Karya Siddhi Kamakhya Mantra | Nyasa | Dhyana | Mantra

Karya Siddhi Kamakhya Mantra - Nyasa - Dhyana - Mantra

📅 Sep 13th, 2021

By Vishesh Narayan

Summary Can Kamakhya Mantra Fulfill The Wishes? Karya Siddhi Kamakhya Mantra is the answer. The powerful Kamakhya mantra is a 22 lettered mantra that can remove all the obstacles between the sadhak and the wishes.


Can Mantra of Kamakhya Devi Fulfill The Wishes of A Sadhak? Karya Siddhi Kamakhya Mantra is the answer. The mantra can achieve any task. Kamakhya is the Hindu goddess of desire and creation.

Kamakhya is an important goddess of Tantrik worship. Kamakhya is the great goddess of illusion who takes on many forms depending on her mood.

Kamakhya is also called Kameshwari, as she is the beloved goddess of desire. Devotees worship her as Siddha Kubjika and identify her as Kali and Maha Tripura Sundari.

The Kamakhya mantra benefits are immense. This Kamakhya Mantra is used to fulfill all genuine or ungenuine desires.

The powerful Kamakhya mantra is a 22-lettered mantra that can remove all the obstacles between the Sadhak & the wishes. Only a competent guru should guide the recitation of the mantra.
 

Kamakhya Mantra Text & Nyas

।। विनियोग ।।
ॐ अस्य कामाख्या-मन्त्रस्य श्रीअक्षोभ्य
ऋषि:, अनुष्टुप् छन्द: , श्रीकामाख्या देवता, सर्व- सिद्धि-प्राप्त्यर्थे जपे विनियोग:।

।। ऋष्यादि-न्यास ।।
श्रीअक्षोभ्य-ऋषये नम: शिरसि,
अनुष्टुप्-छन्दसे नम: मुखे,
श्रीकामाख्या-देवतायै नम: हृदि,
सर्व- सिद्धि-प्राप्त्यर्थे जपे विनियोगाय नम: सर्वाङ्गे।

।। कर-न्यास ।।
त्रां अंगुष्ठाभ्यां नम:,
त्रीं तर्जनीभ्यां स्वाहा,
त्रूं मध्यमाभ्यां वषट्,
त्रैं अनामिकाभ्यां हुम्,
त्रीं कनिष्ठिकाभ्यां वौषट्,
त्र: करतल-कर-पृष्ठाभ्यां फट्।

।। अङ्ग-न्यास ।।
त्रां हृदयाय नम:,
त्रीं शिरसे स्वाहा,
त्रूं शिखायै वषट्,
त्रैं कवचाय हुम्,
त्रौं नेत्र-त्रयाय वौषट्,
त्र: अस्त्राय फट्।

Kamakhya Dhyan

कामाख्या देवी का ध्यान:-

भगवती कामाख्या लाल वस्त्र-धारिणी, द्वि-भूजा, सिन्दूर-तिलक लगाए हैं।भगवती कामाख्या निर्मल चन्द्र के समान उज्ज्वल एवं कमल के समान सुन्दर मुखवाली हैं। भगवती कामाख्या स्वर्णादि के बने मणि-माणिक्य से जटित आभूषणों से शोभित हैं।

भगवती कामाख्या विविध रत्नों से शोभित सिंहासन पर बैठी हुई हैं। भगवती कामाख्या मन्द-मन्द मुस्करा रही हैं। भगवती कामाख्या उन्नत पयोधरोंवाली हैं। कृष्ण-वर्णा भगवती कामाख्या के बड़े-बड़े नेत्र हैं।

भगवती कामाख्या विद्याओं द्वारा घिरी हुई हैं। डाकिनी-योगिनी द्वारा शोभायमान हैं। सुन्दर स्त्रियों से विभूषित हैं। विविध सुगन्धों से सु-वासित हैं। हाथों में ताम्बूल लिए नायिकाओं द्वारा सु-शोभिता हैं।

भगवती कामाख्या समस्त सिंह-समूहों द्वारा वन्दिता हैं। भगवती कामाख्या त्रि-नेत्रा हैं। भगवती के अमृत-मय वचनों को सुनने के लिए उत्सुका सरस्वती और लक्ष्मी से युक्ता देवी कामाख्या समस्त गुणों से सम्पन्ना, असीम दया-मयी एवं मङ्गल- रूपिणी हैं।

उक्त प्रकार से ध्यान कर कामाख्या देवी की पूजा कर कामाख्या मन्त्र का ‘जप’ करना चाहिए।

कामाख्या देवी का २२ अक्षर का मन्त्र ‘कामाख्या तन्त्र’ के चतुर्थ पटल में कामाख्या देवी का २२ अक्षर का मन्त्र उल्लिखित है-

Karya Siddhi Kamakhya Mantra

" त्रीं त्रीं त्रीं हूँ हूँ स्त्रीं स्त्रीं कामाख्ये
प्रसीद स्त्रीं स्त्रीं हूँ हूँ त्रीं त्रीं त्रीं स्वाहा "

” Treem Treem Treem Hum Hum Streem Streem Kamakhye Praseed
Streem Streem Hum Hum Treem Treem Treem Swaha”

उक्त मन्त्र महा-पापों को नष्ट करनेवाला, धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष देनेवाला है। इसके ‘जप’ से साधक साक्षात् देवी-स्वरूप बन जाता है। इस मन्त्र का स्मरण करते ही सभी विघ्न नष्ट हो जाते हैं।

तंत्रग्रन्थों में यह मंत्र अत्यन्त दुर्लभ है। इस मंत्र के प्रभाव से समस्त महापापों का नाश एवं असाध्य कार्य साध्य होते हैं। स्वर्गलोक, पाताललोक एवं मृत्युलोक में जितनी सिद्धियां हैं वे सब साधकों की सेवा करती हैं।

काम्य प्रयोग एवं होम द्रव्य- मंत्र जाग्रति हेतु विधिवत् एक लाख जप करें। पुरश्चरण में मंत्र के जितने अक्षर होते हैं उतने लाख जप किये जाते हैं। पुरश्चरण से ही पूर्ण लाभ एवं महासिद्धि मिलती है।

अतः प्रयत्नपूर्वक गुरु के मार्गदर्शन में  पुरश्चरण सिद्धिअवश्य करें। मंत्र जप की संख्या का दशांश हवन, हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन एवं मार्जन का दशांश कन्या भोजन करवाया जाता है। इस विधि से मंत्र को सिद्ध करने पर मंत्र कवच की भांति सदैव साधक की रक्षा करता है एवं सर्व आवश्यक कार्यों को सिद्ध करता है।

  • श्मशान में रक्षा बन्धन करते हुए आग्नेय कोण में शत्रु केन्द्रित करते हुए जप करने से तत्काल शत्रु का संहार होता है। 
  • प्रातःकाल सूर्योदय के समय सूर्य के समक्ष बैठकर जप करने से एक माह में असाध्य रोगों का दमन होता है। 
  • बिल्ववृक्ष के मूल में शिवजी का पूजन करते हुए श्रीसूक्त से मंत्र को सम्पुटित कर जप करने से घोर दरिद्रता का विनाश होता हैं।
  • शनिवार के दिन पीपल के मूल में बैठकर दस हजार जप करने से भौतिक रोग तथा अभिचारिक कर्म समाप्त होते हैं।
  •  गुरुच खण्ड को दूध में भिगोकर होम करने से समस्त व्याधियां एवं रोग समाप्त होते हैं।
  • बिल्व की समिधा से बेलगिरि के टुकड़ों, पत्रों एवं पुष्पों को घृत में भिगोकर होम करने से महालक्ष्मी का आगमन होता है।

एक पैर पर खड़े होकर ऊर्ध्वबाहु होकर- श्वास रोकते हुए प्रतिदिन तेरह सौ मन्त्रों का एक मास तक जप करने से सर्व कामनाएं पूर्ण होती हैं। इसी प्रकार रात में केवल खीर ग्रहण करते हुए एक वर्ष तक जप करने वाला पुरुष सिद्ध 'ऋषि' हो जाता है।

इसी प्रकार दो वर्ष तक जप करने से वाकसिद्धि प्राप्त होती है । तीन वर्ष तक जप करने वाला साधक त्रिकालदर्शी हो जाता है। चार वर्ष तक जप करने वाले साधक को भगवान् सूर्य दर्शन देकर वर प्रदान करते हैं।

पांच वर्ष तक जप करने से साधक अणिमादि. सिद्धियों का स्वामी हो जाता है। छः वर्षों तक जप करने से साधक में इच्छानुसार रूप धारण करने की शक्ति आ जाती है।

सात वर्षों तक जप करने से 'देवत्व' नौ वर्षों तक जप करने से ‘मनुत्व' तथा दश वर्षों तक जप करने से 'इन्द्रत्व' प्राप्त होता है। ग्यारह वर्षों तक जप करने से 'प्रजापति' तथा बारह वर्षों तक जप करने वाला मनुष्य साक्षात् 'ब्रह्मा' के समान हो जाता है। कामाख्या-तंत्र वह कल्पवृक्ष है, जिससे मनुष्य सर्वाभीष्ट सिद्ध कर सकता है।


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