Vat Yakshini Mantra | वटयक्षिणी मन्त्र

Vat Yakshini Mantra - वटयक्षिणी मन्त्र

📅 Apr 6th, 2023

By Vishesh Narayan

Summary Vat Yakshini Mantra is a divine mantra to manifest the divine being Yakshini. Yakshini is very gorgeous, soft, and simple in nature. his thirty-two-lettered Yakshini mantra is practiced for the accomplishment of all desires.


Vat Yakshini Mantra is a divine mantra to manifest the divine being Yakshini. Yakshini is very gorgeous, soft, and simple in nature. She continues to remain attired in captivating clothes, in the physique of a youthful lady of sixteen years. She is forever young.

A unique fragrance keeps originating from her body, which is enough to mesmerize any man. She is completely devoted to accomplishing the chosen work of the seeker. Yakshini continues to furnish finances, luxury, and joy to the seeker.

Very few competent seekers are able to manifest her in real form. Only a disciplined seeker and the detached seeker is able to perform this kind of divine sadhana.

This thirty-two-lettered Yakshini mantra is practiced for the accomplishment of all desires.

अब सभी मनोरथों की सिद्धि के लिए वटयक्षिणी मन्त्र कहता हूँ सर्वसमृद्धिदायक बत्तीस अक्षरों का मन्त्र निष्पन्न होता है ॥

Vat Yakshini Mantra Text

"ehyehi yakshi yakshee mahaayakshee vatavrkshanivaasinee sheeghram me sarvsaukhyam kuru kuru svaaha"

वटयक्षिणी मन्त्र

'एह्येहि यक्षि यक्षि महायक्षि वटवृक्षनिवासिनी शीघ्रं मे सर्वसौख्यं कुरु कुरु स्वाहा'  ॥

इस मन्त्र के विश्रवा ऋषि हैं, अनुष्टुप छन्द है, तथा यक्षिणी देवता हैं ॥

विनियोग विधि

ॐ अस्य श्रीवटयक्षिणीमन्त्रस्य विश्रवा ऋषिरनुष्टुप्छन्दः यक्षिणीदेवतात्मनोऽभीष्टसिद्धार्थ जपे विनियोगः ॥

हृदय न्यास

'एह्येहि हृदयाय नमः,

यक्षि यक्षि शिरसे स्वाहा,

महायक्षि शिखायै वषट्,

वटवृक्षनिवासिनि कवचाय हुं,

शीघ्रं में सर्वसौख्यं नेत्रत्रयाय - वौषट्,

कुरु कुरु स्वाहा अस्त्राय फट् ।

सर्वाङ्गन्यास

ॐ ऐं नमः मस्तके,

ह्रों नमः दक्षनेत्रे,

हिं नमः वामनेत्रे,

यं नमः मुखे,

क्षिं नमः दक्षनासायाम्,

यं नमः वामनासायाम्,

क्षिं नमः दक्षकर्णे,

में नमः वामकर्णे,

हां नमः दक्षांसे,

यं नमः वामांसे,

क्षि नमः दक्षिणस्तने

वं नमः वामस्तने,

टं नमः दक्षिणपार्श्वे,

वृं नमः वामपार्श्वे,

क्षं नमः हृदि,

निं नमः नाभौ,

वां नमः लिङ्गे,

सिं नमः उदरे,

निं नमः दक्षिणकट्याम्,

शीं नमः वामकट्याम्,

घ्रं नमः दक्षिणउरौ,

र्वं नमः दक्षिणजंघायाम्,

में नमः वामउरौ,

सं नमः नाभौ,

सौं नमः वामजंघायाम्,

ख्यं नमः दक्षिणजानौ,

कुं नमः वामजानी,

रुं नमः दक्षिणमणिबन्धे,

कुं नमः वाममणिबन्धे,

रुं नमः दक्षिणहस्ते

स्वां नमः वामहस्ते

हां नमः शिरसि ॥

मस्तक, दोनों नेत्र, मुख, नासिकाद्वय, दोनों कान, दोनों कन्धे, दोनों स्तन, दोनों पार्श्वभाग, हृदय-नाभि, लिङ्ग, उदर, कटि, ऊरु, नाभि, दोनों जंघा, दोनों जानु, दोनों मणिबन्ध, दोनों हाथ तथा शिर में मन्त्र के प्रत्येक वर्णों से न्यास कर वटवृक्ष में स्थित देवी का ध्यान करना चाहिए ॥

वटयक्षिणी ध्यान

अरुणचन्दनवस्त्रविभूषितां सजलतोयतुल्यतनूरुचम् ।

स्मरकुरङ्गदृशं वटयक्षिणीं क्रमुकनागलतादलयुक्कराम् ॥

अब देवी का ध्यान कहते हैं। - लाल चन्दन एवं लाल वस्त्रों से विभूषित शरीर वाली, विशाल जलधर बादल के समान कान्ति वाली, मदमत्त हरिणी के समान चञ्चल नेत्रों वाली, अपने दो हाथों में पूर्गीफल एवं नागवल्ली दल लिए हुये वटयक्षिणी का मैं ध्यान करता हूँ ॥

I meditate on the Vatyakshini, whose body is adorned with sandalwood and red clothes, whose radiance is like a huge water-filled cloud, whose eyes are playful like that of Mast Harini, who has purgi fruit in her two hands and betel leaves.

How To Attain Siddhi of Vat Yakshini Mantra

इस मन्त्र का 2 लाख जप करना चाहिए तथा बन्धूक पुष्पों से उसका दशांश होम करना चाहिए। प्राण प्रतिष्ठित यक्षिणी माला से इस मंत्र का जप करना चाहिए |

This mantra should be chanted 2 lakh times and one tenth of yagya should be performed with Midday flowers. The mantra should be chanted with energized Yakshini mala.

इस प्रकार आराधना करने से साधक काम्य प्रयोग का अधिकारी हो जाता है । किसी निर्जन वन में जाकर वट वृक्ष के नीचे प्रतिदिन रात्रि में संयम पूर्वक जप करना चाहिए । तदनन्तर सातवें दिन चन्दन से मण्डल बनाकर उसमें घी का दीपक प्रज्वलित कर मण्डल में वटयक्षिणी यन्त्र का पूजन करना चाहिए ।

By worshiping in this way, the seeker becomes entitled to perform various rituals. One should go to a secluded forest and chant with restraint every night under a banyan tree. After that, on the seventh day, after making a mandal out of sandalwood, lighting a lamp of ghee in it, and installing yantra, Vatyakshini should be worshiped in the mandal.

अत्यन्त सावधानी से मध्य रात्रिपर्यन्त उसके सामने जप करते रहने से साधक को नूपुर की ध्वनि सुनाई पड़ने लगती है । शब्द को सुनते हुये साधक को देवी का स्मरण करते हुये जप में निर्भय होकर लगे रहना चाहिए । ऐसा करते रहने से कुछ क्षणों के बाद मदविह्वला यक्षिणी देवी रति की इच्छा करती हुई साधक के सामने प्रत्यक्ष दिखलाई पड़ने लगती है ।

By chanting the mantra till midnight, the seeker starts hearing the sound of anklets. While listening to the sound, the seeker should fearlessly engage in chanting while remembering the Goddess. By doing this, after a few moments, the Yakshini starts appearing directly in front of the seeker, and fulfills the command of the seeker.

साधक द्वारा उसकी कामना पूर्ति किये जाने पर वह उसे वर प्रदान करती है इस विषय में बहुत क्या कहें, वह साधकों के सारे मनोरथों को पूर्ण कर देती हैं ॥

She gives the seeker a boon, and fulfills all the wishes of the seeker.

वटयक्षिणी दशाक्षर मन्त्र

 'श्रीं श्रीं यक्षिणी हं हं हं स्वाहा' ।

10 Lettered Mantra

Shreem Shreem Yakshini Ham Ham Ham Swaha

 


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