Tara Yantra | महाविद्या तारा यन्त्र

Tara Yantra - महाविद्या तारा यन्त्र

📅 Jul 2nd, 2022

By Vishesh Narayan

Summary Tara Yantra is a sacred home of Mahavidya Tara energized with Yantra Sanskar and repetition of Mantras. The Tara Yantra represents ‘Sakshat Tara’. Tara is the deity of accomplishments and is often propitiated by business persons for success.


Tara Yantra is a sacred home of Mahavidya Tara energized with Yantra Sanskar and repetition of Mantras. The Tara Yantra represents ‘Sakshat Tara’. Tara means rescuer and is the second of Dasa Mahavidyas. Mainly Tara is a form of Durga or Parvati. Tara is perceived at its core as the absolute, unquenchable hunger that propels all life.

The complexion of Tara is blue and she is also called Neel Saraswati. Tara Sadhna is mainly accomplished to gain knowledge, wisdom, wealth, and totality of life. The Tantra regards Tara as potent as Kali.

Tara also figures in Jainism. In Vaishnava lore, Tara was one of the goddesses who fought along with Durga to defeat the thousand-headed Ravana. She is Tarini, deliverer or savior, one who saves guides, and transports to salvation.

Tara is the deity of accomplishments and is often propitiated by business persons for success. Tara Sadhna also provides protection from natural calamities, accidents and other perils from life.

तारा :

तांत्रिकों की प्रमुख देवी तारा। तारने वाली कहने के कारण माता को तारा भी कहा जाता है। सबसे पहले महर्षि वशिष्ठ ने तारा की आराधना की थी। शत्रुओं का नाश करने वाली सौन्दर्य और रूप ऐश्वर्य की देवी तारा आर्थिक उन्नति और भोग दान और मोक्ष प्रदान करने वाली हैं।

भगवती तारा के तीन स्वरूप हैं : - तारा , एकजटा और नीलसरस्वती।

तारापीठ में देवी सती के नेत्र गिरे थे, इसलिए इस स्थान को नयन तारा भी कहा जाता है। यह पीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला में स्थित है। इसलिए यह स्थान तारापीठ के नाम से विख्यात है।

प्राचीन काल में महर्षि वशिष्ठ ने इस स्थान पर देवी तारा की उपासना करके सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस मंदिर में वामाखेपा नामक एक साधक ने देवी तारा की साधना करके उनसे सिद्धियां हासिल की थी।

तारा माता के बारे में एक दूसरी कथा है कि वे राजा दक्ष की दूसरी पुत्री थीं। तारा देवी का एक दूसरा मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 13 किमी की दूरी पर स्थित शोघी में है। देवी तारा को समर्पित यह मंदिर, तारा पर्वत पर बना हुआ है। तिब्‍बती बौद्ध धर्म के लिए भी हिन्दू धर्म की देवी 'तारा' का काफी महत्‍व है।

चैत्र मास की नवमी तिथि और शुक्ल पक्ष के दिन तारा रूपी देवी की साधना करना तंत्र साधकों के लिए सर्वसिद्धिकारक माना गया है। जो भी साधक या भक्त माता की मन से प्रार्धना करता है उसकी कैसी भी मनोकामना हो वह तत्काल ही पूर्ण हो जाती है।

तारा माता का मंत्र :

नीले कांच की माला से बारह माला प्रतिदिन 'ऊँ ह्नीं स्त्रीं हुम फट'

Specifications: Size 3*3, Weight 10 gm, Metal.

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