Ugra Tara Aghor Mantra Sadhna is a fierce form of Mahavidya Tara Sadhana. In the group of the Dash Mahavidyas, Tara comes next to Kali.
Tara closely resembles Kali in appearance. And just like Kali, Tara too displays gentle (saumya) or fierce (ugra) aspects. Tara has a much wider presence outside the Mahavidya periphery, especially in the Tantric traditions of Hinduism and Tibetan Buddhism.
In the Shaivism and Shaktism traditions, Goddess Tara is the second of the ten Mahavidyas. She represents a form of Adishakti, the tantric manifestation of Parvati.
Tara has several forms, including Ekajaṭā, Ugratara, and Nīlasarasvatī (also spelled Neelasaraswati or Neelsaraswati).
Tara is often associated with protection; her name comes from the Sanskrit root “tar”, meaning protection.
In other Indian languages, her name translates to “star”.
Devotees worship Tara for compassion, guidance, and deliverance from difficult situations.
Her energy is both nurturing and transformative, reflecting the cycles of life and rebirth.
The Tantra regards Tara as potent as Kali. Tara also figures in Jainism. In Vaishnava lore, Tara was one of the goddesses who fought with Durga to defeat the thousand-headed Ravana.
She is Tarini, deliverer or savior, one who saves guides and transports to salvation. Tara, the deity of accomplishments, receives propitiation from business persons for success.
उग्र तारा अघोर साधना जोकि बहुत उग्र साधना हैं जो मुझे एक वरिष्ठ गुरु भाई से प्राप्त हुई थी जिसे मैंने स्वयं संपन्न किया बहुत ही अच्छी और शीघ्र सफलता प्रदान करने वाली साधना ह पर भूल कर भी नवीन साधकों को इस साधना को नहीं करना चाहिए|
साधना को करने के पहले कम से कम 500000 या 1100000 गुरु मंत्र का जाप होना अति आवश्यक है इस साधना को ग्रहण काल में करें तो ज्यादा अच्छा है तथा पूज्य गुरुदेव से अनुमति प्राप्त करके ही इस साधना में संलग्न होना चाहिए ।
उग्र तारा महामंत्र:-
।। ॐ ह्ल्रीं ह्ल्रीं उग्र तारे क्रीं क्रीं फट् ।।
अक्षोभ्य मंत्र:-
।। ॐ स्त्रीं आं अक्षोभ्य स्वाहा ।।
माला लाल हकीक अथवा रुद्राक्ष ।
दिशा दक्षिण। महाविद्या तारा यन्त्र
आसन मृगचर्म का हो तो अति उत्तम है नहीं तो ऊनी लाल आसन का उपयोग कर सकते हैं
तिथि ग्रहण काल।
जाप संख्या 108 माला।
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How To Chant Ugra Tara Aghor Mantra
- सर्वप्रथम गुरु मंत्र से हवन करो और भस्म बनाओ ।
- ये क्रिया ग्रहण काल से पहले किसी दिन कर लेना ।
- ग्रहण के दिन उस भस्म में सिंदूर और शुध्द जल व इत्र घोलकर एक पिंड बनाओ ।
- पिंड का निर्माण करते समय पिंड में माँ तारा एवं गुरुदेव का ध्यान करो यही पिंड माँ तारा का प्रतीकात्मक यन्त्र है।
- अब इसी पिंड से सिन्दूर लेकर अपने मस्तक पर तिलक करो।
- पिंड को लाल कपड़ा बिछाकर जो की श्रुति हो एक मिटटी के बर्तन या मिट्टी की प्लेट में स्थापित करना है और पंचोपचार पूजन कर लाल पुष्प अर्पित करन हैं ।
- शरीर पर कमर से ऊपर कोई भी सिला हुआ वस्त्र नहीं होना चाहिए ।
- लाल धोती का उपयोग कर सकते हैं अगर बंद कमरे में दिगंबर अवस्था में कर सको तो सर्वोत्तम है।
- साधना से पूर्व गुरु मंत्र की 11 माला और अक्षोभ्य मंत्र की 11 माला अवश्य करना।
- साधना की समाप्ति पर गुरुदेव को जप समर्पित करो, माँ को दंडवत प्रणाम करो और माँ से अपने हृदय कमल में निवास करने हेतु प्रार्थना करो।
- प्रचंड अनुभूतियाँ होंगी। माँ के दर्शन भी हो सकते हैं योग्यता अनुसार।
- साधना के बाद माला समेत पूरी सामाग्री इसी वस्त्र में बांधकर नदी में तालाब में या किसी कुएं में विसर्जित कर देनी है।
महत्वपूर्ण -:::: एक छोटी सी कंया जो निर्धन हो जिसकी आयु 5 वर्ष से कम की हो उसके हाथ में लाल वस्त्र रखें वस्त्रों के ऊपर सवा किलो मीठा पांच जासोन के फूल कुछ दक्षिणा एक मेहंदी का पैकेट एक माहुर का और एक बिंदी का पैकेट लाल चूड़ियों के साथ दान अवश्य करें !
Benefits Ugra Tara Mantra
लाभ:-
१.माँ के दर्शन हो जाएं तो महाविद्या माँ तारा का तेज साधक के शरीर में रम जाता है। भैरव बन जाता है, तारा नंदन बन जाता है।
२.असाध्य कार्य को भी सिद्ध करने की क्षमता आ जाती है।
३.धन वैभव एवं ज्ञान में अतुलनीय वृद्धि होती है।
४.जीवन में फिर किसी भी विकट से विकट परिस्थिति से निपटने की क्षमता आ जाती है।
और भी अनंत लाभ हैं, जो शब्दों में बयां नहीं किये जा सकते।
Note: This Sadhana is only for educational purposes.