Bhuvaneshwari Mantra to Attract Prosperity | Mahavidya

Bhuvaneshwari Mantra to Attract Prosperity - Mahavidya

📅 Sep 13th, 2021

By Vishesh Narayan

Summary Be Like Lord Indra with Bhuvaneshwari Mantra to Attract Prosperity. “The Sadhak who accomplishes this ritual becomes rich and powerful like Lord Indra!” It is said in “Rig Veda” tha only through the good Karmas of past lives and grace of the Guru can one obtain Bhuvaneshwari Sadhana.


Be Like Lord Indra with Bhuvaneshwari Mantra to Attract Prosperity. “The Sadhak who accomplishes this ritual becomes rich and powerful like Lord Indra. "Rig Veda" states that attaining Bhuvaneshwari Sadhana requires the good karma of past lives and the grace of the Guru.

When Lord Ram was being crowned, his Guru Vashishtth said to him–“Oh Ram! In this world, relatives treat a poor man with contempt, while strangers honor a rich man even."

Lord Ram did just that and his reign was called RamRajya, in which there was prosperity and joy everywhere. Even Lord Krishna accomplished this Sadhana and was able to find the wonderful city of Dwarka, which was full of riches and wealth.

Lord Shiva has said that anyone, even a person fated to be poor, can achieve wealth through it. This is wonderful Sadhana.

Bhuvaneshwari is the Goddess who rules over the riches of the whole world and the gods and Yogis worshipped her even. The sadhaka earns respect and fame in society and receives honor for his work. Bhuvaneshwari Sadhana is a key to success in life, no matter which field one has chosen.

How To Chant The Bhuvaneshwari Mantra to Attract Prosperity

  • You must try the Sadhana on a Full Moon night between 9 pm and midnight.
  • Have a bath and wear yellow clothes. Sit facing north on a yellow seat.
  • Cover a wooden seat with a yellow cloth.
  • On a mound of rice gains place Bhuvaneshwari Yantra.
  • Offer vermilion, rice grains, and rose petals on the Yantra: lit ghee lamp and incense.
  • Then chant 21 rounds of the following Mantra with a rosary.
  • Do this regularly for three days.
  • Drop the Yantra and rosary bundled, in a river or pond. Offer food and gifts to a girl below ten years in age.
  • This is a very effective Sadhana that cannot fail even in the present age of Kaliyuga.

Bhuvaneshwari Mantra

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भुवनेश्वर्यै नमः ॥
“Om Hreem Shreem Kleem Bhuvaneshwaryei Namah”

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Another Bhuvaneshwari Mantra Sadhana

भुवनेश्वरी दरिद्रतानाशक एवं वैभव प्राप्ति साधना।।

जिस पर माँ भुवनेश्वरी की कृपा हो जाए, वह कभी दरिद्र रह ही नहीं सकता। क्योंकि माँ कभी अपनी सन्तान को दुःखी नहीं देख सकती।

साधनाविधि :-

  • यह साधना आज जयंती या किसी भी ग्रहण काल (चन्द्र सूर्य ग्रहण) में की जा सकती है। 
  • आरम्भ होने से पूर्व स्नान कर सफ़ेद वस्त्र धारण कर लें और उत्तर दिशा की ओर मुख कर सफ़ेद आसन पर बैठ जाएं।
  • अपने सामने बाजोट पर सफ़ेद वस्त्र बिछाएं और उस पर अक्षत से बीज मन्त्र "ह्रीं" लिखे और उस पर भुवनेश्वरी यंत्र या एक कोई भी रुद्राक्ष (6मुखी) हो तो स्थापित करें। 
  •  गुरु तथा गणेश का सामान्य पूजन सम्पन्न करें।
  • और गुरुमन्त्र का यथाशक्ति जप करके साधना की सफलता हेतु प्रार्थना करें। 
  •  अब रुद्राक्ष या यंत्र का सामान्य पूजन करें तथा निम्न मन्त्र को 21 बार पढ़ते हुए 21 बार अक्षत अर्पण करें।

॥ ॐ ह्रीं भुवनेश्वरी इहागच्छ इहतिष्ठ इहस्थापय मम सकल दरिद्रय नाशय नाशय ह्रीं ॐ ॥          

अब पुनः रुद्राक्ष या यत्र का सामान्य पूजन कर मिठाई का भोग लगाएं, घी या तिल के तेल का दीपक लगाएं। 
 फिर 21/31 माला स्फटिक या सफेद हकीक माला से करें।

मन्त्र:-

॥हूं हूं ह्रीं ह्रीं दारिद्रय नाशिनी भुवनेश्वरी ह्रीं ह्रीं हूं हूं फट्॥
Hoom hoom hreem hreem daridray nashini bhuvneshwari hreem hreem hoom hoom phat. 

सभी बीजाक्षरों में "म"कार का उच्चारण होगा। विना माला जप करते वक़्त लगातार रुद्राक्ष पर अक्षत अर्पण करते रहें। माला के साथ करें तो हर माला पूर्ण होने पर चढ़ाऐं, साधना के बाद भोग स्वयं ग्रहण करें और रुद्राक्ष को स्नान कराकर लाल धागे में पिरो  कर गले में धारण कर लें। साधना उपरान्त सारे अक्षत उसी वस्त्र में बाँध कर कुछ दक्षिणा के साथ किसी देवी मन्दिर में रख आयें और दरिद्रता नाश की प्रार्थना कर लें।

भुवनेश्वरी_महाविद्या दस महाविद्याओं में चतुर्थ स्थान पर विद्यमान है, जो त्रिभुवन (ब्रह्माण्ड) पालन एवं उत्पत्ति कर्ता मानी गयी है। 
भुवनेश्वरी शब्द “भुवन” से बना है, जिसका अर्थ है “भुवनत्रय” अर्थात तीनों लोक। अतः भुवनेश्वरी तो तीनों लोकों की अधिष्ठात्री देवी है, उनकी नियन्ता है और इन तीनों ही लोकों में सब के द्वारा पूजनीय है। 

वस्तुतः भुवनेश्वरी साधना भोग और मोक्ष दोनों को समान रूप से देने वाली उच्च कोटि की साधना है, इसके बारे में संसार के कई तान्त्रिक, मान्त्रिक ग्रन्थों में विशेष रूप से उल्लेख है। 

“शाक्त प्रमोद” में बताया गया है कि भुवनेश्वरी साधना समस्त साधनाओं में श्रेष्ठ है और इस साधना से जीवन की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती है। अतः जो साधक अपने जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान चाहते हैं, उन्हें भुवनेश्वरी साधना अवश्य ही सम्पन्न करनी चाहिए।          

गुरु गोरखनाथ ने भुवनेश्वरी महाविद्या सिद्ध करने के बाद अपने ज्ञान बल और साधना के बल से यह अनुभव किया था कि हमें अपने जीवन में अन्य देवी-देवताओं की साधना करनी ही नहीं है,  यदि कोई साधक पूर्ण रूप से भुवनेश्वरी साधना ही सम्पन्न कर लेता है, उसके जीवन में किसी भी दृष्टि से कोई अभाव व्याप्त नहीं रहता।  

विश्व के सभी साधकों ने एक स्वर से यह स्वीकार किया है कि प्रत्येक गृहस्थ को जीवन में एक बार अवश्य ही भुवनेश्वरी देवी की साधना या आराधना कर लेनी चाहिए, जिससे उसके जीवन के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं, पूर्व जन्म कृत दोष दूर हो जाते हैं और इस जीवन में सभी प्रकार के भौतिक पदार्थों को भोगता हुआ, पूर्ण सुख और सम्मान प्राप्त करता हुआ, वह अन्त में भुवनेश्वरी महाविद्या में लीन होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है। 

“तन्त्र सार” एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है, जिसको अत्यन्त ही प्रमाणिक माना जाता है। उसमें भगवती भुवनेश्वरी साधना के दस लाभ स्पष्ट रूप से वर्णित किये गए हैं। 

  •           १. भुवनेश्वरी साधना से निरन्तर आर्थिक, व्यापारिक और भौतिक उन्नति होती ही रहती है। जो अपने भाग्य में दरिद्र योग लिखा कर लाया है, जो व्यक्ति जन्म से ही दरिद्री है, वह भी भुवनेश्वरी साधना कर अपनी दरिद्रता को समृद्धि में बदल सकता है।
  •           २. भुवनेश्वरी साधना ही एक मात्र कुण्डलिनी जागरण साधना है। इस साधना से स्वत: शरीर स्थित चक्र जाग्रत होने लगते हैं और अनायास उसकी कुण्डलिनी जाग्रत हो जाती है। ऐसा होने पर उसका सारा जीवन जगमगाने लग जाता है।
  •           ३. एक मात्र भुवनेश्वरी साधना ही ऐसी है, जो जीवन में भौतिक उन्नति और आध्यात्मिक प्रगति एक साथ प्रदान करती है।
  •           ४. भुवनेश्वरी को आद्या माँ कहा गया है, फलस्वरूप भुवनेश्वरी साधना से योग्य सन्तान प्राप्त होती है और पूर्ण सन्तान सुख प्राप्त होता है।
  •           ५. भुवनेश्वरी साधना इच्छापूर्ति की साधना है। यदि पूर्ण रूप से भुवनेश्वरी को सिद्ध कर लिया जाए तो व्यक्ति जो भी इच्छा या आकांक्षा रखता है, वह इच्छा अवश्य ही पूर्ण होती है।
  •           ६. भुवनेश्वरी सम्मोहन स्वरूपा है। तन्त्र सार के अनुसार भुवनेश्वरी साधना करने से पुरुष या स्त्री का सारा शरीर एक अपूर्व सम्मोहन अवस्था में आ जाता है, जिसके व्यक्तित्व से लोग प्रभावित होने लगते हैं और वह जीवन में निरन्तर उन्नति करता रहता है।
  •           ७. भुवनेश्वरी भोग और मोक्ष दोनों को एक साथ प्रदान करने वाली है, यही एक मात्र ऐसी साधना है, जिसको सम्पन्न करने पर जीवन में सम्पूर्ण भोगों की प्राप्ति होती है और अन्त में पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
  •           ८. भुवनेश्वरी “रोगान् शेषा” है अर्थात भुवनेश्वरी साधना करने पर असाध्य रोग भी समाप्त हो जाते हैं और जीवन में अथवा परिवार में किसी प्रकार का कोई रोग व्याप्त नहीं होता।
  •           ९. “तोडल तन्त्र” में बताया है कि भुवनेश्वरी शत्रु संहारिणी है। इसकी साधना करने वाले साधक के शत्रु स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं, यहाँ तक कि जो भी व्यक्ति इस प्रकार के साधक के प्रति दुराग्रह या शत्रुभाव रखते हैं, वे अपने आप समाप्त होते रहते हैं और उनका जीवन बर्बाद हो जाता है।
  •           १०. भुवनेश्वरी को योगमाया कहा गया है, इसकी साधना कर जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति निश्चित रूप से होती ही है।

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