21 Names of Surya are the twenty-one angelic names of Lord Surya. The 21 names were disclosed by Lord Surya himself. The celestial names have the proficiency to nourish perfect health and to terminate the sins of bad karmas.
Lord Krishna's son Samba contacted leprosy due to some reason as a penalty for his past actions. His situation was very pathetic. He honored Lord Surya for many years. Seeing his anguish, the Sun God emerged to him in a dream and said...
O Samba, O Samba, O great warrior, O Jambavatisut, listen, it is auspicious to praise my 21 names. These names are confidential and godly. O Son, I am telling you about these, listen to the names and practice it daily.
21 Names of Surya Meaning
ॐ विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः॥
लोकप्रकाशकः श्रीमांल्लोकचक्षुर्गृहेश्वरः।
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिम्रहा॥
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्तश्ववाहनः ।
गर्भास्तहसतो ब्रह्मा च सर्वदेव नमस्कृतः॥
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा मम।
शरीरारोग्यश्चैव धनवृद्धि यशस्करः॥
om vikartano vivasvaanshch maartando bhaaskaro ravih.
lokaprakaashakah shreemaanllokachakshurgrheshvarah.
lokasaakshee trilokeshah karta harta tamimraha.
tapanastaapanashchaiv shuchih saptashvavaahanah .
garbhaastahasato brahma ch sarvadev namaskrtah.
ekavinshatirityesh stav ishtah sada mam.
shareeraarogyashchaiv dhanavrddhi yashaskarah.
- विकर्तनो Vikartano The one who destroys all dangers
- विवस्वान Vivaswana Luminescent
- मार्तण्डो Martando The one who has emerged from the golden egg
- भास्कर Bhaskara The enlightening one
- रवि Ravi The one who roars
- लोकप्रकाशक Lokaprakashaka The illuminator of the worlds
- श्रीमान Shimana
- लोक चक्षु Loka Chakshu Eye of the world
- ग्रहेश्वर Graheshwara The lord of all the planets
- लोक साक्षी Loka Sakshi Witness of the world
- त्रिलोकेश Trilokesha The lord of the three worlds
- कर्ता Karta The executor
- हर्ता Harta The destroyer
- तमिस्रहा Tamisraha The remover of darkness
- तपन Tapana The one who heats up
- तापन Tapana The one who burns
- शुचि Shuchi The one who is pure
- सप्ताश्ववाहन Saptashvavahana Whose chariot is drawn by seven horses
- गभस्तिहस्त Gabhastihasta Whose hands are rays alike
- ब्रह्मा Brahma The creator of the world
- सर्वदेवनमस्कृत Sarvadevanamaskrita Worshipped by all the gods
21 Names of Surya Benefits
- Lord Surya always enjoys the praise of these twenty-one names.
- The names guide to a healthy body and an increase in wealth and fame.
- These names are known as Stavraj in all three worlds.
- Expulsion of Epilepsy disease and skin diseases.
- Better Eyesight and clairvoyance.
- Removal of effects of Bad Karmas.
- The sadhak can also chant Surya Beej Mantra, Surya Gayatri Mantra and Surya Ashtakam with this Surya Stotram.
Lord Surya also revealed Trilokya Mangalam Surya kavacham to Samb in his dream.
भगवान् श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब को किसी कारणवश पूर्व कर्मों के दंड स्वरुप कुष्ठ रोग की प्राप्ति हुई | उनकी अवस्था अत्यधिक दयानीय थी | उन्होंने भगवान सूर्य का पूजन कई वर्षों तक किया | उनका कष्ट देखकर सूर्य भगवान ने उसे स्वप्न में दर्शन दिया और कहा....
सूर्योवाच
साम्ब साम्ब महाबाहो शृणु जाम्बवतीसुत ।
अलं नामसहस्रेण पठंस्तेवं स्तवं शुभम्॥
यानि नामानि गुह्यानि पवित्राणि शुभानि च।
तानि ते कीर्तयिष्यामि श्रुत्वा तमावधारय।।
हे सांब, हे सांब, हे महाबाहो, हे जांबवतीसुत, सुनो, मेरे सहस्रनामों को पढ़ते हुए स्तुति करना शुभ है। ये नाम गुप्त और पवित्र हैं। हे वत्स, इनके बारे में मैं तुम्हें बता रहा हूं, इनको सुनो और धारण करो।
ॐ विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः॥
लोकप्रकाशकः श्रीमांल्लोकचक्षुर्गृहेश्वरः।
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिम्रहा॥
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्तश्ववाहनः ।
गर्भास्तहसतो ब्रह्मा च सर्वदेव नमस्कृतः॥
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा मम।
शरीरारोग्यश्चैव धनवृद्धि यशस्करः॥
इन इक्कीस नामों की स्तुति मुझे सदा भली लगती है। इनसे देह निरोग और धन व यश में वृद्धि होती है। ये नाम तीनों लोकों में स्तवराज के नाम से जाने जाते हैं।
दोनों संध्याओं में प्रणत होकर इनसे मेरी स्तुति करने वाला सर्वपापों से छुटकारा पाता है। इनके जप से तन, मन व वचन के दुष्कृत्यों का नाश होता है, इसमें संशय नहीं।
इनको जप, होम, संध्योपासना, बलिमंत्र, अर्घ्यमंत्र और धूपमंत्र माना गया है। यह महामंत्र अन्नदान, स्नान, प्रणाम व प्रदक्षिणा में पूज्य है।
इतना कहकर भगवान भास्कर जगदीश्वर कृष्णपुत्र सांब को मंत्र प्रदान कर अंतर्धान हो गए। सांब ने सप्ताश्ववाह सूर्य की स्तवराज से स्तुति की। वह शीघ्र ही पूतात्मा, निरोग, श्रीमान व कष्टों से मुक्त हो गए।
सूर्योदय के समय एकाग्रता से इसका पाठ करने वाले को पुत्र, नारी, धन व रत्नों की प्राप्ति होती है। वह पूर्वजन्मों के रहस्यों से परिचित होता है। उसे सदा घृति व मेधा की प्राप्ति होती है।
शुद्ध मन में समाहित होकर देववर भास्कर की सतुति करने वाला शोक के दावाग्नि सागर से मुक्त होता है। उसकी इच्छित कामनाएं पूर्ण होती हैं।