सम्बन्धित अनेक सिद्धियाँ और पूर्ण वैभव देने में समर्थ है। इसे सिद्ध करने पर साधक चतुर्दिक, सम्पूर्ण विश्व में अपनी कीर्ति फैलाने में समर्थ होता है।
महायोगा योगिनी मंत्र
॥ ॐ ह्रौं ग्लौं ग्लौं महायोगा सिद्धये ॐ फट् स्वाहा ॥
सिद्धयोगा योगिनी ध्यान
आगच्छ सिद्धयोगे त्वं ! नाद बिन्दु स्वरूपिणी ।
सर्वज्ञा सिद्धिदात्री च सिद्धविद्या स्वरूपिणी ॥
नाद और बिन्दुरूपा, सिद्धि देने वाली, सब कुछ जानने वाली, समस्त विद्याओं की प्रतिमूर्तिरूपा सिद्धयोगा को मैं आहूत करता हूँ। इस योगिनी को जीवन में उतारने के उपरान्त किसी भी साधना में असफलता का प्रश्न ही नहीं रह जाता, साथ ही साधक त्रिकालदर्शी बनने में समर्थ होता है।
सिद्धयोगा योगिनी मंत्र
॥ ॐ ह्रीं ऐं फ्रें सः आगच्छ ॐ फट् ॥
माहेश्वरी योगिनी ध्यान
प्रणवाद्या महाविद्या महाविघ्न विनाशिनी ।
मानदा योगमाता सा माहेश्वरी प्रचोदयात्॥
प्राणस्वरूपा सभी विद्याओं की स्वामिनी, सभी विघ्नों को दूर करने वाली, योगमाता, सभी को सम्मान दिलाने में समर्थ भगवती माहेश्वरी का मैं चिंतन करता हूँ। योगिनी माहेश्वरी की साधना के फलस्वरूप जीवन की सभी समस्याये, विघ्न, बाधाये दूर हो जाती हैं और साधक अनेक गोपनीय विद्याओं को जानने में समर्थ होता है।
माहेश्वरी योगिनी मंत्र
॥ ॐ ह्रीं ह्रीं माहेश्वरी एहि एहि ॐ फट् स्वाहा ॥
कालरात्रि योगिनी ध्यान
कालरूपा कलातीता त्रिकालज्ञा कुलात्मजा ।
कुलकुण्डलिनी सैषा कैलाश नग भूषिता ॥
काल स्वरूपिणी, समस्त कलाओं से परे, त्रिकालज्ञ, श्रेष्ठतम कुल में उत्पन्न, कुण्डलिनी स्वरूपा, कैलाश पर्वत को अपनी दिव्यता से सुशोभित करने वाली देवी कालरात्रि का मैं आह्वान करता हूँ। इस योगिनी का आश्रय लेने पर अकाल मृत्यु, किसी गुप्त शत्रु द्वारा किये गए तांत्रिक प्रयोग आदि का निराकरण होता है और किसी के भी भूत-भविष्य को जाना जा सकता है।
कालरात्रि योगिनी मंत्र
॥ ॐ क्लीं क्लीं कालरात्रि सिद्धये ॐ फट् स्वाहा ॥
हुंकारी योगिनी ध्यान
हुं हुं हुंकाररूपां तां ह्रीं ह्रीं शक्ति स्वरूपिणी।
हूं हूं हूं हाकिनी चैव योगमाया समन्विता ।।
हुंकार रूपिणी, सभी शक्तियों से युक्त, हाकिनीरूपा, समस्त योगमाया से विभूषित, देवी हुंकारी का मैं आह्वान करता हूँ। योगिनी हुंकारी की साधना सिद्धि के उपरान्त साधक अकेला ही अपने सभी शत्रुओं का विनाश करने में में समर्थ होता है।
हुंकारी योगिनी मंत्र
॥ ॐ हुं हुं ह्रीं ह्रीं हूं हूं फट् ॥
भुवनेश्वरी योगिनी ध्यान
वागीश्वरी योगरूपा योगिनी सर्वमंगला ।
ध्यानातीता ध्यानगम्या ध्यानज्ञा ध्यानधारिणी ॥
ध्यानरूपा, ध्यान के द्वारा प्रतीत होने वाली योगिनी भुवनेश्वरी का मैं ध्यान करता हूँ। इस योगिनी के वरदायक प्रभावों से साधक वाक् सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ होता है।
भुवनेश्वरी योगिनी मंत्र
।। ॐ ह्रीं ह्रीं आगच्छ भुवनेश्वरी ॐ फट्
विश्वरूपा योगिनी ध्यान
विश्वेश्वरि विश्वमाता विश्वभावमयी शुभ।
विश्वरूपा च विश्वेशी विश्वसंहारकारिणी ॥
समस्त विश्व का मातृवत पोषण करने वाली, विश्व की स्वामिनी, विश्व की उत्पत्ति, पालन और संहार करने वाली विश्वरूपा का आह्वान करता हूँ। इस योगिनी की साधना के उपरान्त साधक को भूगर्भ सिद्धि तथा विपुल धन-वैभव की प्राप्ति होती है और वह समस्त भौतिक सुखों को प्राप्त करने में समर्थ होता है। साथ ही उसके अन्दर की विषय वासनायें समाप्त हो कर ज्ञान उत्पति होती है।
विश्वरूपा योगिनी मंत्र
॥ ॐ वं वं विश्वरूपा वं वं ॐ फट् ॥
कामाक्षी योगिनी ध्यान
कुबेर पूज्य कुलजा काश्मीरा केशवार्चिता ।
कात्यायनी कार्यकरी कलादलनिवासिनी ॥
कुबेर के द्वारा संपूजित, श्रेष्ठ कुल में उत्पन्न, केशर से चर्चित, सभी कलाओं से पूर्ण कात्यायनी रूपा कामाक्षी का मैं चिन्तन करता हूँ। इस योगिनी का पूजन सिर्फ केशर से किया जाता है। इसे सिद्ध करने पर साधक का कायाकल्प, कामदेव के समान यौवन व पौरूष तथा असीम बल की प्राप्ति होती है और उसके समस्त प्रकार के रोगों का नाश होता है।
कामाक्षी योगिनी मंत्र
॥ ॐ कं कं कामाक्षि एहि एहि ॐ फट ॥
हस्तिनी योगिनी ध्यान
सर्ववश्यंकरी शक्तिः सर्वस्तंभिनी तथा ।
सर्वसंमोहिनी चैव कुंजरेश्वर गामिनी ॥
समस्त विश्व को वश में करने वाली, सभी को स्तम्भित करने वाली, सभी को सम्मोहित करने वाली, मस्त हथिनी सी चाल चलने वाली योगिनी हस्तिनी का आह्वान करता हूँ। हस्तिनी योगिनी की साधना के फलस्वरूप साधक उच्चाटन, स्तम्भन आदि के साथ-साथ मनुष्य, पशु-पक्षी चराचर विश्व को सम्मोहित और वशीभूत करने में सक्षम होता है।
हस्तिनी योगिनी मंत्र
ॐ ऐं क्लीं हस्तिगामिन्यै सिद्धये क्लीं ऐं ॐ ॥
मंत्रयोगिनी योगिनी ध्यान
महामंत्रमयी देवी देवगन्धर्व सेविता ।
योगिभिश्चेव संपूज्या मंगला च मनोहरा ॥
मंत्र स्वरूप, देव-गन्धर्वो द्वारा सेवित, योगियों के द्वारा पूजित, मंगलमयी, सौन्दर्यमयी योगिनी का मैं आहवान करता हूँ। इस योगिनी के सान्निध्य में साधक को तांत्रिक साधनाओं में शीघ्र ही पूर्ण सफलता प्राप्त होती है और वह अदृश्य होने की विद्या का ज्ञाता हो जाता है।
मंत्रयोगिनी योगिनी मंत्र
ॐ मं मंत्ररूपे एहि एहि ॐ ॥
चक्रिणी योगिनी ध्यान
यशः स्वरूपिणी चक्रे योगमार्गप्रदायिनी ।
यज्ञांसी योगरूपा च योगानन्दात्म संस्तुता ॥
यश प्रदान करने वाली, ज्ञान तथा योग मार्ग में प्रवेश देने वाली, यज्ञ के अंगभूत, योग के आनन्द से सारभूत, धारण करने वाली देवी चक्रिणी का मैं आह्वान करता हूँ। यह योगिनी योग तथा दिव्य रसों की अनेक सिद्धियां देने में समर्थ और आनन्द प्रदान करने वाली हैं। , चक्र I
चक्रिणी योगिनी मंत्र
॥ ॐ ह्रीं हूं ह्रौं चक्रेश्वर्यै सिद्धये ॐ फट् ॥ I
शुभ्रा योगिनी ध्यान
शाम्भवी सिद्धिदा सिद्धा सुषुम्नासुरनन्दिनी ।
शुभ्ररूपा तथा शुद्ध शक्ति बिन्दु वासिनी ॥
शम्भुरूपा, सिद्धिमयी, अपने भक्तों को सिद्धि देनें वाली, सुषुम्ना मार्ग से साधकों को प्रेरित करके आनन्द प्रदान करने वाली, समतामयी, परमशुद्ध, शक्ति बिन्दु पर निवास करने वाली देवी शुभ्रा का ध्यान करता हूँ। इस योगिनी की साधना से कुण्डलिनी जाग्रत होती है और साधक परम पद को प्राप्त करने की ओर अग्रसर होता है।
शुभ्रा योगिनी मंत्र
॥ ॐ शं शं शुभ्रे आगच्छ आगच्छ शं शं ॐ ॥
शंखिनी योगिनी ध्यान
शंखचक्र गदा हस्ता योगीद्रानन्दायनी ।
शारदेन्दु प्रसन्नस्या शांकरी शिवभाषिणी ॥
शंख चक्र तथा गदा धारण करने वाली, योगियों के हृदय को आनन्द देने वाली, शारदीय चन्द्रमा के समान प्रसन्न मुख वाली, शंकररूपा, मंगलभाषिणी का आह्वान करता हूँ। इस योगिनी की साधना से समस्त विपत्तियों, बाधाओं, शत्रुओं आदि से पूर्ण सुरक्षा प्राप्त होती है और साधक ..आनन्द पर्वक साधनाओं में सफलता की ओर अगसर होता है।
शंखिनी योगिनी मंत्र
॥ ॐ ह्रीं श्रीं शं शंखिनी आगच्छ ॐ फट् ॥
पद्मिनी योगिनी ध्यान
प्रियव्रतारा नित्या परमप्रेम प्रदायिनी ।
प्रफुल्लपद्मवदना पद्मधर्मनिवासिनी ॥
प्रियवादिनी, प्रेम प्रदान करने वाली, खिले कमल के समान, सब के ज्ञान एवं योग मार्ग को विकसित करने वाली देवी पद्मिनी का आह्वान करता हूँ। इस योगिनी की साधना से साधक पूर्ण कायाकल्प, पौरूष व अतीन्द्रिय क्षमताये प्राप्त करते हुये साधनात्मक पूर्णता की ओर अग्रसर होता है। योगेश्वरी च वज्रांगी विभूषणभूषिता । वेदमार्गरता वेद मंत्ररूपा वषअट् क्रिया ॥
पद्मिनी योगिनी मंत्र
॥ ॐ ऐं ह्रीं श्रीं पं फं पद्मिनी एहि ॐ फट् ॥
वैताली योगिनी ध्यान
योगेश्वरी च वज्रांगी विभूषणभूषिता।
वेदमार्गरता वेद मंत्ररूपा वषअट् क्रिया ॥
योगेश्वरी, सुदृढ़ देह वाली, वीरता से परिपूर्ण, वैदिक मार्ग का अनुसरण करने वाली, वेदमंत्रमयी देवी वैताली आहवान करता हूँ। इस योगिनी की साधना के उपरान्त साधक अत्यन्त तेजस्विता प्राप्त करता हुआ अपने समस्त शत्रुओं का नाश करने में सक्षम होता है, साथ ही साथ उसे मंत्र साधनाओं में भी सफलता प्राप्त होती है।
वैताली योगिनी मंत्र
॥ ॐ आं ह्रीं वं वैतालि एहि एहि ॐ फट् ॥
यह षोडश योगिनियाँ और उनका विवेचन, साधक अपनी मनोकूलता के अनुसार किसी भी योगिनी की साधना कर सकता है।
योगिनी साधना विधान
1. इस साधना में षोडश योगिनी गुटिका व योगिनी माला की आवश्यकता पड़ती है, जो योगिनी तंत्र के अनुसार मंत्र सिद्ध एवं प्राण प्रतिष्ठित हों।
2 इस साधना को योगिनी एकादशी या किसी भी माह के शुक्रवार से प्रारम्भ किया जा सकता है। यह 21 दिवसीय साधना है।
3 रात्रि में 10 बजे के बाद स्नान कर स्वच्छ पीले वस्त्र धारण कर, पीले आसन पर बैठें, गुरू चादर भी ओढ़ लें।
4 सामने लकड़ी के बाजोट पर पीला रेशमी वस्त्र बिछा कर उस पर गुलाब के पुष्पों के आसन पर जिस योगिनी की साधना सम्पन्न करनी है उससे संबधित योगिनी गुटिका को स्थापित करें।
5 मानसिक गुरू पूजन कर गुरू मंत्र की 4 माला जप करने के उपरान्त गुरूदेव से इस साधना को सम्पन्न करने की आज्ञा व इसमें पूर्ण सफलता हेतु आशीर्वाद प्राप्त करें।
6 फिर हाथ में जल लेकर के प्रथम दिन संकल्प करें, नित्य संकल्प लेने की आवश्यकता नहीं है -
"मैं अमुक गोत्र में उत्पन्न अमुक नाम का व्यक्ति, अमुक पिता का पुत्र अपने आध्यात्मिक एवं भौतिक जीवन में षोड़श योगिनियों का साहचर्य प्राप्त करने हेतु इस षोड़श योगिनी साधना को सम्पन्न कर रहा हूँ, मुझे इस साधना में पूर्ण सफलता प्राप्त हो, जिससे कि मैं साधनाओं में तीव्रता के साथ आगे बढ़ कर सफलता प्राप्त कर सकूं।"
7 गुटिका के समक्ष क्रमशः योगिनी का ध्यान उच्चारित कर उसका पूजन, कुंकुम, अक्षत, केशर, पुष्प, धूप-दीप व नैवेद्य से करें।
8 अब नीचे दिये गये प्राण प्रतिष्ठित मंत्र के द्वारा यंत्र में निहित चैतन्यता और ऊर्जस्विता को अपने शरीर के अन्दर उतारें, जिससे की षोड़श योगिनियों की चेतना आपके शरीर में स्थापित हो सके और शीघ्र सफलता प्राप्त हो सके। पहले दाहिने हाथ में जल लेकर विनियोग करें |
"ॐ अस्य प्राण प्रतिष्ठा मंत्रस्य ब्रह्माविष्णु महेश्वर ऋषयः ऋग्यजुः साम छन्दांसि, क्रियामयवपुः प्राणाख्या देवता, आं बीजम्, ह्रीं शक्तिः, क्रौं कीलकं प्राणप्रतिष्ठापने विनियोगः । "
जल भूमि पर छोड़ दें और विग्रह पर अपना दाहिना हाथ रखकर निम्न मंत्र बोलते हुये यह भावना करें, कि विग्रह की समस्त चेतन्यता धीरे-धीरे आपके अन्दर समाहित हो रही है
प्राण प्रतिष्ठा मंत्र
ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हंसः सोऽहं अस्य प्राणः इह प्राणः, ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हंसः सोऽहं अस्य जीव इह स्थितः, ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हंसः सोऽहं अस्य सर्वेन्द्रियाणि वाड्मनस्त्वक चक्षुः श्रोत्र जिह्वा घ्राण पाणिपादपायूपस्थानि इहागत्य सुखं चिर तिष्ठन्तु स्वाहा ।।
फिर योगिनी माला से पहले मूल षोड़श योगिनी मंत्र की एक माला मंत्र जप करें, फिर क्रमानुसार षोड़श योगिनियों के विशिष्ट मंत्रों में से किसी भी योगिनी का मंत्र 21 माला जपें । फिर मूल मंत्र की एक माला मंत्र जप करें। इसी प्रकार प्रत्येक योगिनी से सम्बन्धित मंत्र का जप करना है। ऐसा 21 दिन तक नित्य करें।
मूल षोडश योगिनी मंत्र ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं वं श्रौं धं षं दूं क्रीं ह्रीं नूं प्रों यं शं गुं षोडश योगिन्यै नमः ॥
Om Ayeim Hreem Kleem Shreem Vam Shraum Dhrim Sham Drim Kreem Hleem Noom Prom Yam Sham Gum Shodasha Yoginyei Namah
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मंत्र जप की समाप्ति पर साधक साधना कक्ष में सोयें। अगले दिन पुनः इसी प्रकार साधना सम्पन्न करें। बाइसवें दिन वस्त्र सहित योगिनी गुटिका और माला को नदी में प्रवाहित कर दें।
साधना काल में कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है- इस साधना को रात्रि में ही सम्पन्न करें। इन 21 दिनों में यथासम्भव कम से कम बोलने का प्रयास करें, मौन सर्वोत्तम है। मात्र गुरू चिन्तन, इष्ट चिन्तन और इस साधना विशेष से सम्बन्धित चिन्तन में ही समय व्यतीत करें। ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।