The Amogh Ganesh Astra is a divine weapon guaranteed to work wonders for the seeker. The name 'Amogh' translates to "invincible" in Sanskrit and signifies that it has no alternative. It is a weapon that never misses its target and strikes with unparalleled precision.
Lord Ganesha is hailed as the ultimate deity of wealth and wisdom in Hindu mythology, also known as Amogh. An Astra, on the other hand, is a supernatural weapon that is presided over by a specific deity and imbued with spiritual and occult powers that cause its effects.
Benefits of Amogh Ganesh Astra
- The Ganesh Astra is an influential Vashikaran tool that can attract all beings in the universe, including deities and people.
- The Astra is a vessel for the divine blessings of Lord Ganesh.
- The mantra promotes excellent health and eliminates all untreatable illnesses.
- With the Amogh Ganpati Astra, the seeker is protected from both known and unknown weapons, ensuring complete shield coverage.
- The Tantra and Black magic stand no chance against the destructive force of the Ganesh Astra.
- The powerful mantra destroys all the negative intentions of the enemies.
- The Astra exterminates the malefic effects of all negative planets in the native chart of the seeker.
How To Use The Amogh Ganesh Astra
- The seeker should worship the Lord Ganapati and his Guru before starting this pious ritual.
- The ritual can be commenced from any Chaturthi tithi of the lunar month.
- Lit a cow ghee lamp and offer some sweets or Modak to the Lord Ganesha.
- Chant the mantra 11 times 21 times or 32 times after taking the Sankalp.
- Do this ritual for 11 days to obtain the divine blessings of Lord Ganesha.
- Keep on chanting this Astra once a day to bring maximum results.
श्री अमोघ गणेशास्त्र स्तोत्र!!
इस अमोघ गणेशास्त्र में भगवान गणपति के 32 रूप समाहित है इसके मात्र एक बार जप से गणपति के 32 विभिन्न स्वरूप जागृत हो साधक को मनोवांछित लाभ प्रदान करते हैं।
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1..ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो बाल गणपतये सूर्य वर्णाय चतुर्भुजाय बालमुखाय शीघ्र प्रसन्नाय मम सर्वान् विघ्नान् नाशय-नाशय गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा । ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
2..ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रींं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो तरुण गणपतये रक्त वर्णाय मध्य कालीन सूर्य स्वरूपाय षड्हस्ताय प्रचण्ड सम्मोहनाय सदा मां रक्ष रक्ष मम हृदये सुस्थिरो भव वर प्रदो भव साक्षात्कार सिद्धि प्रदो भव चर्म चक्षुष्क दर्शन प्रदो भव चतुःषष्टि विद्यप्रवीणां कुरु कुरु गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
3..ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रींं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो भक्ति गणपतये पूर्णचन्द्र स्वरूपाय चन्द्र वर्णाय चतुर्हस्ताय दुग्ध प्रियाय मम शरीरे अमृतं वर्षा कुरु कुरु गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा । ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
4 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो वीर गणपतये रक्त वर्णाय कवच टंक पाश खड्ग परशु शक्ति धनुष भालसर्प वेताल बाण गदा खेटक उत्पल चक्र ध्वजा
धारणाय षोडश हस्ताय मम समस्त शत्रून मारय मारय काटय काटय छेदय छेदय पाशय पाशय भंजय भंजय उन्मूलय उन्मूलय धात घातय कम्पय कम्पय भक्षय भक्षय गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
5 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो शक्ति गणपतये हरित वर्ण शक्ति सहिताय अस्त सूर्य वर्णाय अभय मुद्रा धारणाय मम जन्मांगे स्थित समस्त क्रूर ग्रह बाधा उच्चाटय उच्चाटय शांतय शांतय गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा । ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
6 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो द्विज गणपतये ब्रह्म स्वरूपाय चतुर्मुखाय कमण्डलु पुस्तक अक्षमाला दण्ड धारणाय चतुर्हस्ताय स्वतंत्र स्वमंत्र स्वयंत्र स्वज्ञान प्रकाशय प्रकाशय गुप्तज्ञान उद्घाटय उद्घाटय परतंत्र परमंत्र परयंत्र नाशय नाशय गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
7 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो सिद्धि गणपतये स्वर्ण वर्णा चतुर्हस्ताय शुण्डाग्रे दाड़िम फल धारणाय सिद्धिं कुरु कुरु गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
8..ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रींं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो उच्छिष्ट गणपतये शक्ति सहिताय षट् हस्ताय नीलवर्णाय दक्षिण शुण्ड युक्ताय तंत्र- देव क्षेत्राधिपतये मारणं मोहन उच्चाटन आकर्षण वश्यं सम्मोहन विद्या सहित सर्व तंत्र सिद्धिं कुरु कुरु गां गीं गूं गौं गः हुं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
9 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐंं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो विघ्न गणपतये पिंगल वर्णाय अष्टभुजाय विष्णु स्वरूपाय शंख चक्र पुष्प इच्छुपात्र पुष्प बाण परशु पाश माला युक्ताय रत्नाऽभूषण सुसज्जिताय मम शरीरे सर्वान रोगान नाशय नाशय गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रींं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
10 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो क्षिप्र गणपतये रक्त वर्णाय चतुर्भुजाय भग्न दंत पाश परशु कल्पवृक्ष धारणाय शुण्डअग्रे रत्नकलश सहिताय सर्व शांति कुरु कुरु स्वस्तिं कुरु कुरु पुष्टिं कुरु कुरु श्रियं देहि देहि यशो देहि देहि आयुर्देहि देहि आरोग्यं देहि देहि पुत्र पौत्रान् देहि देहि सर्व कामांश्च देहि देहि गां गीं गूं गँ गौं गः हुं फट् स्वाहा । ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
11..ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो हेरम्ब गणपतये सिंह वाहिने पंच मुखाय गौरवर्णाय दस भुजाय परराष्ट्र गजाचं रथ सैन्य शस्त्रास्त्र बलं स्तम्भय स्तम्भय उच्चाटय उच्चाटय मारय मारय खादय खादय विदारय विदारय भीषय भीषय कम्पय कम्पय भक्षय भक्षय त्वरित त्वरित बन्धय बन्धय प्रमुख प्रमुख स्फुट स्फुट ठं ठं ठं ठं गां गीं गूं गैं गौं ग: हुं फट् स्वाहा ॥ ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
12 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो लक्ष्मी गणपतये अष्ट-भुजाय सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्वेत वर्णाय मम सर्व दुःखं हर हर दारिद्रं निवारय निवारय यशं देहि यौवनं देहि धनं देहि राज्यं देहि गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा ॥ ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
13 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो महागणपतये पीत वर्णाय दक्षिण शुण्ड युक्ताय वामांगे शक्ति सहिताय अर्ध चंद्र मुकुट धारणाय दस भुजाय मम जन्मांगे स्थित - देव ग्रह योनि ग्रह योगिनी ग्रह दैत्य ग्रह दानव वर्षण ग्रह राक्षस ग्रह ब्रह्म राक्षस ग्रह सिद्ध ग्रह यक्ष कुरु ग्रह विद्याधर ग्रह किन्नर ग्रह गन्धर्व ग्रह अप्सरा ग्रह भूत ग्रह पिशाच ग्रह कूष्माण्ड ग्रह गजादि ग्रह पूतना ग्रह बाल ग्रह सूर्यादि नव ग्रह मुद्गल ग्रहपितृ ग्रह वेताल ग्रह शत्रु ग्रह राज य ग्रह चौरवैरि ग्रह नेतृ ग्रह देवता ग्रह आधि ग्रह व्याधि ग्रह अपस्मरादि ग्रह ग्रह ग्रह पुर ग्रह । उरग ग्रह सरज ग्रह उक्त ग्रह डामर ग्रह उदक ग्रह अग्नि ग्रह आकाश ग्रह भू ग्रह वायु ग्रह शालि ग्रह धान्यादि ग्रह विषय ग्रह ग्रहानाति ग्रह घोर ग्रह छाया ग्रह सर्प ग्रह विष जीव ग्रह वृश्चिक ग्रह काल ग्रह शाल्य ग्रहादि सर्वान ग्रहान नाशय नाशय कालाग्नि रुद्र स्वरूपेण दह दह अनुनय अनुनय शोषय शोषय मुखय मुखय कम्पय कम्पय भक्षय भक्षय निमीलय निमीलय मर्दय मर्दय विद्रावय विद्रावय निधन निधन स्तम्भय स्तम्भय उच्चाटय उच्चाटय उष्टन्धय उष्टन्धय मारय मारय चण्ड चण्ड प्रचण्ड प्रचण्ड क्रोध क्रोध ज्वल ज्वल प्रज्ज्वल प्रज्ज्वल ज्वाला दित्य वदने उग्र ग्रस उग्र ग्रस् विजृम्भय विजृम्भय घोषय घोषय मारय मारय हन हन गां गीं गूं गैं गौं ग: हूं फट् स्वाहा। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
14 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो विजय गणपतये रक्त मूषक वाहिने चतुर्भुजाय सर्व क्षेत्रे विजय देहि गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा । ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
15 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो नृत्य गणपतये दक्षिण शुण्डयुक्ताय कल्प वृक्ष समीपे नृत्य सर्वादिशो बध्नामि, महेश्वरं बध्नामि, पितामह बध्नामि, महाविष्णुं बध्नामि, कार्तिक बध्नामि, दशदिक्पालान बध्नामि, सर्वान असुरान बध्नामि, ब्रहमास्त्रान बध्नामि, अघोरं बध्नामि, सर्वान् सुरान् बध्नामि, सर्वान् द्बिजान्
बध्नामि,, केशरी बध्नामि, सत्वान बध्नामि, व्याघ्रान बध्नामि, गजान बध्नामि, चौरान बध्नामि, शत्रून बध्नामि, महामारीं बध्नामि, सर्वा यक्षिणीं बध्नामि, आब्रह्म स्तम्भ पर्यंत सर्वान चराचर जीवान् बध्नामि, माया ज्वालिनि स्तम्भय स्तम्भय सर्व वादीन् मूकय मूकय, कीलय कीलय, गतिं स्तम्भय स्तम्भय, चौरादि सर्वान दुष्ट पुरुषान् बन्धय बन्धय, दिशा विदिशा रात्र्याकर्षण पाताल घ्राण भ्रूचक्षुः शिरः श्रोत्रे हस्तौ पादौ गतिं मतिं मुखं जिह्वां वाचां शब्द पञ्चाशत् कोटि योजन विस्तीर्णान् भू-ब्रह्माण्ड देवान् बध्नामि, मण्डलं बध्नामि, व्याधान् क्रमय क्रमय रक्ष रक्ष गां गीं गूं गैं गौं ग: हुं फट् स्वाहा ॥ ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
16 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो ऊर्ध्व गणपतये वामांगे हरित शक्ति सहिताय अष्टभुजाय कनक वर्णाय मम शरीरे कुण्डलिनी शक्ति प्रकाशय प्रकाशय गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा । ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
17 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो एकाक्षर गणपतये रक्त वर्णाय रक्त पुष्प माला धारिण्ये त्रिनेत्राय अर्ध चंद्र मुकुट धारणाय मूषक वाहिने पद्मासन स्थिताय योग सिद्धिं देहि देहि गांगीं गूं गैं गौं ग: हूं फट् स्वाहा। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
18 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो वर गणपतये वामांगे शक्तिसहिताय त्रिनेत्राय अर्धचंद्र मुकुट धारणाय वरं देहि देहि अभयं देहि देहि गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
19 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो त्र्यक्षर गणपतये ॐ कार स्वरूपाय स्वर्ण प्रकाश युक्ताय शूप कर्णाय मोक्षं कुरु कुरु गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
20...ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो क्षिप्र प्रसाद गणपतये रक्तचन्दाङ्किताय षट्भुजाय कुशासन स्थिताया कल्प वृक्ष सहिताय त्वरित कार्य सिद्धिप्रदानाय गां गीं गूं गँ गॉं गः हुं फट् स्वाहा । ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
21 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो हरिद्रा गणपतये पीत वर्णाय चतुर्भुजाय शत्रु वाक् स्तम्भनाय आत्म विरोधिणां शिरोललाट मुख नेत्र कर्ण नासिकोरु पाद रेणु दन्तोष्ठ जिह्वा तालु गुह्य गुदकटि कय सर्वांगेषु केशादि पाद पर्यन्तं स्तम्भय स्तम्भय मारय मारय गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
22 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो एकदंत गणपतये नीलवर्णाय चतुर्भुजाय भग्न दंत सहिताय गारुड़ वारुण सार्प पर्वत वह्नि दैवत अघोर नारायण विष्णु ब्रह्म रुद्र वज्रास्त्राणि भंजय भंजय निवारय निवारय तेषां मंत्र यंत्र तंत्राणि विध्वंसय विध्वंसय गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
23 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो सृष्टि गणपतये रक्त वर्णाय मूषक वाहिने चतुर्भुजाय आम्रफल पाश अंकुश भग्न दंत युक्ताय आयुष्मन्तं कुरु कुरु सततं मम हृदये चिन्तित मनोरथ सिद्धिं कुरु कुरु चिदानन्दकान्कुरु चिदानन्दकान्तकुरु वाक सिद्धिं देहि देहि अकाल मृत्यु विनाशनं कुरु कुरु अपमृत्यु निर्दलनं कुरु कुरु अकाल मृत्यु भय निवारय निवारय ममैव कर स्पर्शान नाना रोगान् नाशय नाशय गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
24 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो उद्दण्ड गणपतये वामांगे हरित वर्ण शक्ति युक्ताय दस भुजाय मम सर्व दुष्टान मर्दय मर्दय मारय मारय शोषय शोषय चण्डय चण्डय प्रचण्डय प्रचण्डय गां गीं गूं गैं गौं गः फट् स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
25 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो ऋण मोचन गणपतये शुक्ल वर्णाय चतुर्हस्ताय मम कर्म क्षेत्रे स्थित पितृ ऋण मातृ ऋण स्त्री-ऋण पुत्र ऋण मित्र ऋण राज्य-ऋण देव-ऋण ग्रह-ऋण पंचभूत इत्यादि समस्त ऋणान् उन्मूलय उन्मूलय गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
26 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो ढुण्डी गणपतये सिन्दूर वर्णाय चतुर्भुजाय रत्न कुम्भ धारणाय मम सर्व दोष हारिणे सर्व विघ्न छेदिने सर्व पाप निकृन्तिने सर्वश्रृंखलात्रोटिने सर्वयंत्र स्फोटिने गां गीं गूं गँ गौं गः हुं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
27 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो द्विमुख गणपतये चतुर्हस्ताय नील हरित वर्णाय रत्न मुकुट सुशोभिताय सपरिवारम् मां रक्ष रक्ष क्षमस्वापराधं क्षमस्वापराधं नमस्ते नमस्ते गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
28 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो त्रिमुख गणपतये स्वर्ण कमलासन स्थिताय रक्त वर्णाय अभयं कुरु कुरु कृपां कुरु कुरु सिद्धिम कुरु कुरु गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
29..ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो सिंह गणपतये श्वेत वर्णाय सिंह वाहिने अष्ट भुजाय मम शरीरे सर्वान् विषान् शोकान् हर हर गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
30..ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो योग गणपतये योगासन स्थिताय इन्द्र स्वरूपाय रस सिद्धिं देहि देहि गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
31 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो दुर्गा गणपतये स्वर्ण आभा युक्ताय अष्टभुजाय रक्त वर्ण वस्त्र सुशोभिताय मम समस्त प्रकट अप्रकट भयान नाशय नाशय गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
32 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।
ॐ नमो संकष्ट हरण गणपतये उदित सूर्य स्वरूपाय वामांगे हरित वर्ण शक्ति सहिताय नील वस्त्र सुशोभिताय शक्तिं देहि देहि गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं श्रीं ग्लौम् गं गणपतये वर वरद सर्वजनम्मे वशमानय ठ:ठ:।