Haridra Ganesh Kavacham is a divine armor to receive the immense blessings of Lord Ganesha. By reciting this Kavach daily, a seeker can control even the highest officials. People also recite this Kavach for business growth and job advancement.
Haridra Ganapati, also known as Turmeric Ganesha, is a unique aspect of Lord Ganesha. The depiction shows him as yellow as turmeric and in yellow garments. Haridra Ganapati is one of the thirty-two forms of Ganesha and is associated with wealth, well-being, and protection.
Iconography often depicts Haridra Ganapati with three eyes, seated on a golden throne, and holding a noose (pasha), an elephant goad (ankusha), a sweet (modaka), and his broken tusk (danta) in his four hands. People also know him as Ratri Ganapati.
The Ganesha of Shri Baglamukhi Mata is Shri Haridra Ganesh Ji. Devotees worship Shri Haridra Ganesh alongside Mata Baglamukhi. The Gods highly rated the Haridra Ganesh Kavach and bestows wealth. All the troubles of the person who recites it go away in a shorter duration.
हरिद्रा गणेश कवचम भगवान् गणेश के असीम कृपा प्राप्त करने के लिए एक दिव्य कवच है | इस कवच का नित्य पाठ करने से साधक ऊँचे से ऊँचे अधिकारी को वश में कर सकता है | व्यापार की वृद्धि और नौकरी में उन्नति पाने के लिए भी इस कवच का पाठ किया जाता है |
श्री बगलामुखी माता के गणेश श्री हरिद्रा गणेश जी हैं। श्री हरिद्रा गणेश जी की पूजा माता बगलामुखी की साधना के साथ ही की जाती है। हरिद्रा गणेश कवच देवताओं द्वारा पूजित और धनधान्य को प्रदान करने वाला है । इसके पाठ करने तथा कराने वाले के समस्त संकट दूर हो जाते हैं ।
Haridra Ganesh Kavach Meaning
हरिद्रागणेशकवचम्
श्रीगणेशाय नमः ।
ईश्वर उवाच ।
शृणु वक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिकरं प्रिये ।
पठित्वा पाठयित्वा च मुच्यते सर्वसङ्कटात् ॥ १॥
eeshvara uvaacha .
shri'nu vakshyaami kavacham' sarvasiddhikaram' priye .
pat'hitvaa paat'hayitvaa cha muchyate sarvasankat'aat .. 1..
ईश्वर ने [माता पार्वती से] कहा- हे प्रिये ! मैं सभी सिद्धियों को देने वाले कवच का वर्णन करता हूँ, तुम सुनो । इसके पाठ करने तथा कराने वाले के समस्त संकट दूर हो जाते हैं ।
अज्ञात्वा कवचं देवि गणेशस्य मनुं जपेत् ।
सिद्धिर्नजायते तस्य कल्पकोटिशतैरपि ॥ २॥
ajnyaatvaa kavacham' devi ganeshasya manum' japet .
siddhirnajaayate tasya kalpakot'ishatairapi .. 2..
जो इस कवच का ज्ञान प्राप्त किये बिना ही गणेश-मन्त्र का जप करता है, उसे अनेक (करोड़ों) कल्पों में भी सिद्धि नहीं प्राप्त होती ।
ॐ आमोदश्च शिरः पातु प्रमोदश्च शिखोपरि ।
सम्मोदो भ्रूयुगे पातु भ्रूमध्ये च गणाधिपः ॥ ३॥
om aamodashcha shirah' paatu pramodashcha shikhopari .
sammodo bhrooyuge paatu bhroomadhye cha ganaadhipah' .. 3..
ॐ आमोद मेरे सिर की रक्षा करें, प्रमोद मूर्द्धादेश की रक्षा करें, संमोद दोनों भौहों की रक्षा करें और गणाधिप भ्रूमध्य की रक्षा करें ।
गणाक्रीडो नेत्रयुग्मं नासायां गणनायकः ।
गणक्रीडान्वितः पातु वदने सर्वसिद्धये ॥ ४॥
ganaakreed'o netrayugmam' naasaayaam' gananaayakah' .
ganakreed'aanvitah' paatu vadane sarvasiddhaye .. 4..
गणक्रीड दोनों नेत्रों की, गणनायक नासिका की, गणक्रीडान्वित मुखमण्डल की रक्षा करें, जिससे मुझे सर्वसिद्धि प्राप्त हो सके ।
जिह्वायां सुमुखः पातु ग्रीवायां दुर्मुखः सदा ।
विघ्नेशो हृदये पातु विघ्ननाथश्च वक्षसि ॥ ५॥
jihvaayaam' sumukhah' paatu greevaayaam' durmukhah' sadaa .
vighnesho hri'daye paatu vighnanaathashcha vakshasi .. 5..
सुमुख मेरी जीभ की, दुर्मुख ग्रीवा की, विघ्नेश हृदय की और विघ्ननाथ वक्षःस्थल की सदा रक्षा करें ।
गणानां नायकः पातु बाहुयुग्मं सदा मम ।
विघ्नकर्ता च ह्युदरे विघ्नहर्ता च लिङ्गके ॥ ६॥
ganaanaam' naayakah' paatu baahuyugmam' sadaa mama .
vighnakartaa cha hyudare vighnahartaa cha lingake .. 6..
गणनायक मेरी दोनों भुजाओं की सदा रक्षा करें, विघ्नकर्ता मेरे उदर की और विघ्नहर्ता मेरे लिंग की रक्षा करें ।
गजवक्त्रः कटीदेशे एकदन्तो नितम्बके ।
लम्बोदरः सदा पातु गुह्यदेशे ममारुणः ॥ ७॥
gajavaktrah' kat'eedeshe ekadanto nitambake .
lambodarah' sadaa paatu guhyadeshe mamaarunah' .. 7..
गजवक्त्र कटिप्रदेश की, एकदन्त नितम्ब की तथा लम्बोदर और अरुण मेरे गुप्तांगों की सदा रक्षा करें ।
व्यालयज्ञोपवीती मां पातु पादयुगे सदा ।
जापकः सर्वदा पातु जानुजङ्घे गणाधिपः ॥ ८॥
vyaalayajnyopaveetee maam' paatu paadayuge sadaa .
jaapakah' sarvadaa paatu jaanujanghe ganaadhipah' .. 8..
व्यालयज्ञोपवीती मेरे दोनों पैरों की तथा जापक और गणाधिप मेरे घुटनों और जंघों की रक्षा करें ।
हारिद्रः सर्वदा पातु सर्वाङ्गे गणनायकः ।
य इदं प्रपठेन्नित्यं गणेशस्य महेश्वरि ॥ ९॥
haaridrah' sarvadaa paatu sarvaange gananaayakah' .
ya idam' prapat'hennityam' ganeshasya maheshvari .. 9..
कवचं सर्वसिद्धाख्यं सर्वविघ्नविनाशनम् ।
सर्वसिद्धिकरं साक्षात्सर्वपापविमोचनम् ॥ १०॥
kavacham' sarvasiddhaakhyam' sarvavighnavinaashanam .
sarvasiddhikaram' saakshaatsarvapaapavimochanam .. 10..
गणनायक हरिद्रागणपति मेरे सर्वांगों की सदा रक्षा करें । हे महेश्वरि ! यह सर्वसिद्ध नामक कवच सभी विघ्नों का नाशक और सर्वसिद्धिदायक है । जो इसका नित्य पाठ करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं ।
सर्वसम्पत्प्रदं साक्षात्सर्वदुःखविमोक्षणम् ।
सर्वापत्तिप्रशमनं सर्वशत्रुक्षयङ्करम् ॥ ११॥
sarvasampatpradam' saakshaatsarvaduh'khavimokshanam .
sarvaapattiprashamanam' sarvashatrukshayankaram .. 11..
यह कवच सभी सम्पत्तियों को प्रदान करने वाला, सभी पापों से मुक्त करने वाला और सभी शत्रुओं का नाश करने वाला है ।
ग्रहपीडा ज्वरा रोगा ये चान्ये गुह्यकादयः ।
पठनाद्धारणादेव नाशमायन्ति तत्क्षणात् ॥ १२॥
grahapeed'aa jvaraa rogaa ye chaanye guhyakaadayah' .
pat'hanaaddhaaranaadeva naashamaayanti tatkshanaat .. 12..
ग्रह-पीडा, ज्वरादि रोग और अन्य प्रेत-पिशाचादि सम्बन्धी कष्ट इसके पाठ और धारण करने से तत्क्षण दूर हो जाते हैं ।
धनधान्यकरं देवि कवचं सुरपूजितम् ।
समं नास्ति महेशानि त्रैलोक्ये कवचस्य च ॥ १३॥
dhanadhaanyakaram' devi kavacham' surapoojitam .
samam' naasti maheshaani trailokye kavachasya cha .. 13..
हारिद्रस्य महादेवि विघ्नराजस्य भूतले ।
किमन्यैरसदालापैर्यत्रायुर्व्ययतामियात् ॥ १४॥
haaridrasya mahaadevi vighnaraajasya bhootale .
kimanyairasadaalaapairyatraayurvyayataamiyaat .. 14..
हे देवि ! यह कवच देवताओं द्वारा पूजित और धनधान्य को प्रदान करने वाला है । हे महेश्वरि ! इस हरिद्रागणपतिकवच के समान [प्रभावकारी] इस धरातल पर अथवा त्रिलोकी में अन्य कुछ भी नहीं है । अतः अन्य असत् वार्ता में आयु नष्ट करने से क्या लाभ है ?
॥ इति विश्वसारतन्त्रे हरिद्रागणेशकवचं सम्पूर्णम् ॥